संतुलित आहार और आध्यात्मिक जीवन शैली से पाएं फैटी लिवर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से राहत

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संतुलित आहार और आध्यात्मिक जीवन शैली से पाएं फैटी लिवर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से राहत

संतुलित आहार: भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, लगभग 38% भारतीय अब इस रोग से प्रभावित हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके मुख्य कारण हैं, गलत खानपान, मोटापा, तनाव और निष्क्रिय जीवनशैली। अगर समय रहते पहचान कर ली जाए, तो यह रोग शुरुआती चरण में ही नियंत्रित किया जा सकता है।

फैटी लिवर होने के प्रमुख कारण

  • गलत खानपान: बहुत ज़्यादा तेल, तली-भुनी चीज़ें, फास्ट फूड और मीठे पेय पदार्थ (कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड जूस) लिवर में चर्बी जमा करते हैं।
  • निष्क्रिय जीवनशैली (Sedentary Lifestyle): शारीरिक गतिविधि की कमी से शरीर में फैट बर्न नहीं होता, जिससे लिवर में फैट जमा हो जाता है।
  • मोटापा (Obesity): अत्यधिक वजन इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाता है, जो फैटी लिवर का बड़ा कारण है।
  • शराब का अत्यधिक सेवन: अल्कोहल लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और फैट जमा होने की प्रक्रिया तेज करता है।
  • ब्लड शुगर और इंसुलिन रेजिस्टेंस: डायबिटीज़ या प्री-डायबिटीज़ वाले लोगों में लिवर में फैट जमा होने का खतरा अधिक होता है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स: खून में फैट की मात्रा बढ़ने से लिवर पर बोझ पड़ता है।
  • कुछ दवाइयाँ: स्टेरॉइड्स, टेट्रासाइक्लिन (Antibiotic), और कुछ हार्मोनल या कैंसर की दवाओं से भी यह रोग हो सकता है।
  • आनुवंशिक कारण (Genetic Factors): यदि परिवार में लिवर रोग का इतिहास है, तो जोखिम बढ़ जाता है।

 फैटी लिवर से बचने के प्रभावी उपाय

  • संतुलित आहार अपनाएं: हरी सब्ज़ियां, फल, साबुत अनाज और फाइबर युक्त भोजन खाएं। तली-भुनी व मीठी चीज़ों से परहेज करें।
  • नियमित व्यायाम करें: रोज़ाना 30–45 मिनट वॉक या योग करें।
  • वजन नियंत्रित रखें: धीरे-धीरे फैट घटाएं और बीएमआई सामान्य स्तर पर रखें।
  • शराब और धूम्रपान से दूर रहें।
  • पर्याप्त पानी पिएं: रोज़ाना 8–10 गिलास पानी पिएं ताकि शरीर डिटॉक्स हो सके।
  • प्राकृतिक डिटॉक्स फ़ूड्स लें: आंवला, हल्दी, ग्रीन टी और लहसुन लिवर को साफ और स्वस्थ रखते हैं।
  • नियमित जांच करवाएं: समय-समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) और अल्ट्रासाउंड कराएं।

आध्यात्मिक जीवनशैली से स्वास्थ्य और मन की शांति

फैटी लिवर जैसी बीमारियों से बचाव केवल दवाईयों या डाइट से नहीं, बल्कि संतुलित और आध्यात्मिक जीवनशैली से संभव है।

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तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग में बताते हैं कि मांस, मदिरा, तंबाकू और नशीले पदार्थ न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि आत्मिक शुद्धता में भी बाधक हैं।

कबीर परमात्मा ने भी स्पष्ट कहा है:

“मांस मछलियां खात है, सुरा पान सों हेत।

ते नर जड़ से जाहिंगे, ज्यों मूली का खेत॥”

अर्थात् जो मांस-मछली खाते हैं और शराब पीते हैं, वे मूली के खेत की तरह जड़ से नष्ट हो जाते हैं। आध्यात्मिक जीवन अपनाने से मन शांत होता है, तनाव घटता है और शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम बनता है। 

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फैटी लिवर से जुड़े प्रमुख FAQs

Q1. फैटी लिवर क्या है?

A1. जब लिवर में असामान्य मात्रा में फैट जमा हो जाता है, तो उसे फैटी लिवर कहा जाता है।

Q2. फैटी लिवर के कारण क्या हैं?

A2. मोटापा, गलत खानपान, शराब, डायबिटीज़, हाई कोलेस्ट्रॉल और कम शारीरिक गतिविधि इसके प्रमुख कारण हैं।

Q3. फैटी लिवर के लक्षण क्या हैं?

A3. थकान, पेट में भारीपन, भूख कम लगना, मिचली आना और गंभीर मामलों में जॉन्डिस।

Q4. फैटी लिवर की जांच कैसे की जाती है?

A4. लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT), अल्ट्रासाउंड या MRI से इसकी पहचान की जाती है।

Q5. फैटी लिवर का उपचार क्या है?

A5. संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, आध्यात्मिक जीवनशैली अपनाना, वजन नियंत्रित रखना और शराब व तंबाकू से दूरी रखना सबसे प्रभावी उपाय हैं।

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