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UPI Payment Fee: क्या सरकार UPI पेमेंट पर शुल्क लगाने की योजना बना रही है? जानिए सच्चाई

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UPI Payment Fee: क्या सरकार UPI पेमेंट पर शुल्क लगाने की योजना बना रही है? जानिए सच्चाई

आज के दौर में शायद ही कोई ऐसा होगा जो UPI का इस्तेमाल नहीं करता हो। सुबह चाय की दुकान से लेकर रात के खाने तक, UPI ने हमारे भुगतान के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। यह इतना आसान और तेज़ है कि हमें नकद रखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन हाल ही में, एक अफवाह तेजी से फैल रही है कि सरकार UPI लेनदेन पर शुल्क (UPI payment fee) लगाने की योजना बना रही है।

इस खबर ने लाखों लोगों को चिंतित कर दिया है। क्या वाकई अब UPI से पेमेंट करना महंगा हो जाएगा? क्या डिजिटल इंडिया का यह सपना अब आम आदमी की जेब पर भारी पड़ेगा? इस लेख में, हम इन सभी सवालों के जवाब देंगे और जानेंगे कि सरकार का UPI पेमेंट पर शुल्क लगाने का कोई प्लान नहीं है।

UPI क्या है और यह इतना लोकप्रिय क्यों है?

Unified Payments Interface (UPI) भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित एक तत्काल भुगतान प्रणाली है। यह एक स्मार्टफोन एप्लिकेशन के माध्यम से दो बैंक खातों के बीच पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करती है। इसकी लोकप्रियता के कई कारण हैं:

  • तुरंत लेन-देन: पैसे तुरंत एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर हो जाते हैं।
  • सरल और सुविधाजनक: बस कुछ क्लिक में भुगतान हो जाता है।
  • सुरक्षित: यह एक सुरक्षित भुगतान प्रणाली है जो आपके बैंक खाते से सीधे जुड़ी होती है।
  • 24/7 उपलब्धता: यह सेवा दिन के 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन उपलब्ध है, यहां तक कि छुट्टियों पर भी।
  • सबसे महत्वपूर्ण: यह उपयोगकर्ताओं के लिए पूरी तरह से मुफ्त है।

UPI की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जून 2025 में, भारत में UPI के माध्यम से 18.4 बिलियन से अधिक लेन-देन हुए, जो पिछले साल की तुलना में 32% अधिक था। यह आंकड़ा UPI की पहुंच और विश्वसनीयता को दर्शाता है।

UPI पेमेंट शुल्क पर अफवाहों की सच्चाई

पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया और कुछ समाचार पोर्टल्स पर यह खबर फैल रही थी कि सरकार UPI लेन-देन पर शुल्क (UPI payment fee) लगाने पर विचार कर रही है। इन अफवाहों के पीछे मुख्य वजह यह थी कि इस सेवा को चलाने में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को लागत आती है, और यह लागत कौन वहन करेगा? आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी एक बार कहा था कि ‘UPI हमेशा के लिए मुफ्त नहीं रह सकता’, क्योंकि इसे चलाने की लागत किसी न किसी को तो वहन करनी होगी।

हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इन सभी अफवाहों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि UPI लेन-देन पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक बयान में साफ-साफ कहा कि सरकार का UPI पर किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन चार्ज लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसका मतलब है कि आप जैसे पहले UPI का इस्तेमाल करते थे, वैसे ही करते रहेंगे, बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के।

सरकार UPI को मुफ्त क्यों रखना चाहती है?

सरकार के इस फैसले के पीछे कई ठोस कारण हैं। UPI सिर्फ एक भुगतान प्रणाली नहीं है, बल्कि यह भारत के वित्तीय समावेशन और डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

  • डिजिटल इंडिया को बढ़ावा: सरकार का लक्ष्य भारत को एक डिजिटल-सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना है। मुफ्त UPI सेवा इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • आर्थिक विकास: छोटे व्यापारियों, रेहड़ी-पटरी वालों और आम लोगों के लिए UPI एक वरदान है। बिना किसी शुल्क के वे डिजिटल भुगतान स्वीकार कर सकते हैं, जिससे उनका कारोबार बढ़ता है और वे औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनते हैं।
  • सब्सिडी मॉडल: सरकार UPI पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों को सब्सिडी देती है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024-25 में, सरकार ने UPI लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी।
  • आम आदमी के हित में: UPI पेमेंट शुल्क लगाने से सबसे ज्यादा असर आम नागरिकों और छोटे व्यापारियों पर पड़ता, जो अब बड़ी आसानी से डिजिटल भुगतान का उपयोग कर रहे हैं। सरकार इस सुविधा को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाए रखना चाहती है।

क्या किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लगेगा?

यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। आम उपयोगकर्ताओं के लिए, UPI से बैंक-टू-बैंक लेन-देन पूरी तरह से मुफ्त रहेगा। हालांकि, कुछ मामलों में शुल्क लग सकता है, लेकिन यह ग्राहकों पर लागू नहीं होता:

  • PPI (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स): अगर आप किसी प्रीपेड वॉलेट (जैसे PhonePe वॉलेट) से ₹2000 से अधिक का भुगतान किसी मर्चेंट को करते हैं, तो उस पर इंटरचेंज शुल्क लग सकता है। लेकिन यह शुल्क मर्चेंट पर लगता है, ग्राहक पर नहीं।
  • क्रेडिट कार्ड से UPI: कुछ बैंक क्रेडिट कार्ड से UPI लेन-देन करने पर शुल्क लगा सकते हैं, लेकिन यह बैंक की नीतियों पर निर्भर करता है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये शुल्क UPI के कोर बैंक-टू-बैंक लेन-देन पर नहीं लगते हैं, बल्कि विशिष्ट सेवाओं पर लागू होते हैं।

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आपकी चिंताओं का समाधान: क्या करें और क्या न करें

अफवाहों से घबराना स्वाभाविक है, लेकिन अब जब सरकार ने स्पष्टीकरण दे दिया है, तो आप निश्चिंत होकर UPI का उपयोग कर सकते हैं।

  • सत्य की पुष्टि करें: किसी भी खबर पर विश्वास करने से पहले, आधिकारिक स्रोतों (जैसे वित्त मंत्रालय या आरबीआई की वेबसाइट) से उसकी पुष्टि करें।
  • अफवाहों को साझा न करें: बिना पुष्टि किए किसी भी जानकारी को सोशल मीडिया पर साझा न करें।
  • डिजिटल भुगतान जारी रखें: अपनी दैनिक लेन-देन के लिए UPI का उपयोग करना जारी रखें।

UPI की सफलता और भविष्य

UPI की सफलता की कहानी भारत के डिजिटल बदलाव का एक शानदार उदाहरण है। इसने न केवल भुगतान को सरल बनाया है, बल्कि यह लाखों लोगों को पहली बार डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ने का एक माध्यम भी बना है। भारत की डिजिटल भुगतान यात्रा में UPI मील का पत्थर साबित हुआ है। सरकार की इस पहल से यह सुनिश्चित होता है कि यह क्रांति सभी के लिए जारी रहेगी।

निष्कर्ष: बेफिक्र होकर करें UPI का इस्तेमाल

UPI पेमेंट शुल्क (UPI payment fee) को लेकर जो चिंताएं थीं, वे अब निराधार साबित हुई हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि UPI से लेन-देन ग्राहकों और व्यापारियों के लिए मुफ्त रहेगा। यह कदम डिजिटल इंडिया को और मजबूत करेगा और आर्थिक विकास को गति देगा। इसलिए, अगली बार जब आप अपनी चाय या किराने के सामान का भुगतान करें, तो बेझिझक UPI का उपयोग करें और डिजिटल भुगतान के इस शानदार अनुभव का लाभ उठाएं।

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