आजकल बच्चे अपनी हर जरूरत और समस्या का हल AI चैटबॉट्स से खोजते हैं। पढ़ाई, रिश्ते या भावनाओं से जुड़ी बातें भी अब वे मशीन से पूछते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों की आलोचनात्मक सोच (critical thinking) और निर्णय लेने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है। गलत या भ्रामक जानकारी का खतरा भी बढ़ जाता है।
माता-पिता को बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए, उन्हें चैटबॉट्स की सीमाएँ समझानी चाहिए और तकनीक के संतुलित उपयोग की आदत डालनी चाहिए।
AI शुरू में पढ़ाई और असाइनमेंट में मदद करता था। बच्चे कठिन विषय समझने, नोट्स बनाने और निबंध लिखने में इसका उपयोग करते थे। धीरे-धीरे यह भावनात्मक सहारे की ओर बढ़ गया। बच्चे अपने डर, उदासी और अकेलेपन की भावनाएँ AI से शेयर करने लगे हैं।
कई बच्चे मानते हैं कि AI बिना जज किए सुनता है। मनोवैज्ञानिक इसे “डिजिटल भावनात्मक निर्भरता” मानते हैं। बच्चों को इंसानों से बातचीत कठिन लगती है, लेकिन मशीन हमेशा जवाब देती है और गुस्सा नहीं करती।
शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि संतुलित उपयोग से AI बच्चों के लिए लाभकारी हो सकता है। Personalized Learning से बच्चों की पढ़ाई उनकी गति के अनुसार होती है और सीखने की प्रक्रिया रोचक बनती है।
“AI चैटबॉट्स तुरंत जवाब देते हैं, जिससे बच्चे सोचने और सवाल करने की प्रक्रिया से दूर हो जाते हैं। यह उनकी आलोचनात्मक सोच को कमज़ोर करता है। बच्चों को सोचने की आदत फिर से विकसित करनी चाहिए।”
आज के डिजिटल युग में बच्चें अपना अधिक समय AI चैटबॉट में बिता रहे हैं और पढ़ाई से लेकर अपनी भावनाओं को उसमें शेयर कर उससे एडवाइस ले रहे हैं। जो कि बच्चों के लिए सही नहीं हैं।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संग के माध्यम से बताते है कि तकनीक का उपयोग करना ठीक है, लेकिन उसके ऊपर पूर्ण रूप से निर्भर होना सही नहीं है बच्चों में सामाजिक और आध्यात्मिक विकास के लिए उनको सत्संग की आवश्यकता है, जिससे बच्चे जीवन में सही दिशा में अग्रसर हो सके। और अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक “जीने की राह” अवश्य पढ़े।
AI चैटबॉट्स क्या हैं?
उत्तर: AI चैटबॉट्स ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम हैं जो इंसानों की तरह बातचीत करते हैं और सीखकर जवाब देते हैं।
बच्चे AI चैटबॉट्स क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं?
उत्तर: कई बच्चे इन्हें दोस्त या साथी मानते हैं क्योंकि यह हमेशा उपलब्ध रहते हैं और सुनते हैं।
इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर: अत्यधिक उपयोग से बच्चे वास्तविक रिश्तों से दूर हो सकते हैं, सामाजिक कौशल कम हो सकते हैं और मानसिक निर्भरता बढ़ सकती है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
उत्तर: बच्चों को तकनीक के साथ संतुलन सिखाना और माता-पिता को उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है।
संत रामपाल जी महाराज इस पर क्या कहते हैं?
उत्तर: बच्चों को तकनीक ज्ञान होना चाहिए, लेकिन शिक्षा, संस्कार और सामाजिक जानकारी सत्संग से प्राप्त करनी चाहिए, जिससे भविष्य उज्ज्वल बन सके।
The Reserve Bank of India (RBI) has released the official list of bank holidays for November 2025, confirming that both… Read More
November 1 turned into a vibrant celebration across India as eight states and the national capital marked their Foundation Day… Read More
As 31 October 2025 approached, the festival of Halloween was set to captivate millions around the globe, not just with… Read More
The West Bengal Council of Higher Secondary Education (WBCHSE) has officially declared the Higher Secondary (HS) 3rd Semester Result 2025-26… Read More
Indira Gandhi Death Anniversary 2025: On 31 October 2025, India marks the 41st death anniversary of Indira Gandhi , the… Read More
Friday morning turned out to be a nightmare for thousands of commuters on the Delhi Metro Red Line, as a… Read More
This website uses cookies.