निमिषा प्रिया केस: केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया का मामला पिछले कई सालों से भारत और यमन दोनों जगह सुर्खियों में है। एक हत्या के आरोप में यमन की जेल में बंद निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई है। यह मामला न केवल एक व्यक्ति की जिंदगी का सवाल है, बल्कि यह विदेशों में काम कर रहे लाखों भारतीयों की सुरक्षा और अधिकारों को भी उजागर करता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम निमिषा प्रिया के मामले को विस्तार से समझेंगे, इसके पीछे की कहानी जानेंगे और सबसे महत्वपूर्ण, निमिषा प्रिया से जुड़ी नवीनतम समाचार और अपडेट्स पर बात करेंगे।
निमिषा प्रिया का मामला क्या है?
निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं, 2012 में एक नर्स के तौर पर यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक यमनी नागरिक, तलाल अब्दो महदी, के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला। निमिषा के वकीलों और परिवार के अनुसार, महदी ने बाद में उनका शोषण करना शुरू कर दिया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।
2017 में, अपने पासपोर्ट को वापस लेने के लिए, निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा दी, लेकिन उसकी ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। इसके बाद, निमिषा पर हत्या का आरोप लगा और उन्हें 2020 में यमनी अदालत ने मौत की सजा सुनाई।
निमिषा प्रिया केस में नया मोड़: फांसी टली पर खतरा बरकरार
निमिषा प्रिया केस: हाल ही में, इस मामले में एक बड़ा मोड़ आया। निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारतीय सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रयासों के बाद, यह सजा अनिश्चित काल के लिए टाल दी गई। हालांकि, यह राहत अस्थायी साबित हो रही है।
- फांसी रद्द होने की झूठी खबरें: कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि निमिषा की फांसी पूरी तरह से रद्द हो गई है, लेकिन विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन दावों का खंडन किया है।
- मृतक के परिवार की मांग: सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मृतक, तलाल महदी, के भाई अब्दुल फतह ने यमन के अधिकारियों को पत्र लिखकर निमिषा को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की है। उन्होंने किसी भी तरह के समझौते या “ब्लड मनी” (मृतक के परिवार को दिया जाने वाला मुआवजा) को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
यह दर्शाता है कि निमिषा की जान बचाने की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
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निमिषा प्रिया केस: सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास
निमिषा की जान बचाने के लिए भारत सरकार और कई सामाजिक संगठन लगातार प्रयास कर रहे हैं।
- राजनयिक हस्तक्षेप: विदेश मंत्रालय यमन में मौजूद भारतीय मिशनों के जरिए इस मामले पर नजर रख रहा है और यमनी अधिकारियों के साथ संपर्क में है।
- ब्लड मनी का प्रयास: यमनी कानून के अनुसार, अगर मृतक का परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर लेता है, तो मौत की सजा रद्द हो सकती है। हालांकि, जैसा कि ऊपर बताया गया है, मृतक का परिवार अभी तक इसके लिए तैयार नहीं हुआ है।
- कानूनी लड़ाई: भारतीय वकील भी इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी मदद जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
“ब्लड मनी का यह रास्ता ही निमिषा प्रिया को बचाने की आखिरी उम्मीद है। हमारे पास यही एक कानूनी विकल्प है।” – डॉ. सैमुअल जेरोम, सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल
आगे क्या?
निमिषा प्रिया का भविष्य अब पूरी तरह से मृतक के परिवार के फैसले पर निर्भर करता है। जब तक वे ब्लड मनी स्वीकार नहीं करते, फांसी का खतरा बना रहेगा। यह मामला हमें बताता है कि विदेशों में काम कर रहे भारतीयों को स्थानीय कानूनों और अपनी सुरक्षा के प्रति कितना सतर्क रहना चाहिए।