Quit India Movement History in Hindi: हर साल 8 अगस्त को हम एक ऐसे ऐतिहासिक दिन को याद करते हैं जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। यह दिन है अगस्त क्रांति, जिसे हम भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ के रूप में मना रहे हैं। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उन लाखों भारतीयों के साहस और बलिदान का प्रतीक है जिन्होंने एकजुट होकर ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी थी।
महात्मा गांधी के “करो या मरो” के आह्वान ने पूरे देश में एक नई ऊर्जा भर दी थी, जिसने पांच साल बाद भारत को स्वतंत्रता दिलाई। आइए, इस लेख में हम इस महान आंदोलन के महत्वपूर्ण पहलुओं को गहराई से समझते हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि | History of Quit India Movement
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जब अंग्रेज भारत से सैनिकों और संसाधनों की मांग कर रहे थे, तब भारत में स्वतंत्रता की मांग और तेज हो गई थी। अंग्रेजों ने भारतीयों को बिना उनकी सहमति के युद्ध में शामिल कर लिया था, जिससे भारी असंतोष था। इसी बीच, क्रिप्स मिशन की विफलता ने अंग्रेजों की मंशा पर से पर्दा उठा दिया। 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्य समिति ने “भारत छोड़ो” प्रस्ताव पारित किया, जिसे 8 अगस्त 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
आंदोलन के प्रमुख कारण | Main Reason Behind the Quit India Movement
- क्रिप्स मिशन की विफलता: इस मिशन ने भारतीयों को पूरी तरह से निराश कर दिया था, क्योंकि इसमें स्वतंत्रता के बजाय ‘डोमिनियन स्टेटस’ का वादा किया गया था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम: युद्ध के कारण भारत में महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई थी, जिससे आम जनता में असंतोष बढ़ रहा था।
- गांधीजी का आह्वान: गांधीजी का मानना था कि अंग्रेजों को तुरंत भारत छोड़ देना चाहिए, ताकि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी नियति का फैसला कर सके।
“करो या मरो”: एक निर्णायक क्षण
8 अगस्त 1942 को, मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान (जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है) में महात्मा गांधी ने अपना ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने “करो या मरो” का नारा दिया। यह नारा सिर्फ एक आह्वान नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता के लिए अंतिम लड़ाई का संकल्प था। उन्होंने कहा, “हम भारत को आजाद कराएंगे या इस प्रयास में मर जाएंगे।” इस एक नारे ने हर भारतीय को अपने देश की आजादी के लिए कुछ भी करने के लिए प्रेरित किया।
- नेतृत्व का अभाव: 9 अगस्त को गांधीजी और अन्य प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद आंदोलन नेतृत्वविहीन हो गया।
- जनता की सहज भागीदारी: नेताओं की अनुपस्थिति में जनता ने खुद इस आंदोलन की कमान संभाली। छात्रों, मजदूरों, किसानों और महिलाओं ने अभूतपूर्व साहस और संकल्प दिखाया।
- समानांतर सरकारें: इस दौरान देश के कई हिस्सों में समानांतर सरकारों का गठन किया गया, जैसे बलिया, तामलुक (बंगाल) और सतारा (महाराष्ट्र) में। यह दर्शाता है कि आंदोलन ने सिर्फ विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि स्वतंत्रता की एक ठोस तस्वीर पेश की।
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Quit India Movement History: अगस्त क्रांति का महत्व और विरासत
यह आंदोलन भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसने ब्रिटिश सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया कि अब भारत पर राज करना संभव नहीं है। यह आंदोलन भले ही अंग्रेजों द्वारा क्रूरता से दबा दिया गया हो, लेकिन इसने भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की जो आग जलाई, वह कभी नहीं बुझी।
एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस आंदोलन के दौरान 100,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और सैकड़ों लोग मारे गए, फिर भी जनता का हौसला नहीं टूटा।
निष्कर्ष और आगे की राह
आज, जब हम अगस्त क्रांति (Quit India Movement History) की 83वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, हमें सिर्फ उन बलिदानों को याद नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके सपनों के भारत को साकार करने का संकल्प भी लेना चाहिए। गांधीजी के “करो या मरो” के नारे को हमें आज के संदर्भ में समझना होगा। यह नारा आज भी हमें गरीबी, भ्रष्टाचार, जातिवाद और असमानता के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिसकी कल्पना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी।