Bhagat Singh Jayanti in Hindi | Bhagat Singh Birthday (Jayanti) [Hindi] | 27 सितंबर का दिन भारत के इतिहास में एक ऐसे वीर सपूत के नाम पर याद किया जाता है जो कभी अंग्रेजों के सामने नहीं झुका और भारत मां की रक्षा के लिए हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूल गया। आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मदिन है।
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भगत सिंह का जिंदगी का सफर
भगत सिंह का जन्म (Bhagat Singh Jayanti) 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। यह स्थान पर पाकिस्तान का हिस्सा है। हर भारतीय की तरह भगत सिंह का परिवार भी आजादी का पैरोकार था। उनके चाचा अजीत सिंह और श्वान सिंह भी आजादी के मतवाले थे और करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में गदर पाटी के सदस्य थे।
नाम: | भगत सिंह (Bhagat Singh) |
जन्म: | 28 सितंबर 1907, बंगा ब्रिटिश भारत |
माता-पिता: | विद्यावती – सरदार किशन सिंह |
संगठन: | नौजवान भारत सभा, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन |
पहचान: | भारतीय क्रांतिकारी, शहीद-ए-आज़म |
मृत्यु: | 23 मार्च 1931, लाहौर सेंट्रल जेल (उम्र: 23 वर्ष) |
स्मारक | हुसैनीवाला, राष्ट्रीय शहीद स्मारक |
Bhagat Singh Jayanti in Hindi | भगत सिंह कौन थे?
शहीद-ए-आजम भगत सिंह (28 सितंबर 1907 – 23 मार्च 1931) भारत के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, क्रांतिकारी विचारधारा और उग्र वामपंथी व्यक्तित्व वाले महान देशभक्त थे। साथ ही वे एक महान कवि, विचारक, लेखक तथा दूरदृष्टा भी थे जिन्होंने हसरत मोहानी के नारे ‘इंकलाब जिन्दाबाद’ को सच कर दिखाया। इस अमर शहीद के बारे में हमारी यह धारणा ब्रिटिश रिकार्ड के आधार पर बनी जिसे हमने अपने स्वतंत्र विचारों से परखने का प्रयास नहीं किया।
भगत सिंह का जन्म, परिवार एवं आरंभिक जीवन (Birth, Family and Early Life)
भगत का जन्म सिख परिवार में हुआ था, उनके जन्म के समय उनके पिता किशन सिंह जेल में थे. भगत सिंह ने बचपन से ही अपने घर वालों में देश भक्ति देखी थी, इनके चाचा अजित सिंह बहुत बड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय देशभक्ति एसोसिएशन भी बनाई थी, इसमें उनके साथ सैयद हैदर रजा थे. अजित सिंह के खिलाफ 22 केस दर्ज थे, जिससे बचने के लिए उन्हें ईरान जाना पड़ा. भगत के पिता ने उनका दाखिला दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल में कराया था.
भगत सिंह जयंती कैसे मनाते है?
भगत सिंह जयंती के अवसर पर, भारत में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में देशभक्ति गीतों का गायन, भाषण, नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में भी भगत सिंह के जीवन और कार्यों पर चर्चा की जाती है।
भगत सिंह के आखिरी शब्द क्या कहा था?
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। फांसी के दिन, भगत सिंह ने अपने अंतिम क्षणों में अपने साथियों को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में, उन्होंने कहा कि वे अपने देश के लिए मरने के लिए तैयार हैं और उन्हें कोई पछतावा नहीं है।
भगत सिंह ने फांसी के फंदे पर चढ़ने से पहले एक नारा भी लगाया था। यह नारा था “इंकलाब जिंदाबाद”। यह नारा आज भी भारत में स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष का प्रतीक है।
भगत सिंह के कुछ अंतिम शब्द इस प्रकार थे:
- “मैं अपने देश के लिए मरने के लिए तैयार हूं। मुझे कोई पछतावा नहीं है।”
- “मैं दुनिया में न्याय और समानता देखना चाहता हूं।”
- “मैं भारत को एक स्वतंत्र और प्रगतिशील राष्ट्र बनाना चाहता हूं।”
भगत सिंह के अंतिम शब्द भारत के लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष करना कभी भी आसान नहीं होता है, लेकिन यह एक ऐसा संघर्ष है जो लड़ने लायक है।
Bhagat Singh Jayanti in Hindi | एक शानदार लेखक भी थे भगत सिंह
भगत सिंह सिंह आजादी के मतवाले ही नहीं थे। भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक, लेखक और पत्रकार भी थे। वे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, बंगला और आयरिश भाषा के बड़े विद्वान थे। उन्होंने 23 वर्ष की उम्र में आयरलैंड, फ्रांस और रूस की क्रांति का के बारे गहरा अध्ययन कर लिया था। भगत सिंह को भारत में समाजवाद का पहला प्रवक्ता माना जाता है।
मात्र 23 साल की उम्र में फांसी
भगत सिंह का आजादी की जंग में कूदते ही अंग्रेजों में अफरा-तफरी मच गई थी. अंग्रेज उन्हें देखकर हैरान रह गए थे. उन्होंने अंग्रेजों को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथी राजगुरू और सुखदेव के साथ मिलकर असेंबली में बम फेंका था. जिसके बदले अंग्रेजों ने राजगुरु और सुखदेव समेत भगत सिंह को फांसी दे दी थी. भगत सिंह उस वक्त महज 23 साल के थे.
भगत सिंह जी की जीवनी (Bhagat Singh Biography in Hindi)
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब (ब्रिटिश भारत) के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में हुआ (जो अब पाकिस्तान में है)। यह एक संधू जाट खानदान था और पूरी तरह से भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल था उनके पिता, और दोनों चाचा उस समय के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे।
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भगत सिंह जी के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था जो गांधीवादी विचारधारा वाले स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी माता का नाम ‘विद्यावती’ था। तथा उनके चाचा का नाम सरदार अजीत सिंह और स्वरण सिंह था।
Bhagat Singh Jayanti in Hindi | Bhagat Singh Marriage (विवाह)
19 साल की उम्र में ही भगत सिंह के माता-पिता ने उनका विवाह करना चाहा लेकिन वह उस समय घर छोडकर चले गए और अपने माता-पिता के लिए एक पत्र छोड़ दिया जिसमें उन्होंने लिखा:
‘‘मेरा जीवन एक महान उद्देश्य के लिए समर्पित है
और वह उद्देश्य देश की आजादी है।
इसलिये मुझे तब तक चैन नहीं है।
ना ही मेरी ऐसी को सांसारिक सुख की इच्छा है..
जो मुझे ललचा सके।’’
शहीद भगतसिंह जयंती शायरी फोटो (Bhagat Singh Jayanti Quotes in Hindi)
- लिख रहा हूं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा। मेरे खून का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।।
- दिल से निकलेगी ना मरकर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से खुशबू ए वफा आएगी।|
- बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
- निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
- राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।
- व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।
- निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
- ‘आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं। बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की दरकार है।’
भगत सिंह ने देश के लिए क्या क्या किया?
भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया और हंसते हंसते देश के लिए शहीद हो गए। उन्होंने 14 साल की उम्र में ही भारत की स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों और रेलियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह को झकझोर कर रख दिया, जिसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम की ओर रुख किया और देश की स्वतंत्रता के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की।
काकोरी कांड
उन्होंने चंद्रशेखर आजाद जी के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन किए, इस दौरान 1925 में उन्होंने काकोरी कांड को अंजाम दिया जिसमें उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल और अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को लूट लिया था। वर्ष 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लाठीचार्ज किए जाने से लाला लाजपत राय की मौत हो गई, जिसका बदला लेने के लिए चंद्रशेखर आजाद की मदद से उन्होंने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अफसर जेपी सांडर्स को मार दिया।
Bhagat Singh Jayanti in Hindi | असेंबली में बम विस्फोट
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर दिल्ली स्थित सेंट्रल असेंबली के सभागार में अंग्रेजी सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके और अपनी गिरफ्तारी भी दी। उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद उन पर मुकदमा चला और ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई जिसके बाद 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष की आयु में उन्हें फांसी दे दी गई। उनकी पुण्यतिथि आज भी शहीद दिवस के रूप में मनाई जाती है।
भगत सिंह की क्रांतिकारी विचारधारा
जब भगत सिंह जवान थे, तभी से उन्होंने यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों और ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ गहन अध्ययन किया और क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित होनें के बाद इन्होंने क्रन्तिकारी बनने का फैसला किया। भगत सिंह जी अपने पिता और चाचा के विचारों से प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा लोगों को अंग्रेजों का विरोध करने के लिए प्रेरित किया। देश के प्रति निष्ठा और इसे अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने का द्रढ़ संकल्प भगत सिंह में जन्मजात था। देशभक्त परिवार में पैदा होने के कारण यह उनके नसों में खून बनकर दौड़ रहा था।
Bhagat Singh Jayanti in Hindi | बहुत कम उम्र में ही क्रन्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के कारण अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत करते हुए इंकलाब जिंदाबाद के नारे के साथ वे केवल 23 वर्ष की आयु में शहीद हो गए।
फाँसी के बाद क्या हुआ
आपको बता दे कि भगत सिंह व उनके साथियो को जब फाँसी की सजा सुनाई गयी थी तो मृत्यु की तारीख 24 तय की गयी थी। लेकिन भगत सिंह की लोकप्रियता के डर से अंग्रेजो ने 23 मार्च को ही उनकी फांसी की तैयारी कर ली थी।
भारत माता के वीर सपूत भगत सिंह की आखिरी इच्छा जब उनसे पूछी गयी तो उन्होने जेल कर्मचारी बोगा के हाथों से खाना खाने की इच्छा व्यक्त की थी। बोगो को वो प्यार से बेबे कहते थे। उनका कहना था कि माँ ही अपने बच्चो के मल-मूत्र को साफ कर सकती हैं। बोगा ने खाना देने से पहले मना कर दिया क्योंकि दलित होने के नाते उसे लगा कि एसा करना ‘पाप’ होगा। जबतक बोगा तैयार हुआ भगत सिंह को फाँसी के लिए लेकर अंग्रेज चले गए। (Bhagat Singh Death Anniversary)
भगत सिंह की मृत्यु के बाद उनके शरीर का क्या हुआ
देश के वीर सपूत को अंग्रेजी हुकुमत ने ना केवल धोखे से पकड़ा अपितु उन्हें वो उनके साथी सुखदेव व राजगुरू को शाम 7 से 7.30 बजे के बीच फांसी दे दी। जेल के मुख्य दरवाज़े पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। लोगों ने लाशें मांगी, लेकिन जेल प्रशासन घबरा गया, शवों के टुकड़े किए गए और ट्रक में भरकर जेल के पिछले दरवाज़े से फिरोज़पुर फेज दिया था।
बंदूकें बोने का इरादा
Bhagat Singh Jayanti in Hindi | भगत सिंह का बंदूक से परिचय बचपन से ही हो गया था और चाचा को देख कर उन्हें पता चला कि बंदूकें अंग्रेजों से आजादी हासिल करने के लिए एक प्रमुख हथियार या उपकरण हैं. एक दिन की बात है जब उनके पिता खेत में अपने किसी साथी के साथ बातचीत कर रहे थे तब वे भगत सिंह को भी अपने साथ ले गए थे. अचानक उन्हें भगत सिंह गायब दिखे जब ढूंढा गया तो देखा कि भगत खेत में खुदाई कर रहे हैं. पूछने पर भगत ने बताया कि वे बंदूकें बो रहे हैं जिससे अंग्रेजों को भगा सकें.
पंजाब के खटकड़ कलां में है शहीद-ए-आजम का पैतृक गांव
शहीद-ए-आजम भगत सिंह (Bhagat Singh village) का पैतृक गांव पंजाब के खटकड़ कलां में है. जहां उनका पुश्तैनी मकान मौजूद है. जिसकी देखरेख अब पुरातत्व विभाग करता है. यहां एक विशाल स्मारक और म्यूजियम भी बनाया गया है. स्मारक 11 एकड़ में फैला हुआ है. इस 15 अगस्त आप भगत सिंह के इस पैतृक गांव को देखने के लिए जा सकते हैं. हालांकि भगत सिंह का जन्म इस गांव में नहीं हुआ था लेकिन वो यहां बचपन में अपने दादा अर्जुन सिंह के साथ छुट्टियां बिताने के लिए आते थे.
भगत सिंह का जन्म लायलपुर में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है. बताया जाता है कि इस गांव में प्लेग की बीमारी फैलने के कारण भगत सिंह का परिवार खटकड़ कलां को छोड़कर लायलपुर चला गया था. खटकड़ कलां में घर भगत सिंह के परदादा फतेह सिंह ने 1885 में बनाया था. अब यह मकान हेरिटेज घोषित किया गया है आप इसे देख सकते हैं. इसके एक कमरे में भगत सिंह भी यहां आने पर रहा करते थे.
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