Chaudhary Charan Singh Death Anniversary [Hindi] : किसानो के मसीहा कहे जाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की 35वी पुण्यतिथि है। चौधरी चरण सिंह किसानो के लिए काफी काम करते थे, इसीलिए लोग उन्हें किसानो का हितैषी कहते थे। वही, चौधरी चरण सिंह जी ने देश के उत्थान और विकास के लिए कई ऐसे कदम उठाये जिसको लेकर न सिर्फ लोग उन्हें बल्कि उनके विचारो, उनके आदर्शो को भी याद करते है।
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सौम्यता की मिसाल थे Chaudhary Charan Singh
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समाज थापर नगर के पुरोहित रहे धर्मपाल 90 वर्षीय ने बताया कि 1962 से 65 तक मंदिर परिसर में रहते थे। चरण सिंह जी का उनसे गहरा लगाव था। बताया कि उक्त अवधि के बीच उन्होंने बेटे का नाम करण संस्कार कार्यक्रम आयोजित किया था। उस समय तक चौधरी साहब प्रदेश की राजनीतिक के फलक पर छाए हुए थे। कार्यक्रम आरंभ हो गया था। विद्वान प्रवचन कर रहे थे। वह आए और व्यवधान न हो इसलिए चुपचाप पीछे की पंक्ति में बैठ गए।
अंग्रेजों के खिलाफ किया था Chaudhary Charan Singh ने आंदोलन
- गांव भूपगढ़ी में रहने के दौरान चरण सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था। जिसके कारण 1941 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जिला कारागार में उन्हें बैरक नंबर 9 में रखा गया था। आज इस जिला कारागार का नाम भी चौधरी चरण सिंह के नाम पर ही है।
- उनके साथ उनके बचपन के दोस्त छोटनलाल उपाध्याय भी जेल गए थे। इन्होंने मेरठ, मवाना, सरधना, गाजियाबाद, बुलंदशहर आदि में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किए थे
चौधरी चरण सिंह का जीवन परिचय (Charan Singh Biography [Hindi] )
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | चरण सिंह जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | चौधरी चरण सिंह |
2. | जन्म | 23 दिसम्बर 1902 |
3. | जन्म स्थान | मेरठ, उत्तरप्रदेश |
4. | पिता | चौधरी मीर सिंह |
5. | पत्नी | गायत्री देवी(विवाह 1929) |
6. | बच्चे | पांच |
7. | मृत्यु | 29 मई, 1987 (दिल्ली) |
8. | राजनैतिक पार्टी | जनता पार्टी |
सादगी और सरलता के धनी थे Chaudhary Charan Singh
समाज थापर नगर के पुरोहित रहे धर्मपाल 90 वर्षीय ने बताया कि 1962 से 65 तक मंदिर परिसर में रहते थे। चरण सिंह जी का उनसे गहरा लगाव था। बताया कि उक्त अवधि के बीच उन्होंने बेटे का नाम करण संस्कार कार्यक्रम आयोजित किया था। उस समय तक चौधरी साहब प्रदेश की राजनीतिक के फलक पर छाए हुए थे। कार्यक्रम आरंभ हो गया था। विद्वान प्रवचन कर रहे थे। वह आए और व्यवधान न हो इसलिए चुपचाप पीछे की पंक्ति में बैठ गए।
जीवन पर छोड़ी गहरी छाप
धर्मपाल ने जब उनको देखा तो वह उनके पास पहुंचे और उन्हें आगे बैठने के लिए कहा। चौधरी साहब ने कहा नहीं वह यहीं ठीक हैं। धर्मपाल ने बताया कि आर्य समाज की शिक्षाओं की उनके जीवन पर गहरी छाप थी। थापर नगर आर्य समाज के प्रधान राजेश सेठी ने बताया कि चौधरी साहब गाजियाबाद आर्य समाज के प्रधान और मंत्री भी रहे। मेरठ में आर्य समाज की गतिविधियों में वह अक्सर शामिल होते थे।
चौधरी चरण सिंह का परिवार (Chaudhary Charan Singh Family in Hindi )
पिता का नाम (Father’s Name) | मीर सिंह |
माता का नाम (Mother’s Name) | नेत्र कौर |
भाई बहन का नाम (Siblings ’s Name) | 4 -नाम ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | गायत्री देवी (वर्ष 2002 में मृत्यु) |
बच्चे (Childrens ) | 5 बेटे -नाम ज्ञात नहीं |
किसानों के सबसे बड़े नेता थे चौधरी चरण सिंह
आल इंडिया लायर्स यूनियन मेरठ द्वारा चौधरी चरण सिंह की 35 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर डा. जीआर मलिक ने कहा कि चौधरी चरण सिंह जमींदारी और महाजनी व्यवस्था का खात्मा चाहते थे। वे किसानों की सत्ता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने किसान की कर्ज मुक्ति की बात की। उन्होंने जमींदारी खत्म करके किसानों को राहत प्रदान की।चौधरी चरण सिंह एक बड़े लेखक थे और उन्होंने कई किताबें लिखीं। यूनियन के पूर्व अध्यक्ष मुनेश त्यागी एडवोकेट ने कहा कि उन्होंने किसानों को वाणी प्रदान की। कार्यक्रम में बृजपाल दबथुआ, धर्म सिंह सत्याल, जीपी सलवानिया, मांगेराम, अनिल यादव, ब्रजवीर सिंह मलिक सचिव उत्तर प्रदेश ऑल इंडिया लायर्स यूनियन ने भी विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता अब्दुल जब्बार ने की और संचालन राजकुमार गुर्जर ने किया।
चौधरी चरण सिंह राजनीतिक करियर | Chaudhary Charan Singh Political Career
चौधरी चरण सिंह 1937 में छत्रौली द्वारा उत्तर प्रदेश की विधान सभा के लिए चुने गए और 1946, 1952, 1962 और 1967 में मतदाताओं का प्रतिनिधित्व किया। चौधरी चरण सिंह 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और , सार्वजनिक और चिकित्सा स्वास्थ्य, न्याय, सूचना, आदि विभाग में अपनी सेवा दी ।
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जून 1951 में उन्हें राज्य मंत्री और न्याय और सूचना विभागों का प्रभारी नियुक्त किया गया और बाद में, 1952 में, डॉ संपूर्णानंद के सरकार में, वित्त और कृषि मंत्री को दिया गया। उन्होंने 1959 में इस्तीफा दे दिया। अप्रैल 1959 वह आंतरिक और कृषि मंत्री (1960), कृषि और वानिकी मंत्री (1962-63) थे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया और 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का कार्यभार संभाला।
चौधरी साहब ने पढ़ाया अनुशासन का पाठ
छपरौली विस से पांच बार विधायक रहे चौधरी नरेंद्र सिंह बताते है कि 1952 में चौधरी साहब पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे। वह अपने साथी रमाला निवासी केदारनाथ सिंह और कासिमपुर खेड़ी निवासी अजब सिंह के साथ चौधरी साहब से मिलने लखनऊ पहुंचे। चौधरी साहब सुबह करीब साढ़े नौ बजे अपने बंगले से सचिवालय जाने के लिए निकल रहे थे। मुलाकात के दौरान ठंड की वजह से मैंने अपनी पेंट की जेब में हाथ डाल रखे थे। इस पर उन्होंने मुझसे कहा था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एटीट्यूड नहीं पढ़ाया जाता क्या? मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही वह बोले कि जब सामने उम्र में बड़ा आदमी बात कर रहा हो तो, जेब में हाथ डालकर खड़े रहना अशिष्टता होती है।
आजादी के बाद कांग्रेस का निभाया साथ
1951 में वे उत्तर प्रदेश कैबिनेट में न्याय एवं सूचना मंत्री बने. इसके बाद वे 1967 तक राज्य कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के तीन प्रमुख नेताओं में गिने जाते रहे. और भूमि सुधार कानूनों के लिए काम करते रहे. किसानों के लिए उन्होंने 1959 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में पंडित नेहरू तक का विरोध करने से गुरेज नहीं किया. इस समय तक ने उत्तर भारत के किसानों के आवाज बन चुके थे.
चरण सिंह का आजादी की लड़ाई में सहयोग
1929 में चरण सिंह ने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में प्रवेश किया, सर्वप्रथम इन्होने गाजियावाद में काँग्रेस का गठन किया. 1930 में गांधीजी द्वारा चलाये गये “सविनय अवज्ञा आन्दोलन” में नमक कानून तोड़ने का आव्हान किया, चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया था एवम “डांडी मार्च” में भी भाग लिया. इस दौरान इन्हें 6 माह के लिए जैल भी जाना पड़ा. इसके बाद इन्होने महात्मा गाँधी जी की छाया में खुद को स्वतन्त्रता की आँधी का हिस्सा बनाया .
चरण सिंह मृत्यु (Chaudhary Charan Singh Death)
29 मई 1987 को इनका निधन हो गया. इनकी पत्नी गायत्री देवी और पांच बच्चे थे. इनके पूर्वज राजा नाहर सिंह 1857 की क्रांति में भागीदारी थे. इस तरह देश प्रेम चरण सिंह के स्वभाव में व्याप्त था. इनकी अंग्रेजी भाष में अच्छी पकड़ थी, इन्होने कई पुस्तके भी इसी भाषा में लिखी थी.
चौधरी चरण सिंह प्रधान मंत्री के रूप में
जनता पार्टी में आपसी झगड़े के कारण मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई, जिसके बाद कांग्रेस और भाकपा चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने उन्हें बहुमत साबित किया।
चौधरी चरण सिंह द्वारा लिखित पुस्तकें
वह सादा जीवन व्यतीत करते थे और पढ़ना-लिखना पसंद करते थे। उन्होंने
- जमींदारी उन्मूलन’,
- ‘सहकारी खेती एक्स-रे’
- ‘भारत की गरीबी और इसका समाधान
- ‘किसान स्वामित्व या श्रमिकों को भूमि
- ‘एक निश्चित न्यूनतम से कम जोत के विभाजन की रोकथाम’
चौधरी साहब ने पढ़ाया अनुशासन का पाठ
छपरौली विस से पांच बार विधायक रहे चौधरी नरेंद्र सिंह बताते है कि 1952 में चौधरी साहब पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे। वह अपने साथी रमाला निवासी केदारनाथ सिंह और कासिमपुर खेड़ी निवासी अजब सिंह के साथ चौधरी साहब से मिलने लखनऊ पहुंचे। चौधरी साहब सुबह करीब साढ़े नौ बजे अपने बंगले से सचिवालय जाने के लिए निकल रहे थे। मुलाकात के दौरान ठंड की वजह से मैंने अपनी पेंट की जेब में हाथ डाल रखे थे। इस पर उन्होंने मुझसे कहा था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एटीट्यूड नहीं पढ़ाया जाता क्या? मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही वह बोले कि जब सामने उम्र में बड़ा आदमी बात कर रहा हो तो, जेब में हाथ डालकर खड़े रहना अशिष्टता होती है।
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Chaudhary Charan Singh के अनमोल विचार (Quotes & Thoughts in Hindi)
- असली भारत गांवों में रहता है.
- देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है.
- राष्ट्र तभी संपन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो.
- जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे. वो देश कभी, चाहे कोई भी लीडर आ जाये, चाहे कितना ही अच्छा प्रोग्राम चलाओ … वो देश तरक्की नहीं कर सकता.
- किसान इस देश का मालिक है, परन्तु वह अपनी ताकत को भूल बैठा है.
- चौधरी का मतलब, जो हल की चऊं को धरा पर चलाता है.
- किसानों की दशा सुधरेगी तो देश सुधरेगा.
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