Haldwani Case News [Hindi]: हल्द्वानी अतिक्रमण हटाने पर SC की रोक, 4 हजार परिवार को राहत

Haldwani Case News [Hindi] हल्द्वानी अतिक्रमण हटाने पर SC की रोक
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Haldwani Case News [Hindi]: हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। जिससे यहां करीब चार हजार परिवारों को फिलहाल राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को भी नोटिस जारी किया है। अब सात फरवरी तक अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।

SC ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

SC ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण को गिराने का आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ, करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा।

लोगों को सता रहा था बेघर होने का डर

हल्द्वानी के लोगों को बेघर होने का डर सताने लगा है। काफी सालों से वनभूलपुरा के लोग यहां निवास कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उनके जहां घर हैं वहीं उनके छोटे मोटे कारोबार हैं। कोर्ट के आदेश पर अगर कार्रवाई हुई तो उनके घर के साथ उनकी दुकानें भी ध्वस्त हो जाएंगी। ऐसे में बेघर होने के साथ ही वो पूरी तरह से बेरोजगार हो जाएंगे। पिछले काफी दिनों से हल्द्वानी के लोग सड़कों पर बैठे हुए हैं। 

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यहां यह बताना जरूरी है कि अवैध कब्जा करने वाले अंग्रेजों के जमाने का 17 मई 1907 का नगरपालिका का कोई कागज उठा लाए थे, जिसमें कब्जे वाली जमीन को नजूल भूमि कहा गया था| अब आप को बताते चलें कि नजूल जमीन क्या होती है। यह एक उर्दू का शब्द है, जिसका मतलब है, वह भूमि जिसे 1857 के विद्रोह के कारण उसके मालिकों ने छोड़ दिया था, तब इस जमीन को अंग्रेजों ने ब्रिटिश रानी के नाम कर दिया| लेकिन हल्द्वानी में 1857 का विद्रोह हुआ ही नहीं, इसलिए यह जमीन नजूल की भूमि हो ही नहीं सकती| इसका जिक्र हाईकोर्ट के फैसले में भी किया गया है|

Haldwani Case News [Hindi]: क्या है पूरा मामला

27 दिसम्बर, 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में स्थित गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे। इसके लिए कोर्ट ने प्रशासन को हफ्ते भर का वक्त दिया था। इसी आदेश में कोर्ट ने प्रशासन से वनभूलपुरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लाइसेंसी हथियर भी जमा करवाने को कहा था। दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट भी रेलवे की जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर चिंता जताते हुए इसे जल्द से जल्द खाली करवाने के आदेश दे चुका है। अतिक्रमण हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं जिन पर आज सुनवाई होगी।

फैसले के विरोध में सड़क पर उतरे स्थानीय

उधर दूसरी तरफ अतिक्रमण की जद में आए लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया और इस ठंड में हजारों बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को बेघर न करने की सरकार से मांग की. दरअसल इस अतिक्रमण की जद में 4365 घर तोड़े जाने हैं जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रभावित होंगे. हालांकि प्रशासन अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी तरह तैयार है. 8 जनवरी तक हल्द्वानी में भारी फोर्स पहुंच जाएगी जिसके बाद ये कार्रवाई शुरू हो सकती है.

प्रशासन ने की अतिक्रमण हटाने की तैयारी

Haldwani Case News [Hindi]: कुमाऊं रेंज के आईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर 14 कंपनी पीएसी जिनमें पांच कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की मांग की गई है. इसके अलावा गढ़वाल रेंज से 1000 महिला, पुरुष सिपाही की डिमांड की गई है. बड़ी संख्या में होमगार्ड और कुमाऊं रेंज के पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी बुलाए गए हैं. साथ ही अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर जेसीबी पोकलैंड वेरेगेटिंग का सामान सहित अन्य महत्वपूर्ण आवश्यक चीजों को भी प्रशासन से उपलब्ध कराने को कहा गया है.

लोगों ने की सरकार से की फैसला वापस लेने की मांग

छात्र नेता ने कहा कि जब अडानी-अंबानी का कर्जा माफ हो सकता है. भगोड़ों का कर्जा माफ हो सकता है, तो मैं समझता हूं कि मुसलमानों पर जो जुल्म किया जा रहा है उसे रोकने के लिए भी कोई न कोई हल निकाला जाए. सालों पहले घर बनाए गए. किसी भी नीचे तबके के लोग के लिए छत गिरने का मतलब यह है कि वो पूरी तरह से कंगाल हो गया. वो घर कैसे बनाएंगे. अपने बीवी बच्चों को कैसे रखेंगे. ये आने वाली नस्ल का सवाल है. सरकार हिंदुस्तान की आवाज सुने और अपने फैसलों को वापस ले. 

Haldwani Case News [Hindi]: रेलवे ने दिया था सात दिनों का नोटिस

मामले में अतिक्रमणकारियों को रेलवे नोटिस जारी कर चुका हैं। पूर्वोत्तर रेलवे ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि 7 दिन के अंदर जगह खाली कर दें, नहीं तो जबरदस्ती अतिक्रमण हटाएगा। उस पर आने वाला खर्च कब्जेदारों से वसूला जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश पर बनभूलपुरा क्षेत्र से रेलवे की करीब 78 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाया जाना है। इस दौरान अतिक्रमण की जद में करीब 4365 घर आ रहे हैं। फिलहाल अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। देश की सुप्रीम अदालत अगर हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे नहीं देता तो 10 जनवरी के बाद धामी सरकार का बुलडोजर हल्द्वानी में 78 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से बने 4 हजार से ज्यादा परिवारों के आशियानों पर चलेगा।

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डर के साए में मुस्लिम आबादी

बस्ती में दहशत है, हर चेहरे पर तनाव है और दुआएं की जा रही हैं। यहां दिन-रात प्रदर्शन हो रहे हैं। किसी भी वक्त इस बस्ती में प्रशासन का बुलडोजर एक्शन में आ सकता है ऐसे में सबकी निगाहें आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की ज़मीन पर बनी इस बस्ती को अवैध करार देते हुए खाली करवाने के निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बात नैनीताल जिला प्रशासन ने बस्ती को खाली करवाने की औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं लेकिन स्थानीय कांग्रेस विधायक समेत कई लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।

Haldwani Case News [Hindi]: सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में क्या कहा गया है?

इस बस्ती को हटाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई है उसमें कहा गया है कि बनभूलपुरा के निवासी सालों से इस जगह पर रह रहे हैं, लिहाजा उन्हें यहां से हटाना ठीक नहीं है। रेलवे की जमीन पर डिमार्केशन नहीं हुआ है। रेलवे ने बार-बार केवल 29 एकड़ जमीन की बात कही थी, पर अब उसे क्यों बढ़ाया जा रहा है? एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर आज सबकी निगाहें लगी हैं तो वहीं उत्तराखंड में सरकारी अमले ने भी बस्ती खाली करवाने के लिए कमर कस ली है।

  • नैनीताल जिला प्रशासन जमीन खाली करने के लिए नोटिस दे चुका है
  • मौके पर पीएसी की 5 कंपनिया तैनात कर दी गई हैं
  • 8 जनवरी तक पीएसी की 3 और कंपनी तैनात कर दी जाएंगी
  • करीब 4000 से 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा रही है
  • सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी मांगी गई हैं
  • इलाके को जोन, सेक्टर और सुपरजोन में बांटा गया है
  • उत्तराखंड सरकार के अधिकारी स्थानीय लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं

रेजिडेंट्स ने लगाया वोट बैंक पॉलिटिक्स का आरोप 

ईशान सिंह ने कहा कि मैं बचपन से यहां रह रहा हूं. मेरे दादा-दादी यहीं के हैं. हाईकोर्ट का आदेश गलत है क्योंकि सभी दस्तावेज नहीं दिखाए गए हैं. यह नगरपालिका की जमीन है, लेकिन वे अपने कागजात नहीं दिखा रहे हैं. रेलवे की संपत्ति ट्रैक से 45 फीट की दूरी पर मानी जाती है. लेकिन वे लाइन से 200 मीटर से अधिक क्षेत्र में 78 एकड़ जमीन पर दावा कर रहे हैं. 

Haldwani Case News [Hindi]: इलाके के स्कूल, कॉलेज और मंदिर सभी तोड़े जाएंगे 

उत्तर-पूर्वी रेलवे द्वारा जारी किए गए नोटिसों में कहा गया है कि सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया जाएगा और अतिक्रमणकारियों से लागत वसूल की जाएगी. लाउडस्पीकरों से भी बार-बार इसकी घोषणा की गई है. इसके बाद गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की झुग्गियों में दहशत फैल गई है. यहां हिंदू और मुस्लिमों की मिक्स आबादी रहती है. किसी -किसी मोहल्ले में मुस्लिमों की तादाद ज्यादा है. यहां गर्ल्स कॉलेज, राजकीय इंटर कॉलेज, स्कूल, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर और एक शिव मंदिर भी है, जो सभी सकरार के निशाने पर है. इन सभी को तोड़ा जाना है. रेलवे ने दावा किया है कि उसके पास पुराने नक्शे, 1959 की एक अधिसूचना, 1971 के राजस्व रिकॉर्ड और 2017 के सर्वेक्षण के दस्तावजे हैं, जो जमीन पर रेलवे के मालिकाना हक को साबित करते हैं. 


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