उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने बेबाक बयानों और दलित-पिछड़े समुदाय के मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाने वाले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह उनका कोई बयान नहीं, बल्कि उन पर हुआ हमला है। रायबरेली में एक कार्यक्रम के दौरान कुछ युवकों ने उन पर हमला कर दिया, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में तनाव का माहौल है। स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला करने वाले इन युवकों (जिसमें एक का नाम रोहित द्विवेदी है) का संबंध करणी सेना से बताया जा रहा है, जिससे यह घटना और भी गंभीर हो गई है।
यह हमला तब हुआ जब स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ रायबरेली के गोल चौराहे पर स्वागत कार्यक्रम में शामिल थे। माला पहनाने के बहाने आए कुछ युवकों ने उन पर थप्पड़ से हमला किया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने आरोपियों को घेर लिया और उनकी जमकर पिटाई की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किसी तरह युवकों को भीड़ के चंगुल से बचाया और उन्हें हिरासत में लिया।
हमले के पीछे क्या है कारण?
इस हमले के पीछे की वजहों को समझने के लिए हमें स्वामी प्रसाद मौर्य के हालिया बयानों पर गौर करना होगा। पिछले कुछ समय से स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार सनातन धर्म और देवी-देवताओं पर विवादास्पद बयान देते रहे हैं। उनके इन बयानों को लेकर हिंदू संगठनों, विशेष रूप से करणी सेना जैसे संगठनों में काफी आक्रोश था।
- बयानबाजी: आरोपी युवकों ने पूछताछ में बताया कि वे स्वामी प्रसाद मौर्य के सनातन धर्म विरोधी बयानों से आहत थे।
- सनातनी मूल्यों पर हमला: करणी सेना जैसे संगठन खुद को भारतीय संस्कृति और सनातनी मूल्यों का संरक्षक मानते हैं। मौर्य के बयानों को वे इन मूल्यों पर सीधा हमला मानते हैं।
- राजनीतिक प्रतिशोध: स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस हमले को सुनियोजित साजिश बताया है और आरोप लगाया है कि यह सत्ताधारी दल के इशारे पर हुआ है।
यह घटना दर्शाती है कि किस तरह से धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर की गई बयानबाजी राजनीतिक हिंसा का रूप ले सकती है।
करणी सेना और उसका इतिहास
करणी सेना एक ऐसा संगठन है जो खुद को राजपूतों के हितों का संरक्षक मानता है। यह संगठन अक्सर उन मुद्दों पर मुखर होता है, जिन्हें वह हिंदू धर्म और संस्कृति पर हमला मानता है। इसकी स्थापना 2006 में लोकेंद्र सिंह कालवी द्वारा की गई थी।
- फिल्म पद्मावत विवाद: करणी सेना ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ का जोरदार विरोध किया था, क्योंकि उनका मानना था कि इसमें रानी पद्मावती का गलत चित्रण किया गया है।
- इतिहास का बचाव: यह संगठन अक्सर ऐतिहासिक और धार्मिक मुद्दों पर अपनी राय रखता रहा है और इस पर विवादों में भी रहा है।
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करणी सेना की वेबसाइट के अनुसार, संगठन का मुख्य उद्देश्य राजपूतों के गौरवशाली इतिहास और परंपराओं का संरक्षण करना है।
राजनीतिक हिंसा और सामाजिक तनाव
भारत में राजनीतिक हिंसा एक गंभीर समस्या है। एक आंकड़े के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसा की घटनाओं में 15% की वृद्धि हुई है। रायबरेली की यह घटना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के बीच इस तरह की झड़पें समाज में तनाव बढ़ाती हैं।
- जनता में डर: ऐसी घटनाएं जनता में डर का माहौल पैदा करती हैं।
- कानून-व्यवस्था पर सवाल: पुलिस की मौजूदगी में हुआ यह हमला उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
निष्कर्ष और आगे की राह
स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला एक बड़ी घटना है जो सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी हमला है। राजनीतिक और सामाजिक मतभेदों को सुलझाने का तरीका हिंसा नहीं हो सकता। हमें यह समझना होगा कि बातचीत और कानूनी प्रक्रिया ही किसी भी विवाद को सुलझाने का सही रास्ता है।
इस घटना के बाद पुलिस को जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा देनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही, राजनीतिक नेताओं को भी सार्वजनिक मंचों पर बोलते समय अधिक संयम बरतने की आवश्यकता है।