Anna Mani Google Doodle [Hindi] | अन्ना मणि को आज गूगल ने डूडल बनाकर किया याद, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में भारत को किया था मजबूत

Anna Mani Google Doodle [Hindi] अन्ना मणि को आज गूगल ने डूडल बनाकर किया याद
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Anna Mani Google Doodle [Hindi] : ‘भारत की मौसम महिला’ के नाम से प्रसिद्ध अन्ना मणि ने मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया था. Anna Mani Google Doodle: दिग्गज सर्च इंजन गूगल (Google) एक खास डूडल के जरिए देश की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि को याद कर रहा है. गूगल ने अन्ना मणि की 104वीं जयंती के अवसर पर एक खास डूडल तैयार किया है. गूगल के होम पेज (google.com) पर अन्ना मणि और मौसम से जुड़े विभिन्न परिस्थितियों को दिखाया गया है.

‘भारत की मौसम महिला’ (Weather Woman of India) के नाम से प्रसिद्ध अन्ना मणि ने मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया था. उनकी वजह से मौसम की सटीक पूर्वानुमान लगाया संभव हो सका और उन्होंने रिन्यूएबल एनर्जी के इस्तेमाल के लिए मजबूत जमीन तैयार की. उन्होंने यूनाइटेड नेशंस के वर्ल्ड मौसम विज्ञान संगठन में भी प्रमुख पदों पर रहकर कार्य किया था.

कौन हैं अन्ना मणि ?

अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त, 1918 को केरल के पीरूमेडू में हुआ था. उन्होंने मौमस विज्ञान के क्षेत्र में ऐसा काम किया कि भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी उन्हें भारत की मौसम महिला कहते थे. अन्ना मणि की कोशिशों की वजह से ही भारत में मौसम का पूर्वानुमान लगाना संभव हुआ. उन्हीं के योगदान का सम्मान करते हुए गूगल ने उनके 104वें जन्मदिन पर खास डूडल बनाया

नामअन्ना मेडियाल मणी
जन्म23 अगस्त 1918 पीरमेडू, केरल
मृत्यु16 अगस्त 2001 (82) तिरुवनंतपुरम, केरल
नागरिकभारतीय
विवाहअविवाहित
प्रसिद्धिवैज्ञानिक
क्षेत्रMeteorology, Physics
संस्थानIndian Meteorological Department, Pune

अन्ना मणी ने लगभग हर किताब पढ़ी है 

बता दें आज ही के दिन साल 1918 में अन्ना मणी का पूर्व राज्य त्रावणकोर (वर्तमान केरल) में जन्म हुआ था. उन्होंने अपने शुरुआती साल किताबों में काफी महनत से लगाए. 12 साल की उम्र तक, मणि ने अपने सार्वजनिक पुस्तकालय में लगभग हर किताब पढ़ ली थी. वह अपने पूरी जीवन में एक उत्साही पाठक (Enthusiastic reader) बनी रहीं.

Anna Mani Google Doodle [Hindi] | अन्ना मणि को गूगल का सम्मान

अन्ना मणि की 104वीं जयंती पर गूगल ने कहा, ”104वां जन्मदिन मुबारक हो अन्ना मणि। आपके द्वारा किए गए कामों ने इस दुनिया को प्रेरित किया।” इस खास डूडल को देखने के बाद कई भारतीयों ने इस सम्मान के लिए गूगल की तारीफ की। एक इंटरनेट यूजर ने ट्विटर पर लिखा, ‘गूगल ने यह डूडल दुनिया के लिए बनाया है। हमें अपने भारतीय भौतिक विज्ञानी अन्ना मणि पर गर्व है।’ एक दूसरे व्यक्ति ने ट्वीट किया, ‘गूगल डूडल में अन्ना मणि। बहुत गर्व की बात है।’

शिक्षा और करियर (Career and Education of Anna Mani)

हाई स्कूल के बाद, उन्होंने महिला क्रिश्चियन कॉलेज (WCC) में अपना इंटरमीडिएट साइंस कोर्स किया और प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से भौतिकी और रसायन विज्ञान में ऑनर्स के साथ बैचलर ऑफ साइंस पूरा किया। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्होंने एक वर्ष के लिए डब्ल्यूसीसी में पढ़ाया और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की। यहां, नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन के मार्गदर्शन में, उन्होंने स्पेक्ट्रोस्कोपी का अध्ययन किया।

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1942 और 1945 के बीच, उन्होंने पांच पत्र प्रकाशित किए, अपनी पीएचडी शोध प्रबंध, और इंपीरियल कॉलेज, लंदन में स्नातक कार्यक्रम शुरू किया, जहां उन्होंने मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता हासिल की।

Anna Mani Google Doodle [Hindi] | Anna Mani को बचपन से ही था पढ़ाई का शौक

  • अन्ना मणि का जन्म वर्ष 1918 में केरल की एक सीरियन क्रिश्चियन फैमिली में हुआ था. उनके पिता एक सिविल इंजीनियर और नास्तिक थे. अन्ना मणि अपने परिवार के आठ बच्चों में सातवीं थी और उनकी पढ़ने में बहुत रुचि थी.
  • Vaikom Satyagraha के दौरान वह महात्मा गांधी से वह बहुत प्रभावित हुईं और उनके राष्ट्रवादी मुहिम से प्रभावित होकर उन्होंने सिर्फ खादी पहनना शुरू किया.
  • उनकी पढ़ने में रुचि इतनी अधिक थी कि आठ साल की उम्र तक उन्होंने मलयालम पब्लिक लाइब्रेरी की सभी किताबें पढ़ ली थी और बारह साल की उम्र तक अंग्रेजी की सभी. आठवें जन्मदिन पर जब उनके परिवार ने उन्हें हीरे के इयरिंग्स उपहार में दिए तो उन्होंने इसकी बजाय इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका की मांग की. किताबों की दुनिया ने उनकी जिंदगी को नया आकार दिया.
  • मणि बचपन में नर्तकी बनना चाहती थीं लेकिन उन्होंने अपनी पसंद के चलते फिजिक्स को चुना और चेन्नई (उस समय मद्रास) के पचईयाप्पस कॉलेज से फिजिक्स-केमिस्ट्री से 1939 में ग्रेजुएशन किया.
  • पचईयाप्पस कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने प्रोफेसर सीवी रमन के गाइ़डेंस में काम किया और रूबी व हीरे के ऑप्टिकल प्रॉपर्टी पर शोध किया. उन्होंने पांच रिसर्च पेपर लिखे और पीएसडी डिजर्टेशन सबमिट किया लेकिन उन्हें पीएचडी की डिग्री नहीं मिली क्योंकि उनके पास फिजिक्स की डिग्री नहीं थी.

Anna Mani Discovery | वेदर वुमन के नाम से मशहूर हैं अन्ना मनी

भारत की वेदर वुमन के नाम से प्रसिद्ध अन्ना मनी का जन्म 23 अगस्त 1918  को केरल के पीरमेद के सीरियाई क्रिश्चियन परिवार में हुआ था.  उन्होंने रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में काम किया था. उनके शोधकार्यों में मौसम विज्ञान के उपकरण के साथ सौर विकिरण, ओजोन, और पवन ऊर्जा पर कई प्रकाशित शोधपत्र शामिल हैं.

Anna Mani Google Doodle [Hindi] | बचपन से ही खादी को अपनाया

Anna Mani Google Doodle [Hindi] | अन्ना मनी के पिता एक सिविल इंजीनियर और ईश्वर के अस्तित्व को अज्ञात ही मानते थे. अन्ना मनी आठ बच्चों के परिवार में सातवीं संतान थीं. बचपन से ही उन्हें पढ़ने का खूब शौक था.  वे गांधी जदी के वाइकोम सत्याग्रह और राष्ट्रवादी स्वतंत्रता आंदोलन से बहुत प्रभावित थीं और बचपन से ही उन्होंने खादी को अपना लिया था.

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भौतिकी और मौसमविज्ञान

नृत्यकला में भी गहरी रुचि होने के बाद भी उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए भौतिकी विषय को चुना और 1939 में चेन्नई से इसी विषय में ऑनर्स के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अगले साल बेंगलूरू के भारतीय विज्ञान संस्थान में शोधकार्य के लिए स्कॉलरशिप भी हासिल की. इसके बाद वे लंदन के इंपीरियल कॉलेज में मौसमविज्ञान के उपरणों में विशेषज्ञता हासिल कर लौंटी थीं.

Anna Mani Google Doodle [Hindi] | मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता

साल 1942 और 1945 के बीच, उन्होंने पांच पत्र प्रकाशित किए, अपनी PHD शोध प्रबंध और इंपीरियल कॉलेज, लंदन में स्नातक कार्यक्रम शुरू किया, जहां उन्होंने मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता (Specialization in Meteorological Instrumentation) हासिल की.

देश विदेश में भी था नाम

अपने कार्य में अन्ना मनी इतनी समर्पित थीं कि उन्होंने कभी विवाह ही नहीं किया है.  वे भारत राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, इंटरनेशनल सोलर एनर्जो सोसाइटी, विश्व मौसमविज्ञान संगठन जैसी कई राष्ट्रीय एवं अतरराष्ट्रीय संस्थाओं की सदस्या थीं.  1987 में उन्होंने के आर रामानाथन पदक से सम्मानित किया गया था.

अन्ना मणि की उब्लब्धियां (Achievement of Anna Mani in Hindi)

बता दें कि अन्ना मणि को अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी, अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा सोसायटी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय भौतिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ से जुड़ी। जिसके बाद साल 1987 में उन्हें उनके कार्य के प्रति लगन व योगदान के बदले INSA K. R. Ramanathan Medal से नवाजा गया था।

Anna Mani Google Doodle [Hindi] | प्रकाशन (Publications)

  • हेंडबूक ऑफ सोलर रेडिएशन डेटा फॉर इंडिया 1980
  • सोलर रेडिएशन ओवर इंडिया 1981 प्रकाशित की।
  • विंड एनर्जि रिसोर्स सर्वे इन इंडिया 1992 

अन्ना मणि का निधन (Death of Anna Mani)

1994 में उन्हें दौरा पड़ा और 16 अगस्त 2001 को तिरुवनंतपुरम में उनका निधन हो गया । 

ताउम्र विज्ञान की होकर रहीं, कभी शादी नहीं की

1960 में अन्‍ना मणि ने वायुमंडल ओजोन को मापना शुरू किया।थुंबा रॉकेट लॉन्चिंग फैसिलिटी में एक मीटरोलॉजिकल ऑब्‍जर्वेटरी भी सेटअप की गई। 1976 में वह मौसम विज्ञान विभाग के डेप्‍युटी डायरेक्‍टर पद से रिटायर हुईं। फिर बेंगलुरु में तीन साल तक रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट में पढ़ाया। उन्‍होंने पास में ही मिलीमीटर-वेव टेलिस्‍कोप भी सेट कर रखा था। अस्‍सी के दशक में अन्‍ना मणि ने जो दो किताबें लिखीं वो नौजवान वैज्ञानिकों के लिए रेफरेंस टेक्‍स्‍ट समझी जाती हैं।

अन्ना को नहीं दी गई पीएचडी की डिग्री

लंदन में ही उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों की विशेषज्ञता हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पांच शोध पत्र लिखे और अपना पीएचडी रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया, लेकिन उन्हें पीएचडी की डिग्री नहीं मिली, क्योंकि उनके पास भौतिकी में मास्टर की डिग्री नहीं थी। 1948 में वे लंदन से भारत लौटी और मौसम विभाग में काम शुरू किया। उन्होंने मौसम विज्ञान उपकरणों से संबंधित शोध पत्र भी लिखे।


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