फूलन देवी (Phoolan Devi): दस्यु सुंदरी से जन-प्रतिनिधि तक का सफर

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फूलन देवी (Phoolan Devi), यह नाम भारतीय इतिहास में साहस, विद्रोह और विवाद का पर्याय बन गया है। एक ऐसी महिला जिसका जीवन डकैती, प्रतिशोध, और फिर राजनीति के भंवर में फंसा रहा। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ, और उनका बचपन गरीबी और सामाजिक उत्पीड़न से भरा था। लेकिन, फूलन ने कभी हार नहीं मानी।

उन्होंने अपने खिलाफ हुए अन्याय का प्रतिकार किया और एक ऐसा रास्ता चुना जिसने उन्हें ‘दस्यु सुंदरी’ से ‘जन-प्रतिनिधि’ बना दिया। आइए, उनके असाधारण जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से नज़र डालें।

कौन थीं फूलन देवी (Phoolan Devi)?

फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गोरहापुरवा गाँव में मल्लाह समुदाय में हुआ था। छोटी उम्र से ही उन्हें लैंगिक और जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। कम उम्र में शादी, अपहरण और गैंगरेप जैसी घटनाओं ने उन्हें विद्रोह करने पर मजबूर कर दिया। इन्हीं परिस्थितियों ने उन्हें बीहड़ों का रास्ता दिखाया और वह जल्द ही एक दुर्जेय डकैत गिरोह की नेता बन गईं।

Phoolan Devi Husband Name | फूलन देवी के पति का नाम क्या था?

फूलन देवी के पति का नाम उम्मेद सिंह था।

फूलन देवी का विद्रोह और बेहमई नरसंहार

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फूलन देवी (Phoolan Devi) का नाम विशेष रूप से 1981 के बेहमई नरसंहार से जुड़ा है। इस घटना में उन्होंने अपने साथ हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिए कथित तौर पर 20 उच्च जाति के पुरुषों की हत्या कर दी थी। यह घटना पूरे देश में सुर्खियों में आ गई और फूलन देवी एक डरावने, लेकिन कुछ लोगों के लिए, एक न्याय दिलाने वाली शख्सियत के रूप में उभर कर सामने आईं।

  • न्याय की लड़ाई: फूलन देवी का मानना था कि उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय का बदला लिया।
  • आत्मसमर्पण: 1983 में, उन्होंने मध्य प्रदेश के भिंड में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

फूलन देवी (Phoolan Devi): जेल से संसद तक का सफर

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फूलन देवी ने लगभग 11 साल जेल में बिताए। जेल में रहते हुए भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई। उनके जीवन पर कई किताबें लिखी गईं और बैंडिट क्वीन नामक एक फिल्म भी बनी, जिसने उनके जीवन को बड़े पर्दे पर उतारा। 1994 में, उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

  • राजनीतिक पारी: 1996 में, फूलन देवी ने उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की। यह उनके जीवन का एक अविश्वसनीय मोड़ था, जहाँ एक पूर्व दस्यु अब देश की संसद में बैठकर कानून बना रही थी।

फूलन देवी की विरासत और अंतिम अध्याय

फूलन देवी (Phoolan Devi) का राजनीतिक करियर छोटा लेकिन प्रभावशाली रहा। हालांकि, उनका अतीत हमेशा उनके साथ रहा। 25 जुलाई 2001 को नई दिल्ली में उनके आवास के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया।

फूलन देवी का जीवन कई मायनों में भारतीय समाज की जटिलताओं को दर्शाता है। वे एक ऐसे प्रतीक बन गईं जिन्होंने पितृसत्तात्मक समाज और जातिगत उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाई। उनका सफर, जो एक वंचित महिला से शुरू होकर एक डकैत और फिर एक सांसद तक पहुंचा, आज भी कई लोगों को प्रेरित करता है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि विपरीत परिस्थितियों में भी व्यक्ति अपने लिए एक रास्ता बना सकता है।

निष्कर्ष

फूलन देवी (Phoolan Devi) का जीवन एक ऐसी कहानी है जो हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे सामाजिक अन्याय और उत्पीड़न एक व्यक्ति को किस हद तक धकेल सकते हैं। उनका संघर्ष और उनकी वापसी, भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा दर्ज रहेगी। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि हर व्यक्ति को न्याय और सम्मान का अधिकार है, और जब यह अधिकार छीना जाता है, तो परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।

क्या आप फूलन देवी के जीवन के बारे में और जानना चाहेंगे या भारतीय इतिहास की किसी अन्य प्रभावशाली महिला के बारे में पढ़ना चाहेंगे?

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