Nisar Satellite Launch: आज भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट, GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। यह मिशन न केवल दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग का प्रतीक है, बल्कि पृथ्वी के अवलोकन में एक क्रांतिकारी कदम भी है।
क्या है NISAR मिशन और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
NISAR सैटेलाइट को विशेष रूप से पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्र (ecosystems), भू-सतह (dynamic surfaces) और बर्फ के द्रव्यमान (ice masses) का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है जो दोहरी-आवृत्ति वाले सिंथेटिक अपर्चर रडार (dual-frequency Synthetic Aperture Radar) का उपयोग करता है।
- दोहरी रडार क्षमता: इसमें NASA द्वारा विकसित L-बैंड रडार और ISRO द्वारा विकसित S-बैंड रडार शामिल है।
- अद्वितीय अवलोकन: यह तकनीक सैटेलाइट को बादलों और अँधेरे में भी पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम बनाती है।
- उच्च सटीकता: NISAR हर 12 दिन में पूरी दुनिया का स्कैन करेगा और कुछ सेंटीमीटर जितने छोटे बदलावों का भी पता लगा सकेगा।
Nisar Satellite Launch: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, जैसे भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोटों की निगरानी करना है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे ग्लेशियरों का पिघलना और समुद्र स्तर का बढ़ना, को समझने में भी मदद करेगा।

GSLV-F16: NISAR का शक्तिमान वाहक
GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) भारत का सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान (launch vehicle) है, जिसे भारी उपग्रहों को भू-समकालिक कक्षा (Geosynchronous orbit) में स्थापित करने के लिए बनाया गया है। लेकिन, इस मिशन में GSLV-F16 ने NISAR को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा
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(Sun-synchronous polar orbit) में स्थापित किया है, जो अपने आप में एक अनूठी उपलब्धि है।
ISRO के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने इस लॉन्च को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “GSLV-F16 ने NISAR सैटेलाइट को बिल्कुल सटीक कक्षा में स्थापित किया है। यह ISRO और NASA के वैज्ञानिकों की दशकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।”

Nisar Satellite Launch: NISAR के लाभ और भविष्य के अनुप्रयोग
NISAR मिशन से प्राप्त होने वाले डेटा के कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोग होंगे, जो दुनिया भर के वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों के लिए बेहद उपयोगी होंगे।
- आपदा प्रबंधन: भूकंप से होने वाली भूमि विरूपण (ground deformation) और भूस्खलन के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिससे समय रहते लोगों को सतर्क किया जा सकेगा।
- कृषि और वनस्पति: यह उपग्रह फसलों के स्वास्थ्य, मिट्टी की नमी और वनों की कटाई की निगरानी करेगा।
- जलवायु अध्ययन: यह ग्लेशियरों के पिघलने की दर और समुद्री बर्फ की स्थिति को ट्रैक करेगा, जिससे जलवायु मॉडल को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
यह मिशन NASA और ISRO के बीच दशकों के तकनीकी सहयोग का परिणाम है, जिसमें दोनों एजेंसियों ने अपने बेहतरीन वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग कौशल को एक साथ लाया है। यह दोनों देशों के बीच संबंधों को भी मज़बूत करेगा।
निष्कर्ष और अगली योजना
GSLV-F16 का सफल प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं का एक और प्रमाण है। NISAR अब अपने अगले चरण में प्रवेश करेगा, जिसमें सैटेलाइट के सभी उपकरणों को चालू किया जाएगा और डेटा संग्रह शुरू होगा।