Mangal Pandey Death Anniversary: मंगल पाण्डेय की 165 वीं पुण्यतिथि जानें 1857 की क्रांति के ‘महानायक’ की पूरी कहानी

Mangal Pandey Death Anniversary 8 अप्रैल को दी गयी मंगल पांडे को फ़ांसी
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Mangal Pandey Death Anniversary in Hindi: भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने का पहला श्रेय मंगल पांडे को जाता है. मंगल पांडे द्वारा लगाई आजादी की चिंगारी संपूर्ण भारत में दावानल की तरह ना फैल जाये, इस दहशत के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें मुकर्रर तिथि से दस दिन पहले यानी 8 अप्रैल 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर जेल में फांसी पर लटका दिया था. आजादी के प्रणेता फिरंगियों के प्रबल शत्रु मंगल पांडे की 165वीं पुण्य तिथि पर आइये जानें इस महायोद्धा की महागाथा.

क्यों दी गई थी मंगल पाण्डेय को फांसी?

इतिहास बताता है कि अंग्रेज़ों की फौज में मंगल पांडेय सिपाही थे. सिपाहियों के लिए अंग्रेज़ी शासन ने एनफील्ड नाम की राइफल के साथ जो नए कारतूस लॉंच किए थे, उनमें जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल हुआ था. कई सिपाहियों ने धार्मिक भावनाओं के चलते गाय और सूअर की चर्बी से बने कारतूसों का इस्तेमाल करने से मना किया था क्योंकि इन कारतूसों को मुंह से छीलकर बंदूक में भरा जाता था.

विद्रोह की कलम से आजादी की इबारत लिखने की कोशिश!

साल 1850 में ब्रिटिश सिपाहियों के लिए एनफील्ड राइफल दिया गया. यह 0.577 की बंदूक थी और दशकों पुरानी ब्राउन बैस के मुकाबले शक्तिशाली और अचूक थी. एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिए कारतूस को दांतों से काटकर खोलना पड़ता था. उसमे भरे बारूद को बंदूक की नली में भरने के बाद कारतूस डालते थे. कारतूस के खोल में चर्बी होती थी, जो उसे पानी के सीलन से बचाती थी. तभी खबर मिली की कारतूस की चर्बी सूअर और गाय के मांस से बनी है. सिपाहियों को लगा कि ब्रिटिश हुकूमत सोची-समझी साजिश के तहत हिंदू-मुसलमानों के धर्म से खिलवाड़ कर रही है. मंगल पांडे ने कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया.

Mangal Pandey Death Anniversary: जब अकेले पड़ गए थे मंगल पांडे

29 मार्च 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट रेजीमेंट के अफसर लेफ्टिनेंट बाग द्वारा जोर-जबर्दस्ती किये जाने पर मंगल पांडे ने उन पर हमला कर दिया. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किसी भी सैनिक (मंगल पांडे) का यह पहला विरोध था. जनरल हेयरसेये ने मंगल पांडे पर धार्मिक उन्माद का आरोप लगाते हुए सिपाहियों से तुरंत उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया. लेकिन सभी ने मंगल पांडे को गिरफ्तार करने से मना कर दिया.

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मंगल पांडे ने ‘मारो फिरंगियों को’ का हुंकार भरते हुए सिपाहियों से ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करने के लिए कहा, लेकिन सारे सिपाही मूक बने खड़े रहे. लेकिन मंगल पांडे ने हथियार उठा लिया था, उन्होंने सार्जेंट मेजर ह्यूसन को गोली मार दी. इसके बाद लेफ्टिनेंट वाग आगे बढ़ा, तो मंगल पांडे ने उसे भी गोली मारकर जख्मी कर दिया. पुलिस मंगल पांडे को गिरफ्तार करने आगे बढ़ी, उससे पहले ही मंगल पांडे ने खुद को गोली मार ली, परंतु घाव गहरा नहीं था. उन्हें गिरफ्तार कर उन पर कोर्ट मार्शल कर 18 मार्च को फांसी पर चढ़ाने की सजा दी गयी.

अंग्रेजों में दहशत और जब जल्लाद ने मंगल पांडे को फांसी देने से मना किया

ब्रिटिश हुकूमत को कोर्ट मार्शल द्वारा मंगल पांडे को फांसी के लिए 18 अप्रैल की तारीख लंबी लग रही थी. उन्हें भय था कि इन दस दिनों में मंगल पांडे को लेकर अगर देश भर में स्थिति विस्फोटक होती है, तो उसे संभालना मुश्किल हो जायेगा. उधर जल्लाद ने भी मंगल पांडे को फांसी देने से मना कर दिया था. खैर बाद में जल्लाद पर दबाव डालकर उसे तैयार कर लिया गया. और ब्रिटिश अधिकारियों की मिली भगत से मंगल पांडे को 10 दिन पहले यानी 8 अप्रैल 1857 को चुपचाप फांसी पर चढ़ा दिया गया.

Mangal Pandey Death Anniversary: बलिया में जन्मे थे क्रांतिकारी

क्रांतिकारी मंगल पांडेय का जन्म बलिया के निकट नगवा गांव में 19 जुलाई 1827 को सरयुपारी ब्राह्मण के घर हुआ था। पिता का नाम दिवाकर पांडेय और मां का नाम अभय रानी पांडेय था। मात्र 22 साल की उम्र में ही वे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में सिपाही के तौर पर शामिल हो गए थे। समय के साथ बदले हालात ने मंगल पांडेय को ब्रिटिश हुकूमत का दुश्मन बना दिया।

Mangal Pandey Death Anniversary: इसलिए किया था बंदूक लेने से इंकार

सिपाहियों के लिए साल 1850 में एनफिल्ड राइफल दिया गया। दशकों पुरानी ब्राउन बैस के मुकाबले शक्तिशाली और अचूक इस एनफिल्ड बंदूक को भरने के लिए कारतूस को दांतों की सहायता से खोलना पड़ता था। कारतूस के कवर को पानी के सीलन से बचाने के लिए उसमें चर्बी होती थी। इस बीच खबर मिली की कारतूस की चर्बी सूअर और गाय के मांस से बनी है।

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सिपाहियों ने इसे ब्रिटिश हुकूमत सोची-समझी साजिश के तहत हिंदू-मुसलमानों के धर्म से खिलवाड़ समझा। तभी मंगल पांडेय ने कारतूस का इस्तेमाल करने से इंकार कर दिया।

मंगल पांडे की पुण्यतिथि पर कोट्स (Mangal Pandey Quotes in Hindi)

मंगल पांडे के बलिदान दिवस पर शत् – शत् नमन।

मंगल पांडे जी के बलिदान दिवस पर कोटि – कोटि नमन।

मंगल पांडे की पुण्यतिथि पर शत् – शत् नमन।

वीर योद्धा मंगल पांडे की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।

राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले मंगल पांडे की पुण्यतिथि पर कोटि – कोटि नमन।

अमर शहीद मंगल पांडेय के बारे में खास बातें

  • उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में 30 जनवरी 1831 को एक ब्राह्मण परिवार में मंगल पांडे का जन्‍म हुआ था
  • कुछ इतिहासकार मंगल पांडेय का जन्‍म स्‍थान फैजाबाद के गांव सुरहुरपुर को बताते हैं
  • 1849 में 22 साल की उम्र में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए थे
  • भारत की आजादी का पहला श्रेय अमर शहीद मंगल पांडेय को जाता है
  • अंग्रेजों के खिलाफ मंगल पांडे ने ही सबसे पहले देश की आजादी का बिगुल बजाया था
  • 8 अप्रैल 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में फांसी दी गई थी।
  • स्थानीय जल्लादों के इनकार के बाद अंग्रेजों को कलकत्‍ता से जल्‍लादों को बुलाना पड़ा था

1857 का विद्रोह

विद्रोह की शुरुआत एक बंदूक की वजह से हुई. बंदूक को भरने के लिए कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था. कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी, जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी. सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है. 21 मार्च 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट मंगल पांडेय जो दुगवा रहीमपुर(फैजाबाद) के रहने वाले थे रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेंट बाग पर हमला कर उसे घायल कर दिया था.

Credit: Ministry of Information & Broadcasting

8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी

जनरल ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया. सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोड़ कर सारी रेजीमेंट ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया. मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिए कहा, लेकिन किसी के ना मानने पर उन्होंने अपनी बंदूक से अपनी प्राण लेने का प्रयास किया. परन्तु वे इस प्रयास में केवल घायल हुए. 6 अप्रैल 1557 को मंगल पांडेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी.


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