कर्मचारियों को वेतन न मिलने से दिल्ली में 20 करोड़ की लागत से बना स्मॉग टावर एक बार फिर हुआ बंद

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कर्मचारियों को वेतन न मिलने से दिल्ली में 20 करोड़ की लागत से बना स्मॉग टावर एक बार फिर हुआ बंद

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए साल 2021 में 20 करोड़ की लागत से बाबा खड़कसिंह मार्ग, कनॉट प्लेस (CP) में स्मॉग टॉवर बनवाया था। यह भारत का पहला स्मॉग टॉवर है, जिसे दिल्ली सरकार ने “पायलट स्टडी” नाम दिया था। लेकिन वर्तमान में दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित यह स्मॉग टॉवर बहुत ही खराब स्थिति में है।

वायु प्रदूषण से राजधानी की हवा दमघोंटू  हो चुकी है, ऐसे में टॉवर की खराब स्थिति चिंता बढ़ा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे चलाने वाली 10 सदस्यीय टीम (इंजीनियर्स, ऑपरेटर्स और हेल्पर्स) को सात महीने पहले हटा दिया गया था। अब टॉवर के न तो 40 पंखे चल रहे हैं और न ही प्रदूषण स्तर दिखाने वाली स्क्रीन। यह टॉवर ऊपर से हवा खींचकर नीचे से साफ हवा छोड़ता है। जबकि, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने पर GRAP का स्टेज-3 लागू कर दिया गया है।

दिल्ली स्मॉग टॉवर से जुड़ी मुख्य बातें

  • दिल्ली का स्मॉग टॉवर देश का पहला ‘स्मॉग टावर’ है।
  • माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ज़हरीली हवा में साँस ले रहे लोगों को राहत देने के लिए इसे स्थापित करने के निर्देश के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया।
  • दिल्ली में 24 मीटर ऊंचा स्मॉग टावर एक किलोमीटर के दायरे में प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को फिल्टर कर सकता है।
  • यह टावर 40 पंखों और 5000 फिल्टरों से निर्मित है जो दूषित हवा को खींचते हैं और शुद्ध हवा छोड़ते हैं। 
  • दिल्ली के एक अन्य प्रदूषण हॉटस्पॉट आनंद विहार में भी एक स्मॉग टॉवर लगा है।

क्या हैं स्मॉग टॉवर?

स्मॉग टॉवर (Smog Tower) एक बड़ी वायु शुद्धिकरण (Air Purification) मशीन है, जिसे वायु प्रदूषण कम करने के लिए खास तौर पर शहरी इलाकों में लगाया जाता है। इसका मुख्य कार्य हवा में मौजूद धूल कण (PM2.5, PM10), धुआं, और हानिकारक गैसों को फिल्टर करके साफ हवा छोड़ना होता है।

क्या करता है स्मॉग टॉवर?

स्मॉग टॉवर अपने अंदर लगी फिल्टर प्रणाली से प्रदूषित हवा को खींचता है। फिर अंदर मौजूद HEPA (High Efficiency Particulate Air) या कार्बन फिल्टर्स (Carbon Filters) हवा में से सूक्ष्म कणों (PM2.5, PM10) को अलग करके शुद्ध वायु को टॉवर के ऊपरी हिस्से से या चारों ओर से बाहर छोड़ता है।

कैसे कार्य करता है स्मॉग टॉवर?

स्मॉग टॉवर मुख्य दो तरीके से कार्य करता है:

1. एयर क्लीनिंग सिस्टम (Downdraft System )

इसमें हवा ऊपर से अंदर खींची जाती है और नीचे से साफ होकर बाहर निकलती है।

2. एयर क्लीनिंग सिस्टम (Up Draft System) 

इस सिस्टम में, हवा ज़मीन से अंदर खिंचती है और संवहन व तापन द्वारा ऊपर की ओर धकेली जाती है। टावर के शीर्ष पर, फ़िल्टर की गई हवा छोड़ी जाती है।

कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन: दिल्ली में 20 करोड़ का स्मॉग टॉवर किया बंद

दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 2021 में बंगला साहिब गुरुद्वारे के पास लगाया गया 20 करोड़ रुपये का स्मॉग टॉवर फिर से बंद हो गया है। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला, जिसके चलते उन्होंने टॉवर पर ताला जड़ दिया। यह टॉवर 24 मीटर ऊंचा है और 1 किलोमीटर के दायरे में हवा को शुद्ध करने की क्षमता रखता है।

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इसमें 40 पंखे और 5,000 फिल्टर लगे हैं। पहले इसे अप्रैल 2023 में बंद किया गया था, फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नवंबर में दोबारा शुरू किया गया था, लेकिन अब यह फिर से ठप्प है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुआ स्मॉग टॉवर फिर ठप्प, AAP ने केंद्र पर साधा निशाना

दिल्ली के मंत्री और आप (AAP) नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि “सारी ताकत कुछ अधिकारियों को दे दी गई है, जो अब मनमानी कर रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद स्मॉग टॉवर दोबारा शुरू किया गया था, लेकिन अब फिर से बंद कर दिया गया है। भारद्वाज के अनुसार, अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, इसलिए वे मंत्रियों के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की जानबूझकर की गई कुव्यवस्था बताया, जिससे दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास प्रभावित हो रही हैं।

स्मॉग टॉवर से संबंधित मुख्य FAQs

1. स्मॉग टॉवर क्या होता है?

उत्तर: स्मॉग टॉवर एक बड़ी वायु शुद्धिकरण मशीन है, जो प्रदूषित हवा को सोखकर साफ हवा छोड़ती है। इसका कार्य शहरों में वायु प्रदूषण को कम करना है।

2. दिल्ली में स्मॉग टॉवर कब और कहाँ लगाया गया था?

उत्तर: दिल्ली का पहला स्मॉग टॉवर 2021 में बंगला साहिब गुरुद्वारे के पास लगाया गया था। 

3. इसकी लागत कितनी आई थी?

उत्तर: स्मॉग टॉवर को बनाने में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत आई थी।

4. यह स्मॉग टॉवर कितनी हवा को शुद्ध कर सकता है?

उत्तर: यह टॉवर एक किलोमीटर के दायरे में प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करने की क्षमता रखता है।

5. टॉवर बंद क्यों किया गया?

उत्तर: टॉवर को बंद करने की मुख्य वजह कर्मचारियों को वेतन न मिलना जिसके कारण कर्मचारियों ने टॉवर को चलाना बंद कर दिया।

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