Space Debris Removal [Hindi]: अमेरिकी सरकार के मुताबिक सॉफ्टबॉल से बड़े मलबे के लगभग 23,000 टुकड़े पृथ्वी के चक्कर लगा रहे हैं। 1 सेमी से बड़े मलबे के 5 लाख टुकड़े हैं और करीब 1 मिमी या उससे बड़े मलबे के 100 मिलियन टुकड़े ऑर्बिट में मौजूद हैं।
बात है 1978 की, नासा के वैज्ञानिक डोनाल्ड केसलर ने अंतरिक्ष के ‘कबाड़खाने’ में तब्दील होने की चेतावनी दी। उनकी इस थ्योरी को ‘केसलर सिन्ड्रोम’ के नाम से जाना गया जिसके मुताबिक पृथ्वी की कक्षा में मौजूद कचरा एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगा जहां यह और अधिक मात्रा में खगोलीय मलबा पैदा करेगा जो सक्रिय सैटेलाइट्स, ऐस्ट्रोनॉट्स और मिशन प्लानर्स के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकता है। इंसान को अंतरिक्ष में पहला कदम रखे 50 साल से अधिक समय हो गया है। अब वैज्ञानिकों की नजर मंगल जैसे ग्रह पर है जो कभी एक सपना हुआ करता था। इस तरक्की ने केसलर की थ्योरी को ‘सच’ के बेहद करीब लाकर खड़ा कर दिया है, आइए जानते हैं कैसे?
Table of Contents
हर सैटेलाइट एक दिन बन सकती है मलबा
यह मलबा इसलिए खतरनाक है कि क्योंकि यह 25,265 किमी/घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाता है। यह रफ्तार किसी भी बड़े धमाके को अंजाम देने के लिए काफी है। एक्सपर्ट कहते हैं, ‘हर सैटेलाइट जो ऑर्बिट में प्रवेश करती है, उसके खगोलीय मलबा बनने की संभावना होती है।’ एलन मस्क के स्टारलिंक जैसे प्रोजेक्ट अंतरिक्ष के मलबे को कई गुना बढ़ा सकते हैं। अमेरिकी सरकार के मुताबिक सॉफ्टबॉल से बड़े मलबे के लगभग 23,000 टुकड़े पृथ्वी के चक्कर लगा रहे हैं। 1 सेमी से बड़े मलबे के 5 लाख टुकड़े हैं और करीब 1 मिमी या उससे बड़े मलबे के 100 मिलियन टुकड़े ऑर्बिट में मौजूद हैं।
Space Debris Removal [Hindi]: 9,600 टन से अधिक कचरा अंतरिक्ष में मौजूद
आईएसएस के पास मौजूद मलबे के टुकड़े दिन में 15-16 बार धरती का चक्कर लगाते हैं जिससे टकराव का खतरा बढ़ जाता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का अनुमान है कि पृथ्वी की कक्षा में सभी अंतरिक्ष पिंडों का कुल द्रव्यमान 9,600 टन से अधिक है। ईएसए के होल्गर क्रैग ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, ‘अगर इसी तरह मलबा बढ़ता रहा तो एक दिन अंतरिक्ष का एक क्षेत्र बेकार (Useless) हो जाएगा।’
ऑर्बिट में मौजूद हैं 4550 सैटेलाइट्स
नासा का कहना है कि कक्षा में 600 किमी से कम ऊंचाई पर मौजूद मलबा कुछ साल में धरती पर वापस गिरेगा। लेकिन 1000 किमी से ज्यादा की ऊंचाई पर मौजूद कचरा करीब एक शताब्दी या उससे अधिक समय पर पृथ्वी के चक्कर लगाता रहेगा। मलबे के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार हैं सैटेलाइट्स, जिनकी भीड़ पृथ्वी की कक्षा में बढ़ती जा रही है। DEWESoft की 1 सितंबर 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी की कक्षा में कुल 4550 सैटेलाइट्स मौजूद हैं। इसमें 3790 सैटेलाइट्स निचली कक्षा में मौजूद हैं।
Space Debris Removal [Hindi]: किस देश की कितनी सैटेलाइट्स?
इन सभी सैटेलाइट्स को विभिन्न देशों की 50 अलग-अलग ऑपरेटर्स या स्पेस एजेंसियां संचालित करती हैं। अंतरिक्ष में सबसे अधिक सैटेलाइट्स एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की हैं (1655)। इसके अलावा चीन के रक्षा मंत्रालय की 129, रूसी रक्षा मंत्रालय की 125, नासा की 60, इसरो की 47 और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की 45 सैटेलाइट ऑर्बिट में मौजूद हैं। देशवार देखें तो अमेरिका की सबसे अधिक- 2804, चीन की 467, ब्रिटेन की 349, रूस की 168, जापान की 93 और भारत की 61 सैटेलाइट अंतरिक्ष ऑर्बिट में चक्कर लगा रही हैं।

Space Debris Removal [Hindi]: अंतरिक्ष के कचरे में क्या-क्या शामिल होता है?
इस कचरे में मृत अंतरिक्षयान, रॉकेट, सैटेलाइट प्रक्षेपण यानों के अवशेष, अंतरिक्ष यात्रियों के दस्ताने, नटबोल्ट, उन्हें कसने वाले उपकरण और सैटेलाइट से अलग हुईं शीट शामिल हैं (Space Debris Meaning in Hindi). ये मिशन से जुड़ा वो कचरा है, जो मूल काम के बाद पीछे छूट जाता है. नासा का अनुमान है कि रोजाना करीब एक मलबा या तो पृथ्वी पर गिरता है या फिर वातावरण में आते ही जल जाता है. चूंकी धरती का करीब 70 फीसदी हिस्सा पानी का है, इसलिए ज्यादातर कचरा भी इन्हीं क्षेत्रों में आकर गिरता है. जैसे धरती पर कचरे का पहाड़ बन जाता है, ठीक वैसी ही स्थिति इस समय अंतरिक्ष में भी बनी हुई है.
जब 75 टन का स्पेस सेंटर स्काइलैब गिरा
इससे कुछ साल पहले चीनी स्पेस स्टेशन थियांगोग भी समुद्र में गिरकर नष्ट हो गया था. पहले तो ये धरती के वायुमंडल में आकर आग का गोला बना और फिर प्रशांत महासागर में गिर गया (Space Debris Entering Earth’s Atmosphere). साल 1979 में नासा का स्पेस सेंटर स्काइलैब समुद्र में गिरकर नष्ट हो गया था. ये 75 टन का था. ये कचरा पृथ्वी की कक्षा में घूमता रहता है, ना तो ये नीचे आता है और ना ही ऊपर. ये कचरा सैटेलाइट के अलावा वहां मौजूद अन्य अंतरिक्षयान और अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भी खतरे से कम नहीं है.
■ Also Read: LIC ADO Admit Card 2023 [Hindi]: एलआईसी एडीओ भर्ती परीक्षा 12 मार्च को, एडमिट कार्ड हुए जारी
बीते छह दशक से भी अधिक समय से जिस तरह अंतरिक्ष में दुनियाभर के देशों की गतिविधियां बढ़ रही हैं, उससे कचरे के बढ़ने की ही आशंका है कम होने की नहीं. कचरे को लेकर साल 2013 में एक अध्ययन हुआ था. जिसमें पता चला कि अंतरिक्ष में मौजूद एक से दस सेंटीमीटर के कचरे की संख्या 6,70,000 से भी ज्यादा है. अगर अंतरिक्ष में कोई कचरा होगा, तो वो खतरा पैदा करेगा ही (Space Debris and Climate Change). कचरे से नुकसान की घटनाएं इतिहास में भरी पड़ी हैं. एक बार तो दो सैटेलाइट ही आपस में टकरा गई थीं.
Space Debris Removal [Hindi]: कैसे साफ हो सकता है ये ढेर सारा कचरा?
अमेरिका बेशक अंतरिक्ष कचरे को लेकर दुनिया को ज्ञान देता फिरता है लेकिन अगर आंकलन करें तो उसने भी काफी कचरा फैलाया है. अंतरिक्ष में कचरा फैलाने वाले देशों में सबसे आगे रूस (सीआईएस) है, उसके बाद अमेरिका, चीन, फ्रांस और जापान का नाम आता है (Space Debris Conclusion). इसे साफ करने की बात करें, तो इसके लिए एक उपाय सैटेलाइट को डिऑर्बिट करने से जुड़ा है. मतलब अंतरिक्ष में जो सैटेलाइट भेजे जाते हैं, उनमें इतना ईंधन होता है कि उन्हें डिऑर्बिट करके यानी नीचे लाकर ग्रेवयार्ड (कब्रिस्तान) ऑर्बिट में रखा जा सके. इससे नुकसान को कम किया जा सकता है.
■ Also Read: National Science Day [Hindi]: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर जानिए विज्ञान और तत्वज्ञान में क्या है समानताएं?
अंतरिक्ष के इस कचरे को सभी देश अपने-अपने हिसाब से ट्रैक करते हैं. भारत के श्रीहरिकोटा के पास मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार हैं. जिससे अंतरिक्ष के कचरे की ट्रैकिंग होती है (Space Debris Around Earth). वहीं अमेरिका के पास भी ऐसे कई रडार मौजूद हैं. इस कचरे को इकट्ठा करने के लिए भी कई प्रयोग हुए हैं. जिसके तहत इसे धरती पर लाकर जलाने जैसे प्रयोग किए गए हैं. लेकिन ये कितने कारगर हैं, इनपर कितना खर्च आएगा और इसपर अभी तक कितना काम हुआ है, इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है.
प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबा क्या है?
यह सौभाग्य की बात है कि ऐसा बहुत कम होता है कि किलोमीटर के आकार की वस्तुएं सतह तक आएं। लेकिन अगर ऐसा हो तो इससे मृत्यु और विनाश हो सकता है, कभी पृथ्वी पर घूमने वाले डायनासोर का विलुप्त होना ऐसी ही एक घटना का परिणाम था। ये प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबे के उदाहरण हैं, जिसका अनियंत्रित आगमन अप्रत्याशित है और कमोबेश पूरे विश्व में समान रूप से फैला हुआ है।
रॉकेट के टुकड़ों के नीचे जनसंख्या घनत्न की जांच
Space Debris Removal [Hindi]: हालांकि, नए अध्ययन ने कृत्रिम अंतरिक्ष मलबे के अनियंत्रित आगमन की आशंका की जांच की, जैसे रॉकेट लॉन्च और उपग्रहों से जुड़े रॉकेट के अलग हुए टुकड़े। अंतरिक्ष में रॉकेट के टुकड़ों की स्थिति और कक्षाओं के गणितीय मॉडलिंग और उनके नीचे जनसंख्या घनत्व के साथ-साथ पिछले उपग्रह डेटा के 30 साल के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, लेखकों ने अनुमान लगाया कि रॉकेट मलबे और अंतरिक्ष के अन्य टुकड़े कब भूमि पर वापस आ सकते हैं।
Space Debris Removal [Hindi]: इंसानों के हताहत होने की संभावना कितनी?
लेखकों ने अगले दशक में अनियंत्रित रॉकेटों के वातावरण में पुन: प्रवेश करने के परिणामस्वरूप इससे लोगों के हताहत होने का भी अनुमान लगाया है। यह मानते हुए कि प्रत्येक पुनः प्रवेश दस वर्ग मीटर के क्षेत्र में घातक मलबा फैलाता है, उन्होंने पाया कि अगले दशक में इससे औसतन एक या अधिक लोगों के हताहत होने की संभावना 10 प्रतिशत है। आज तक, उपग्रहों और रॉकेटों के मलबे से पृथ्वी की सतह (या वायुमंडल में हवाई यातायात) को नुकसान पहुंचने की संभावना को नगण्य माना गया है।
आबादी की रक्षा के लिए साथ आएं सभी देश
अध्ययन का तर्क है कि उन्नत प्रौद्योगिकियों और अधिक विचारशील मिशन डिजाइन करने से अंतरिक्ष यान के मलबे के अनियंत्रित पुन: प्रवेश की दर कम हो जाएगी, जिससे दुनिया भर में खतरे का जोखिम कम हो जाएगा। पांच साल में, अंतरिक्ष में पहले उपग्रह के प्रक्षेपण को 70 साल हो जाएंगे। यह उस घटना का एक उपयुक्त उत्सव होगा यदि इसे अंतरिक्ष मलबे पर एक मजबूत और अनिवार्य अंतरराष्ट्रीय संधि द्वारा चिह्नित किया जा सकता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाए। अंततः, इस तरह के समझौते से सभी देशों को लाभ होगा।
78 किलोग्राम कचरा बैग में लॉक कर ड्राप किया गया
अंतरिक्ष पर बढ़ रहे इस कचरे को हटाने के लिए एक प्रमुख अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी परीक्षण के अंतर्गत अब अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से लगभग 78 किलोग्राम कचरा हटाया गया। इस कचरे को स्पेशल तकनीकि से बैग में भर कर कॉमर्शियल बिशप एयरलॉक से बंद कर दिया गया जिसके बाद इसे ड्राप किया गया है।

अंतरिक्ष में मलबा होने के क्या कारण है?
अंतरिक्ष मलबे में न केवल क्षुद्रग्रहों, धूमकेतु, और उल्कापिंडों के टुकड़े टुकड़े होते हैं बल्कि पुराने उपग्रहों के टुकड़े, रॉकेट ईंधन, पेंट फ्लेक्स, जमे हुए तरल शीतलक भी शामिल हैं। दुसरे शब्दों में कहे तो, ये मानव निर्मित मलबे हैं जो अंतरिक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगा रहे होते हैं और जो उपयोगी नहीं रह गए हैं।
अंतरिक्ष में मानवीय दखल का इतिहास
अंतरिक्ष में मानवीय दखल का इतिहास कोई बहुत पुराना नहीं है। महज छह दशक पहले ही पहली बार इंसान ने अंतरिक्ष में अपना दबदबा कायम किया है। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 1957 में तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए पहले मानव निर्मित सेटेलाइट स्पूतनिक-1 के बाद से हजारों राकेट, सेटेलाइट, स्पेस प्रोब और टेलीस्कोप अंतरिक्ष में भेजे गए हैं। लिहाजा समय के साथ अंतरिक्ष में कचरा बढ़ने की रफ्तार भी बढ़ती गई। यह कुछ-कुछ वैसा ही है, जैसे पृथ्वी के कई पहाड़ों पर अत्यधिक पर्वतारोहण की वजह से तरह-तरह के कूड़े-करकट के अंबार लग गए हैं, उसी तरह से अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में कबाड़ की एक चादर फैल गई है। एक अनुमान के अनुसार पिछले 25 वर्षो में अंतरिक्ष में कचरे की मात्र दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।
Leave a Reply