भारतीय क्रिकेट की “नई दीवार” के नाम से मशहूर, चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने रविवार को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। उनका यह फैसला भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक बेहद ही भावुक क्षण है। पुजारा, जिन्होंने 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलकर भारतीय टीम को कई ऐतिहासिक जीत दिलाईं, अब मैदान पर नजर नहीं आएंगे। उनके इस संन्यास ने एक युग का अंत हुआ, एक ऐसा युग जो धैर्य, दृढ़ता और पारंपरिक टेस्ट क्रिकेट की भावना का प्रतीक था।
सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के माध्यम से, पुजारा ने अपने संन्यास की घोषणा की। उन्होंने लिखा,
“भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना, और मैदान पर हर बार अपना सर्वश्रेष्ठ देना – इसे शब्दों में बयां करना असंभव है। लेकिन जैसा कि कहते हैं, हर अच्छी चीज का अंत होता है, और मैं अपार कृतज्ञता के साथ भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले रहा हूं।”
यह पोस्ट उनके लाखों प्रशंसकों के लिए एक संदेश था, जिन्होंने दशकों तक उनकी धीमी लेकिन मजबूत पारियों का आनंद लिया।
चेतेश्वर पुजारा का करियर मुख्य रूप से टेस्ट क्रिकेट पर केंद्रित था, जहां उन्होंने खुद को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नंबर 3 बल्लेबाजों में से एक के रूप में स्थापित किया। राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद, पुजारा ने उस खाली जगह को प्रभावी ढंग से भरा और टीम के लिए एक मजबूत स्तंभ बन गए। उनका डिफेंस, क्रीज पर टिके रहने की क्षमता और गेंदबाजों को थकाने का धैर्य बेजोड़ था।
पुजारा का करियर सिर्फ आंकड़ों के बारे में नहीं था, बल्कि उन पारियों के बारे में था जो टीम को जीत की ओर ले गईं। सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2018-19 के दौरे पर उनकी 193 रनों की पारी एक बेहतरीन उदाहरण है। इस पारी ने भारत को मैच में मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया, जिससे अंततः भारत ने सीरीज जीती।
आधुनिक क्रिकेट के तेज-तर्रार युग में, पुजारा जैसे खिलाड़ी दुर्लभ हैं। जहां टी20 और वनडे क्रिकेट का प्रभाव बढ़ रहा है, पुजारा ने हमेशा पारंपरिक टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता दी। वह उन कुछ खिलाड़ियों में से थे जो समय की मांग के बजाय अपने खेल पर टिके रहे। उनकी बल्लेबाजी तकनीक और एकाग्रता की तुलना अक्सर महान राहुल द्रविड़ से की जाती थी।
पुजारा का करियर सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में भी शानदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने ससेक्स और यॉर्कशायर जैसी टीमों के लिए खेलते हुए कई शतक जड़े। यह उनकी क्लास और पारंपरिक टेस्ट क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है।
पुजारा का संन्यास (Cheteshwar Pujara) अचानक लग सकता है, लेकिन यह एक ऐसा फैसला था जिसकी उम्मीद कई लोग कर रहे थे। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023 फाइनल के बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया था। पिछले 26 महीनों से वह टीम से बाहर थे, और युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जा रहा था। हालांकि, उन्होंने घरेलू क्रिकेट में खेलना जारी रखा और रन बनाए, लेकिन भारतीय टीम में उनकी वापसी की राह मुश्किल हो गई थी।
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अब पुजारा अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताना चाहते हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में अपनी पत्नी पूजा और बेटी अदिति का भी जिक्र किया। परिवार के त्याग और समर्थन को स्वीकार करते हुए, उन्होंने कहा कि अब वह अपने जीवन के अगले पड़ाव में उन्हें प्राथमिकता देना चाहते हैं। पुजारा के इस फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।
चेतेश्वर पुजारा की कुल संपत्ति का सटीक आंकड़ा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह 2025 की शुरुआत तक लगभग ₹25 करोड़ होने का अनुमान है, जिसमें मुख्य रूप से घरेलू क्रिकेट और विज्ञापन से होने वाली आय शामिल है, क्योंकि वह वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय टीम या किसी भी आईपीएल फ्रैंचाइजी का हिस्सा नहीं हैं।
चेतेश्वर पुजारा का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा नुकसान है, खासकर टेस्ट फॉर्मेट में। उन्होंने भारतीय क्रिकेट की एक पीढ़ी को यह सिखाया कि जीत के लिए सिर्फ आक्रामक खेल नहीं, बल्कि धैर्य और दृढ़ता भी जरूरी है। उनकी शानदार पारियां, उनका शांत स्वभाव और मैदान पर उनकी उपस्थिति हमेशा याद रखी जाएगी।
खेल पत्रकार हर्षा भोगले ने एक बार कहा था, “जब आप पुजारा को देखते हैं, तो आप क्रिकेट की सबसे शुद्ध भावना को देखते हैं।” यह बात बिल्कुल सच है। पुजारा ने अपने खेल से साबित किया कि टेस्ट क्रिकेट अभी भी प्रासंगिक है।
चेतेश्वर पुजारा का संन्यास भारतीय क्रिकेट के एक अध्याय का अंत है। उन्होंने मैदान पर जो कुछ किया, वह सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रेरणा के रूप में था। उनका समर्पण, उनकी मेहनत और उनका जुनून आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल रहेगा। भारतीय क्रिकेट उनके योगदान के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा।
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