क्या आपने कभी ‘ब्लैक मून’ के बारे में सुना है? यह शब्द अपने नाम की तरह ही रहस्यमय लगता है। खगोल विज्ञान और ज्योतिष में, ब्लैक मून एक असामान्य घटना है जिसके कई अर्थ हो सकते हैं। इस विस्तृत ब्लॉग पोस्ट में, हम ब्लैक मून की अवधारणा, इसके इतिहास, विभिन्न प्रकारों और इससे जुड़े रोचक तथ्यों पर गहराई से चर्चा करेंगे। यदि आप खगोलीय घटनाओं और उनके रहस्यों में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित होगा।
ब्लैक मून कोई आधिकारिक खगोलीय शब्द नहीं है, जैसे कि पूर्णिमा या अमावस्या। इसके बजाय, यह एक लोकप्रिय शब्द है जिसका उपयोग विभिन्न चंद्र स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो सामान्य चंद्र चक्र से अलग होती हैं। सरल शब्दों में, ब्लैक मून चंद्रमा की एक अतिरिक्त अमावस्या या पूर्णिमा है जो एक कैलेंडर माह या एक मौसम में आती है। यह घटना अपेक्षाकृत दुर्लभ है और इसने हमेशा से ही खगोल विज्ञान के उत्साही लोगों और ज्योतिषियों को आकर्षित किया है।
“ब्रह्मांड रहस्यों से भरा है, और ब्लैक मून उनमें से एक है जो हमें प्रकृति की अद्भुत लय की याद दिलाता है।” – एक अज्ञात खगोलशास्त्री
ब्लैक मून की कोई एक सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। विभिन्न संदर्भों में इसके अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं:
यह सबसे आम परिभाषा है। एक मासिक ब्लैक मून तब होता है जब एक ही कैलेंडर माह में दो अमावस्याएँ आती हैं। दूसरी अमावस्या को ब्लैक मून कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्र चक्र लगभग 29.5 दिन का होता है, जो कि अधिकांश कैलेंडर महीनों से थोड़ा छोटा है।
एक अन्य परिभाषा के अनुसार, मौसमी ब्लैक मून तब होता है जब एक मौसम में (तीन महीने की अवधि में) चार अमावस्याएँ आती हैं। इस स्थिति में, तीसरी अमावस्या को मौसमी ब्लैक मून कहा जाता है।
एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति तब होती है जब फरवरी में कोई पूर्णिमा नहीं होती है। इसके परिणामस्वरूप जनवरी और मार्च दोनों में दो पूर्णिमाएँ होती हैं। कुछ परिभाषाओं के अनुसार, इस स्थिति में दूसरी अमावस्या को भी ब्लैक मून माना जा सकता है, हालांकि यह परिभाषा कम प्रचलित है।
‘ब्लैक मून‘ शब्द का कोई प्राचीन खगोलीय इतिहास नहीं है। यह एक आधुनिक शब्द है जो संभवतः खगोल विज्ञान के शौकीनों और मीडिया द्वारा गढ़ा गया है। हालांकि, चंद्रमा के असामान्य चरणों और उनकी व्याख्याओं में लोगों की रुचि सदियों पुरानी है।
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ऐसा माना जाता है कि ‘ब्लैक मून‘ शब्द का पहला ज्ञात उपयोग स्काई एंड टेलीस्कोप पत्रिका के मार्च 1946 के अंक में हुआ था। एक लेख में, लेखक ने गलती से एक ही महीने में दूसरी पूर्णिमा (जिसे अब ब्लू मून कहा जाता है) को ब्लैक मून के रूप में संदर्भित किया था। हालाँकि यह एक त्रुटि थी, लेकिन इस शब्द ने लोगों का ध्यान खींचा और धीरे-धीरे इसका उपयोग अमावस्या की असामान्य घटनाओं के लिए होने लगा।
समय के साथ, ‘ब्लैक मून‘ की विभिन्न परिभाषाएँ विकसित हुईं, जैसा कि हमने ऊपर चर्चा की। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पेशेवर खगोलविद ‘ब्लू मून’ जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं, लेकिन ‘ब्लैक मून‘ वैज्ञानिक शब्दावली का हिस्सा नहीं है। यह अधिक लोकप्रिय संस्कृति और ज्योतिषीय हलकों में उपयोग किया जाता है।
ज्योतिष में, ब्लैक मून को अक्सर एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है जो परिवर्तन, नए आरंभ और आंतरिक अन्वेषण से जुड़ा होता है। चूँकि अमावस्या स्वयं ही एक नए चंद्र चक्र की शुरुआत का प्रतीक है, एक अतिरिक्त अमावस्या (अर्थात ब्लैक मून) इन ऊर्जाओं को और तीव्र कर सकती है।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष एक छद्म विज्ञान है और इसकी भविष्यवाणियाँ वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हैं। ब्लैक मून का ज्योतिषीय महत्व व्यक्तिगत विश्वास और व्याख्या पर आधारित होता है।
यहाँ ब्लैक मून से जुड़े कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
ब्लैक मून एक आकर्षक खगोलीय घटना है जो हमें चंद्रमा के जटिल चक्र और हमारे कैलेंडर सिस्टम की बारीकियों की याद दिलाती है। चाहे आप इसे एक दुर्लभ खगोलीय संयोग मानें या ज्योतिषीय महत्व का समय, ब्लैक मून निश्चित रूप से जिज्ञासा और विस्मय पैदा करता है। अगली बार जब कोई ब्लैक मून आए, तो रात के आकाश पर ध्यान दें और ब्रह्मांड के रहस्यों पर विचार करें।
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