क्या आपने कभी सोचा है कि भविष्य में बच्चे मशीनों से पैदा होंगे, मां के गर्भ से नहीं? यह कोई साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसा विचार है जिस पर चीन में वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। हाल ही में चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे रोबोट की घोषणा की है जो गर्भधारण कर सकता है और कृत्रिम गर्भ (artificial womb) की मदद से बच्चे को जन्म दे सकता है। इस $13,000 के प्रोटोटाइप ने दुनिया भर में वैज्ञानिक और नैतिक बहस छेड़ दी है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस चौंकाने वाली तकनीक की गहराई में जाएंगे और जानेंगे कि यह इंसानी भविष्य को कैसे बदल सकती है।
यह खबर पहली बार जब सामने आई, तो इसे लेकर काफी विवाद और संदेह फैला। कई लोगों ने इसे फेक न्यूज़ बताया, लेकिन कुछ प्रतिष्ठित समाचार स्रोतों ने इसकी पुष्टि की है। चीन की कंपनी काइवा टेक्नोलॉजी के संस्थापक डॉ. झांग क्यूफेंग ने 2025 वर्ल्ड रोबोट कॉन्फ्रेंस में इस प्रोजेक्ट का खुलासा किया। उनका कहना है कि यह तकनीक उन जोड़ों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है जो बांझपन से जूझ रहे हैं या जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं करना चाहते हैं।
कृत्रिम गर्भ एक ऐसी तकनीक है जो मां के गर्भ के बाहर भ्रूण (embryo) को विकसित करने की सुविधा देती है। इसे ‘एक्टोजेनेसिस’ (Ectogenesis) भी कहा जाता है। इस तकनीक में एक बायोलॉजिकल पॉड या मशीन होती है जो भ्रूण को आवश्यक पोषक तत्व, ऑक्सीजन और उचित तापमान प्रदान करती है, ठीक वैसे ही जैसे मां का गर्भ करता है।
Also Read: AI Fiesta: क्या यह है सबसे पावरफुल AI ?
चीन के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया जा रहा रोबोट एक ह्यूमनॉइड (मानव जैसी आकृति) है, जिसके पेट में यह कृत्रिम गर्भ स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य सिर्फ भ्रूण को पालना नहीं, बल्कि पूरे 9 महीने की गर्भावस्था प्रक्रिया को दोहराना है, जिसमें प्रसव भी शामिल है।
इस रोबोट के काम करने की प्रक्रिया बेहद जटिल है, लेकिन इसे सरल भाषा में समझा जा सकता है:
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस रोबोट का कृत्रिम गर्भ वास्तविक गर्भ की तरह ही भ्रूण के विकास के हर चरण को प्रबंधित करने में सक्षम है।
यहां पर सबसे महत्वपूर्ण सवाल आता है: क्या यह सब सच में संभव है? विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी दावा है। कृत्रिम गर्भ पर शोध दशकों से चल रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी मानव भ्रूण को पूरे 9 महीने तक बाहर विकसित नहीं किया जा सका है। 2017 में फिलाडेल्फिया के बच्चों के अस्पताल में वैज्ञानिकों ने एक ‘बायोबैग’ में भेड़ के भ्रूण को सफलतापूर्वक विकसित किया था, जो एक बड़ी सफलता थी, लेकिन यह एक पूर्ण मानव गर्भावस्था से बहुत अलग है।
चीन में इस तरह के शोध को बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन दुनिया के अन्य हिस्सों में इस पर कड़ी नैतिक बहस चल रही है। भारत में भी इस तकनीक का स्वागत होने की संभावना कम है, क्योंकि भारतीय समाज में मातृत्व और परिवार का बहुत गहरा सांस्कृतिक महत्व है। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है।
एक विशेषज्ञ के अनुसार, “यह तकनीक भले ही भविष्य की ओर एक कदम हो, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्राकृतिक गर्भावस्था सिर्फ एक जैविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक अनुभव भी है।” इस तरह की तकनीक पर शोध जारी रहेगा, लेकिन हमें सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना होगा।
चीन के वैज्ञानिकों द्वारा ‘प्रेग्नेंट’ रोबोट बनाने का दावा एक क्रांतिकारी सोच को दर्शाता है। यह दिखाता है कि विज्ञान की सीमाएं कहां तक जा सकती हैं। हालांकि, इस तकनीक के वास्तविकता बनने से पहले कई बड़ी चुनौतियों को पार करना होगा। यह सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि एक नैतिक, कानूनी और सामाजिक बहस भी है। क्या हम एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार हैं जहां जीवन मशीनों द्वारा बनाया जा सकता है? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हमें आज ही सोचना शुरू करना होगा।
क्या आप इस तकनीक का समर्थन करते हैं? हमें नीचे कमेंट्स में बताएं कि आप इस विषय पर क्या सोचते हैं।
The Reserve Bank of India (RBI) has released the official list of bank holidays for November 2025, confirming that both… Read More
November 1 turned into a vibrant celebration across India as eight states and the national capital marked their Foundation Day… Read More
As 31 October 2025 approached, the festival of Halloween was set to captivate millions around the globe, not just with… Read More
The West Bengal Council of Higher Secondary Education (WBCHSE) has officially declared the Higher Secondary (HS) 3rd Semester Result 2025-26… Read More
Indira Gandhi Death Anniversary 2025: On 31 October 2025, India marks the 41st death anniversary of Indira Gandhi , the… Read More
Friday morning turned out to be a nightmare for thousands of commuters on the Delhi Metro Red Line, as a… Read More
This website uses cookies.