Solar Eclipse 2021 Time in India: आज यानी 10 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2021) लगने जा रहा है। यह वलयाकार रूप में दिखाई देगा। भारत में इस सूर्यग्रहण 2021 (Surya Grahan 2021) को नहीं देखा जा सकेगा। इसके अलावा आज ज्येष्ठ अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है। इस सूर्य ग्रहण को भारत के अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और लद्दाख (Laddakh) के कुछ हिस्सों में ही सूर्यास्त से कुछ समय पहले देखा जा सकेगा। यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा और शाम 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
Solar Eclipse 2021 Time and City: भारत के इस राज्य में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य के पास से शाम लगभग 5:52 बजे (Solar Eclipse 2021 Time) इस खगोलीय घटना को देखा जा सकेगा। वहीं, लद्दाख के उत्तरी हिस्से में जहां, शाम लगभग 6.15 बजे सूर्यास्त होगा, शाम लगभग 6 बजे सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा। देश के बाकी राज्यों में इस सूर्यग्रहण को लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए देखा जा सकेगा।
गीता जी के अनुसार सूर्यग्रहण
ऐसे समय को सूतक काल कहते हैं और गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की सलाह दी जाती है लेकिन यह एक आम दिवस है जिसमें खगोलीय घटना हो रही है। यह सूतक और उसके प्रभाव आदि मानना व्यर्थ है। क्यों व्यर्थ है? भगवान सदैव सबसे शक्तिशाली होते हैं। पर मंदिरों के पट बंद करके क्या वे कैद हो गए? क्या वे बाहर नहीं निकल पाएंगे? क्या वे केवल मंदिर में ही रहते हैं? नहीं।
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वास्तव में हमें बताया गया कि सभी भगवान बराबर हैं। स्वयं नकली धार्मिक गुरुओं ने ज्ञान न होने के कारण वास्तविक ज्ञान से अनजान रखा और ग्रहण के साथ अन्य अंध श्रद्धा वाली भक्ति जोड़ दी।
गीता अध्याय (Gita Adhyay) 15 के श्लोक 1 से 2 में उल्टे वृक्ष के माध्यम से बताया गया है कि अविनाशी परमात्मा अलग है जो विवश नहीं है, किसी के आश्रित नहीं है, किसी विधि विधान से बंधा नहीं है, सारी चीजें बदलने की सामर्थ्य रखता है। वह कबीर साहेब जी है। उसके बाद इस लोक का स्वामी क्षर पुरुष फिर अक्षर ब्रह्म, और फिर आते हैं तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश। इस प्रकार की सृष्टि रचना है जो ग्रहण जैसी घटनाओं से पूरी तरह अप्रभावित है।
Credit: BBC Hindi
ग्रहण के कारण लोग सूतक को अशुभ समय मानते हैं। सनातन धर्म के आदि ग्रन्थ वेदों में कहीं भी इस अंध श्रद्धा का उल्लेख नहीं है। न ही भागवत गीता में है। गीता (Gita) अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध आचरण करने वाले किसी गति को प्राप्त नहीं होते हैं। ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसका भक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है। शास्त्रों को गहराई से समझने के लिए सन्त रामपाल जी महाराज के सत्संग साधना TV पर रात 7:30pm से अवश्य सुनें तथा “अंधश्रद्धा भक्ति खतरा ए जान” पुस्तक वेबसाइट से डाउनलोड करके पढ़ें।
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