Rajiv Gandhi Assassination Case [Hindi] | सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है।
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Rajiv Gandhi Assassination Case [Hindi] | सुप्रीम कोर्ट का आदेश
पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।’ संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को यह विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन को कोर्ट ने यह देखते हुए 9 मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली।
Rajiv Gandhi Assassination Case | सात आरोपी दोषी ठहराए गए थे
राजीव गांधी हत्याकांड में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था। सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया था। इसके बाद दोषियों ने रिहाई के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
21 मई 1991 को हुई थी राजीव गांधी की हत्या
21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या हुई थी। इसके बाद 11 जून 1991 को पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था।
Rajiv Gandhi Assassination Case | उम्रकैद में बदली थी मौत की सजा
शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी 2014 को पेरारीवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय किया था।
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दिल्ली की बदलती राजनीति के दौरान
1989 में दिल्ली में सत्ता बदली और नई वीपीसिंह सरकार ने श्रीलंका से आईपीकेएफ को वापस बुला लिया. इसी बीच अगस्त 1990 में राजीव गांधी ने भारत श्रीलंका समझौते का एक बार फिर पक्ष लिया और अखंड श्रीलंका की बात की. इससे लिट्टे का ईलम का सपना टूटता दिखा और उसने समझ लिया कि अगर राजीव दोबारा प्रधानमंत्री बने तो यह सपना टूट जाएगा. लिहाजा लिट्टे ने उनकी हत्या की साजिश शुरू कर दी.
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Rajiv Gandhi Assassination | “मेरी आंखों के सामने बम फटा”
- नीना याद करती हैं, “मुझे सुमन से बातें करते हुए दो मिनट भी नहीं हुए थे कि मेरी आंखों के सामने बम फटा. मैं आमतौर पर सफ़ेद कपड़े नहीं पहनती. उस दिन जल्दी-जल्दी में एक सफ़ेद साड़ी पहन ली. बम फटते ही मैंने अपनी साड़ी की तरफ़ देखा. वो पूरी तरह से काली हो गई थी और उस पर मांस के टुकड़े और ख़ून के छींटे पड़े हुए थे. ये एक चमत्कार था कि मैं बच गई. मेरे आगे खड़े सभी लोग उस धमाके में मारे गए थे.”
- नीना बताती हैं, “बम के धमाके से पहले पट-पट-पट की पटाखे जैसी आवाज़ सुनाई दी थी. फिर एक बड़ा सा हूश हुआ और ज़ोर के धमाके के साथ बम फटा. जब मैं आगे बढ़ीं तो मैंने देखा लोगों के कपड़ो में आग लगी हुई थी, लोग चीख रहे थे और चारों तरफ़ भगदड़ मची हुई थी. हमें पता नहीं था कि राजीव गांधी जीवित हैं या नहीं.”
- श्रीपेरंबदूर में उस भयंकर धमाके के समय तमिलनाडु कांग्रेस के तीनों चोटी के नेता जी के मूपनार, जयंती नटराजन और राममूर्ति मौजूद थे. जब धुआँ छटा तो राजीव गाँधी की तलाश शुरू हुई. उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा हुआ था. उनका कपाल फट चुका था और उसमें से उनका मगज़ निकल कर उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता के पैरों पर गिरा हुआ था जो स्वयं अपनी अंतिम घड़ियाँ गिन रहे थे.
दस बज कर पच्चीस मिनट पर 10 जनपथ में
- इतने में राजीव गांधी का ड्राइवर मुझसे आकर बोला कि कार में बैठिए और तुरंत यहाँ से भागिए. मैंने जब कहा कि मैं यहीं रुकूँगी तो उसने कहा कि यहाँ बहुत गड़बड़ होने वाली है. हम निकले और उस एंबुलेंस के पीछे पीछे अस्पताल गए जहाँ राजीव के शव को ले जाया जा रहा था.”
- दस बज कर पच्चीस मिनट पर दिल्ली में राजीव के निवास 10, जनपथ पर सन्नाटा छाया था. राजीव के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज अपने चाणक्यपुरी वाले निवास की तरफ़ निकल चुके थे.
- जैसे ही वो घर में दाख़िल हुए, उन्हें फ़ोन की घंटी सुनाई दी. दूसरे छोर पर उनके एक परिचित ने बताया कि चेन्नई में राजीव से जुड़ी बहुत दुखद घटना हुई है.
- जॉर्ज वापस 10 जनपथ भागे. तब तक सोनिया और प्रियंका भी अपने शयन कक्ष में जा चुके थे. तभी उनके पास भी ये पूछते हुए फ़ोन आया कि सब कुछ ठीक तो है. सोनिया ने इंटरकॉम पर जॉर्ज को तलब किया. जॉर्ज उस समय चेन्नई में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी से बात कर रहे थे. सोनिया ने कहा जब तक वो बात पूरी नहीं कर लेते वो लाइन को होल्ड करेंगीं.
- नलिनी ने इस बात की पुष्टि की कि राजीव को निशाना बनाते हुए एक धमाका हुआ है लेकिन जॉर्ज सोनिया को ये ख़बर देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. दस बज कर पचास मिनट पर एक बार फिर टेलीफ़ोन की घंटी बजी.
हत्याकांड में पेरारिवलन की भूमिका
21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के बाद 11 जून 1991 को एजी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था क्योंकि बम धमाके के मास्टरमाइंड शिवरासन को हत्याकांड के लिए इस्तेमाल की गई 9 वोल्ट की दो बैटरियाँ खरीद कर पेरारिवलन ने हीं दिया था. इन बैटरियों का इस्तेमाल बम बनाने के लिए किया गया था. बाद में इन्हीं बमों का इस्तेमाल करके तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बम धमाके में उड़ा दिया गया था.
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