सरकार ने हाल ही में आयकर विधेयक 2025 (Income Tax Bill 2025) को लोकसभा से वापस ले लिया है। इस फैसले ने करदाताओं और वित्तीय विशेषज्ञों के बीच हलचल पैदा कर दी है। यह विधेयक, जो 1961 के पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेने के लिए लाया गया था, अब नए और संशोधित रूप में सोमवार को संसद में पेश किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया कि विधेयक में कुछ तकनीकी और ड्राफ्टिंग संबंधी त्रुटियां थीं, जिन्हें दूर करने और प्रवर समिति (Select Committee) की सिफारिशों को शामिल करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
पुराने विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल और आधुनिक बनाना था, लेकिन अब नया संस्करण इसे और अधिक स्पष्ट और त्रुटि रहित बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह हर भारतीय नागरिक के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है, क्योंकि इसका सीधा असर उनकी वित्तीय योजना और कर देनदारी पर पड़ सकता है।
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क्यों वापस लिया गया Income Tax Bill 2025?
सरकार का यह निर्णय अचानक नहीं था। फरवरी 2025 में पेश किए गए विधेयक को समीक्षा के लिए भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में एक प्रवर समिति के पास भेजा गया था। इस समिति ने गहन अध्ययन के बाद अपनी 4,500 पन्नों की रिपोर्ट में 285 से अधिक सुझाव दिए थे। सरकार ने इनमें से अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
- ड्राफ्टिंग में त्रुटियां: पुराने मसौदे में कई अस्पष्ट और तकनीकी खामियां थीं, जो कानूनी विवादों को जन्म दे सकती थीं।
- प्रवर समिति के सुझाव: समिति ने करदाताओं के हित में कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया था, जिन्हें नए विधेयक में शामिल किया जाना आवश्यक था।
- अस्पष्टता दूर करना: एक ही विधेयक के कई संस्करणों से भ्रम की स्थिति पैदा होने की संभावना थी। नया संस्करण सभी संशोधनों को एक साथ समेकित करेगा।
एक अधिकारी के अनुसार, “नए मसौदे में सभी बदलावों को एक समेकित तरीके से दर्शाया जाएगा और सदन के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा।” यह कदम पारदर्शिता और स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

नए आयकर विधेयक 2025 में क्या हो सकते हैं संभावित बदलाव?
संशोधित आयकर विधेयक 2025 में कई ऐसे प्रावधान हो सकते हैं जो सीधे तौर पर आम करदाताओं को प्रभावित करेंगे। उम्मीद है कि ये बदलाव कर प्रक्रिया को और अधिक सरल और न्यायसंगत बनाएंगे।
यहां कुछ प्रमुख संभावित बदलाव दिए गए हैं:
- किराए की संपत्ति पर कर: प्रवर समिति ने “deeming rent” और वास्तविक किराए की तुलना को लेकर स्पष्टता लाने का सुझाव दिया था। इससे मकान मालिकों पर कर का बोझ कम हो सकता है।
- टीडीएस रिफंड: समिति ने छोटे करदाताओं को देर से आईटीआर फाइल करने पर भी टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति देने की सिफारिश की थी।
- मानक कटौती (Standard Deduction): नए विधेयक में वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 30% की मानक कटौती को लेकर स्पष्ट प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं, जिससे कर गणना आसान हो जाएगी।
- पुराने प्रावधानों की वापसी: कुछ ऐसे प्रावधान जो पुराने मसौदे में हटा दिए गए थे, उन्हें वापस लाया जा सकता है ताकि करदाताओं को कोई नुकसान न हो।
ये बदलाव करदाताओं के लिए राहत लेकर आ सकते हैं और मुकदमेबाजी को कम करने में मदद करेंगे।