पिछले कुछ समय से यूट्यूबर और बिग बॉस ओटीटी 2 के विजेता एल्विश यादव कानूनी पचड़ों में फंसे हुए थे। उन पर रेव पार्टियों में सांप के जहर के इस्तेमाल और तस्करी का आरोप लगा था, जिसने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं। इस मामले में पहले उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा हुए थे।
लेकिन अब एल्विश यादव को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह फैसला एल्विश और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी खबर है, और अब हम इस पूरे मामले को विस्तार से समझेंगे।
रेव पार्टी और सांप के जहर का मामला क्या है?
यह मामला तब शुरू हुआ जब एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी की संस्था ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ (PFA) ने नोएडा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, एल्विश यादव दिल्ली-एनसीआर में रेव पार्टियों का आयोजन करते थे, जहां विदेशी मेहमानों को बुलाकर सांप के जहर का इस्तेमाल किया जाता था।

- शिकायत का आधार: PFA ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए इस मामले का खुलासा किया था।
- आरोप: एल्विश पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और आईपीसी की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
- पुलिस कार्रवाई: नोएडा पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की और अप्रैल 2024 में 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 24 गवाहों के बयान शामिल थे। इस चार्जशीट में दावा किया गया था कि एल्विश का सपेरों से संबंध था।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: गिरफ्तारी पर क्यों लगी रोक?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एल्विश की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और एस.वी.एन. भट्टी की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एल्विश यादव की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला सुनाया।
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक रहेगी। यह फैसला इस बात को दर्शाता है कि अदालत ने फिलहाल आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सभी पक्षों को सुनने का निर्णय लिया है।
अतिरिक्त जानकारी:
- पहले की कार्यवाही: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मई 2025 में एल्विश की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई थीं।
- कानूनी प्रक्रिया: सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक अंतरिम राहत है। अंतिम फैसला सुनवाई के बाद ही आएगा।
इस मामले पर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि “जब तक किसी मामले में पर्याप्त सबूतों की कमी या प्रक्रियात्मक त्रुटियां न हों, तब तक सुप्रीम कोर्ट का इस तरह का हस्तक्षेप दुर्लभ होता है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो दर्शाता है कि अदालत सभी पहलुओं की गहन जांच करना चाहती है।”
निष्कर्ष और आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट से मिली इस राहत के बाद, एल्विश यादव को इस मामले में कुछ समय के लिए सुकून मिल गया है। हालांकि, यह केस अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
अदालत अभी भी सभी सबूतों और दलीलों पर विचार करेगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस हाई-प्रोफाइल मामले का अंतिम फैसला क्या होता है और क्या एल्विश यादव को बड़ी राहत स्थायी साबित होगी।