#VoteChori ‘Atom Bomb’: भारत के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से चुनावी प्रक्रिया पर बहस छिड़ गई है। इस बार, यह बहस कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस दावे से शुरू हुई है जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) पर “वोट चोरी” का गंभीर आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने न केवल आरोप लगाए हैं, बल्कि दावा किया है कि उनके पास ऐसे पुख्ता सबूत और डेटा हैं जो ECI की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।
इस लेख में, हम इस पूरे मामले को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि आखिर राहुल गांधी के आरोपों में कितना दम है।
क्या हैं राहुल गांधी के आरोप?
राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जानबूझकर मतदाता सूचियों में हेरफेर कर रहा है। उनका दावा है कि कुछ राज्यों में, खासकर महाराष्ट्र में, बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया है। इन आरोपों के पीछे, कांग्रेस का एक आंतरिक विश्लेषण है जिसमें चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं।

- फर्जी मतदाताओं का मुद्दा: राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी की जांच में एक लोकसभा क्षेत्र में 6.5 लाख मतदाताओं में से 1.5 लाख फर्जी पाए गए। यह एक बड़ा आँकड़ा है जो चुनाव की पवित्रता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
- मतदाताओं की रहस्यमयी वृद्धि: उन्होंने महाराष्ट्र में मतदाताओं की सूची में “रहस्यमयी तरीके से” 1 करोड़ से अधिक मतदाताओं के जुड़ने का दावा किया, जिसे उन्होंने #VoteChori का एक हिस्सा बताया।
- “एटम बम” जैसे सबूत: राहुल गांधी ने अपने सबूतों को “एटम बम” करार दिया है और कहा है कि जब वे सार्वजनिक होंगे तो पूरा देश ECI की भूमिका पर सवाल उठाएगा।
ECI और सरकार की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “निराधार और गैर-जिम्मेदाराना” बताया है। ECI ने कई बार राहुल गांधी और कांग्रेस को इन आरोपों पर चर्चा के लिए बुलाया, लेकिन उनका कहना है कि कांग्रेस की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इस मुद्दे पर, सरकार ने भी राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा है कि ये बयान लोकतंत्र के प्रति उनके अविश्वास को दर्शाते हैं।
डेटा क्या कहता है?
राहुल गांधी के आरोपों के केंद्र में डेटा ही है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच मतदाता सूचियों में हुए बदलावों का हवाला दिया है। हालांकि, ECI ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि मतदाता सूची में संशोधन एक नियमित प्रक्रिया है और यह सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ होता है।

एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी के अनुसार, “मतदाता सूचियों में संशोधन एक पारदर्शी प्रक्रिया है और इसमें हर साल नए मतदाताओं का पंजीकरण होता है।
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यह भी ध्यान देने योग्य है कि चुनाव में सुधारों के लिए ECI को लंबे समय से कई सुझाव मिलते रहे हैं। इसके बारे में और जानने के लिए, आप हमारे पिछले लेख “भारतीय चुनाव प्रणाली में सुधारों की आवश्यकता” पर जा सकते हैं।
निष्कर्ष और आगे की राह
राहुल गांधी के #VoteChori के आरोपों ने चुनावी प्रक्रिया में विश्वास की कमी को उजागर किया है। यह मामला सिर्फ एक राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर एक सवाल है।
यह जरूरी है कि ECI इन आरोपों पर और अधिक स्पष्टता लाए और सभी हितधारकों के साथ मिलकर एक पारदर्शी समाधान निकाले। जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि उनके वोट सुरक्षित हैं या नहीं।