BNS धारा 115
: कोई भी पुलिसकर्मी आपको नहीं मार सकता थप्पड़”
Image: AI
Image: AI
1. BNS धारा 115 में जानबूझकर चोट पहुँचाना अपराध है। उसकी व्याख्या, सजा और जमानत की जानकारी।
Image: AI
2. यदि इरादा या संभावना से चोट पहुंचनी हो और वास्तव में चोट हो जाए, यह मान्य अपराध है।
Image: AI
3. धारा 115(1) में वर्णित है—इरादा या पता होने पर चोट पहुँचाना ‘स्वैच्छिक चोट’ कहलाता है।
Image: AI
4. धारा 115(2) में अपराधी को एक वर्ष तक जेल या दस हजार रुपये जुर्माने या दोनों की सजा मिल
सकती है।
Image: AI
5. यह अपराध गैर-संज्ञेय नहीं, बल्कि गैर-संज्ञेय (non-cognizable) और जमानती (bailable) है।
Image: AI
6. यदि आपने जानबूझकर चोट पहुंचाया तो कोर्ट में जमानत आसानी से मिल सकती है।
Image: AI
7. आत्मरक्षा (self-defence), अज्ञानता या अनजाने में हुए कदम बचाव का आधार ब
न सकते हैं।
Image: AI
8. Provocation, सहमति या इंसल्ट के कारण चोट किसी स्थिति में वैध मानी जा सकती है।
Image: AI
9. धारा 115 का उद्देश्य नुकसान पहुँचाने वालों को दंडित करना और आम नागरिकों की सुरक्षा।
Image: AI
10. पुराने IPC प्रावधान जैसे 321-323 अब आधुनिक रूप से BNS 115 में शामिल किए गए हैं।
Image: AI
12. निष्कर्ष: BNS 115 जनता को जानबूझकर चोट से बचाने वाला आधुनिक कानूनी प्रावधान है।
Learn more