निखिल कामथ (Nikhil Kamath) एक ऐसा नाम है जो आज के दौर में सफलता, दृढ़ता और जोखिम लेने की क्षमता का पर्याय बन चुका है। अक्सर लोग सोचते हैं कि सफलता के लिए अच्छी डिग्री और बड़े कॉलेज की पढ़ाई जरूरी है, लेकिन निखिल कामथ की कहानी इस सोच को गलत साबित करती है। सिर्फ 10वीं पास, 14 साल की उम्र में मोबाइल फोन बेचने वाला और 17 साल में कॉल सेंटर की 8,000 रुपये की नौकरी करने वाला एक लड़का आज भारत के सबसे युवा अरबपतियों में से एक है।
उनकी नेटवर्थ, उनके करियर और जीवन का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम उनकी सफलता के पीछे की कहानी को गहराई से जानेंगे।
निखिल कामथ की प्रारंभिक जीवन (Nikhil Kamath Life) : छोटी शुरुआत, बड़े सपने
निखिल कामथ (Nikhil Kamath) का जन्म 5 सितंबर 1986 को कर्नाटक के शिमोगा में हुआ था। पढ़ाई में उनका मन कम लगता था और 10वीं कक्षा के बाद ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। यह कदम उनके माता-पिता के लिए शायद निराशाजनक था, लेकिन निखिल के मन में कुछ और ही चल रहा था। 14 साल की उम्र में, उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर सेकेंड-हैंड मोबाइल फोन खरीदना और बेचना शुरू कर दिया। यह उनका पहला व्यावसायिक अनुभव था, जिसने उन्हें बाजार की समझ दी।
- 17 साल की उम्र: उन्होंने 8,000 रुपये की मासिक सैलरी पर एक कॉल सेंटर में नौकरी शुरू की।
- स्टॉक मार्केट में एंट्री: दिन में कॉल सेंटर में काम करते हुए, उन्होंने अपनी जमा पूंजी को स्टॉक मार्केट में लगाना शुरू किया। शुरुआत में उन्हें कुछ खास समझ नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने बाजार के उतार-चढ़ाव को समझना शुरू किया।
insight: निखिल का यह शुरुआती सफर दिखाता है कि सफलता के लिए पारंपरिक रास्ते ही एकमात्र विकल्प नहीं होते। जोखिम लेना और अपनी गलतियों से सीखना ही उन्हें आगे ले गया।
करियर का टर्निंग पॉइंट: ‘जीरोधा’ का जन्म
निखिल कामथ (Nikhil Kamath) की असली यात्रा उनके बड़े भाई नितिन कामथ के साथ शुरू हुई। दोनों ने मिलकर अपनी सारी बचत को कामथ एसोसिएट्स नामक एक छोटे ब्रोकरेज फर्म में लगाया। साल 2010 में, जब भारत में ऑनलाइन ट्रेडिंग का चलन शुरू हो रहा था, उन्होंने इस मौके को पहचाना और “जीरोधा” की नींव रखी।
जीरोधा का नाम “जीरो” और “रोधा” (बाधा) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘बिना किसी बाधा के’। इस नाम के पीछे का विचार था कि ट्रेडिंग को हर किसी के लिए आसान और सस्ता बनाया जाए। जीरोधा ने पारंपरिक ब्रोकरेज फर्मों से बिल्कुल अलग मॉडल अपनाया।
- फ्री इक्विटी डिलीवरी: उन्होंने इक्विटी डिलीवरी पर कोई ब्रोकरेज नहीं लिया।
- लो-कॉस्ट ट्रेडिंग: इंट्राडे ट्रेडिंग पर न्यूनतम फ्लैट ब्रोकरेज चार्ज किया।
यह मॉडल भारतीय शेयर बाजार के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ। जीरोधा तेजी से बढ़ी और आज यह भारत की सबसे बड़ी रिटेल स्टॉक ब्रोकिंग फर्म बन चुकी है।
Stats: दिसंबर 2024 तक, हुरुन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जीरोधा का मूल्यांकन 7.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 64,800 करोड़ रुपये) था। (Source: Prabhat Khabar)
निखिल कामथ की नेटवर्थ (Nikhil Kamath Net Worth) और अन्य व्यवसाय: बहु-प्रतिभाशाली उद्यमी
जीरोधा (Zerodha ) की सफलता के बाद, निखिल ने अपने व्यापार का विस्तार किया। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत क्षमता और निवेश विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए ‘ट्रू बीकन’ (True Beacon) नामक एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों के लिए काम करती है।
इसके अलावा, वह एक फिनटेक इनक्यूबेटर, ‘रेनमैटर’ (Rainmatter) के सह-संस्थापक भी हैं, जो भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी (Fintech) स्टार्टअप्स को बढ़ावा देता है। उनकी नेटवर्थ का एक बड़ा हिस्सा जीरोधा में उनकी हिस्सेदारी से आता है। फोर्ब्स की 2024 की सूची में, उनकी अनुमानित संपत्ति लगभग 3.1 बिलियन डॉलर (लगभग 26,000 करोड़ रुपये) है।
परोपकार और भविष्य की योजनाएं: “गिविंग प्लेज”
निखिल कामथ केवल एक सफल उद्यमी नहीं हैं, बल्कि वे एक दूरदर्शी व्यक्ति भी हैं। उन्होंने ‘द गिविंग प्लेज’ (The Giving Pledge) में शामिल होकर अपनी आधी संपत्ति दान करने का फैसला किया है। यह बिल गेट्स और वॉरेन बफे द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है, जिसमें दुनिया के सबसे अमीर लोग अपनी अधिकांश संपत्ति को दान करने का संकल्प लेते हैं। वह अजीम प्रेमजी और रोहिणी व नंदन नीलेकणि जैसे दिग्गजों के बाद इस प्लेज में शामिल होने वाले सबसे युवा भारतीय हैं।
उनकी इस पहल का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सुधार लाना है। यह दर्शाता है कि उनकी सफलता केवल पैसों से नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी की भावना से भी मापी जाती है।
निष्कर्ष: आप भी सीख सकते हैं निखिल कामथ (Nikhil Kamath) से
निखिल कामथ का जीवन यह साबित करता है कि सफलता का कोई एक निर्धारित फॉर्मूला नहीं होता। उनकी कहानी से हमें कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:
- शिक्षा डिग्री से नहीं, अनुभव से मिलती है: स्कूल छोड़ने के बावजूद, उन्होंने स्टॉक मार्केट का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया।
- जोखिम लेने से न डरें: उन्होंने 8,000 रुपये की नौकरी छोड़कर अपने सपने का पीछा किया।
- सही पार्टनरशिप सफलता की कुंजी है: अपने भाई नितिन के साथ मिलकर उन्होंने एक ऐसा साम्राज्य बनाया जो अकेले संभव नहीं था।