क्या आप जानते हैं कि वह कौन-सा महाकाव्य है जिसने सदियों से करोड़ों भारतीयों के हृदय में भगवान राम के प्रति अटूट आस्था जगाई है? जी हां, हम बात कर रहे हैं गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ की। प्रत्येक वर्ष, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को, इस महान कवि और संत के जन्मोत्सव के रूप में तुलसीदास जयंती 2025 मनाई जाती है। इस साल, यह पावन पर्व 31 जुलाई 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह दिन हमें उस अद्वितीय साहित्यकार और भक्त को याद करने का अवसर देता है, जिन्होंने अपनी रचनाओं से भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को एक नई दिशा दी।
तुलसीदास जयंती का महत्व और इतिहास
तुलसीदास जयंती केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय साहित्य और भक्ति परंपरा में एक मील का पत्थर है। गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था और उनका जीवन चुनौतियों से भरा रहा। कहा जाता है कि उनके जन्म के समय ही उन्होंने ‘राम’ नाम का उच्चारण किया था, जिससे उनका नाम ‘रामबोला’ पड़ गया। उनके बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी उनकी भगवान राम के प्रति आस्था कभी कम नहीं हुई।
तुलसीदास जी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान ‘रामचरितमानस’ है, जो संस्कृत महाकाव्य रामायण का अवधी भाषा में रूपांतरण है। जहाँ मूल रामायण संस्कृत में थी, जो उस समय केवल विद्वानों के लिए सुलभ थी, वहीं तुलसीदास जी ने इसे जन-जन की भाषा में लिखकर भक्ति को लोकतांत्रिक बनाया। ‘रामचरितमानस’ ने न केवल धार्मिक ज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाया, बल्कि भारतीय समाज में आदर्श जीवन मूल्यों, पारिवारिक संबंधों और धर्म-नीति की गहरी छाप छोड़ी। आज भी भारत के करोड़ों घरों में इसका पाठ होता है, और यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है।
गोस्वामी तुलसीदास: एक महान संत और साहित्यकार
तुलसीदास जी का जीवन हमें सच्ची भक्ति और त्याग का पाठ पढ़ाता है। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय वाराणसी और चित्रकूट जैसे पवित्र स्थानों पर बिताया। उनके बारे में एक प्रसिद्ध उद्धरण है: “जाके प्रिय न राम बैदेही, तजिए ताहि कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही।” (जिसे राम और सीता प्रिय न हों, उसे करोड़ों शत्रुओं के समान त्याग देना चाहिए, भले ही वह कितना भी प्रिय क्यों न हो)। यह उनके अटूट राम प्रेम को दर्शाता है।
उनकी अन्य प्रमुख रचनाएं हैं:
- हनुमान चालीसा: भगवान हनुमान को समर्पित एक अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र।
- विनय पत्रिका: विभिन्न देवी-देवताओं और भगवान राम को संबोधित भक्ति गीतों का संग्रह।
- कवितवली: राम कथा से संबंधित विभिन्न प्रसंगों का काव्य संग्रह।
- दोहावली: नीति और भक्ति से संबंधित दोहों का संकलन।
ये सभी कृतियाँ भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन में उनके अतुलनीय योगदान को दर्शाती हैं।
कैसे मनाएं तुलसीदास जयंती 2025?
तुलसीदास जयंती 2025 के अवसर पर देश भर में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आप भी इस दिन को कई तरह से मना सकते हैं:
- रामचरितमानस का पाठ: इस दिन रामचरितमानस या सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- भजन-कीर्तन: तुलसीदास जी द्वारा रचित भजनों और दोहों का गायन करें।
- दान-पुण्य: गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें।
- मंदिर दर्शन: हनुमान मंदिर या राम मंदिर जाकर दर्शन करें और प्रार्थना करें।
तुलसीदास जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक क्यों हैं?
तुलसीदास जी की शिक्षाएं समय और सीमाओं से परे हैं। उन्होंने भक्ति, सदाचार, त्याग और सामाजिक समरसता पर जोर दिया। आज के दौर में जब समाज में नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है, तुलसीदास जी के उपदेश हमें सही मार्ग दिखाते हैं। उनके ‘रामराज्य’ की अवधारणा आज भी सुशासन और न्यायपूर्ण समाज का प्रतीक है। उदाहरण के तौर पर, रामचरितमानस में राम-लक्ष्मण और भरत-शत्रुघ्न के बीच का भ्रातृत्व प्रेम आज भी पारिवारिक मूल्यों का सर्वोत्तम उदाहरण है, जो हमें एकता और सहयोग की सीख देता है।
निष्कर्ष और आगे क्या करें?
तुलसीदास जयंती 2025 एक ऐसा अवसर है जब हम न केवल एक महान कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, बल्कि उनकी अमर कृतियों के माध्यम से अपनी संस्कृति और आध्यात्मिकता से फिर से जुड़ते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि साहित्य और भक्ति कैसे समाज को बदलने और लोगों को एक साथ लाने की शक्ति रखते हैं।
तो, इस 31 जुलाई 2025 को, आइए हम सब मिलकर गोस्वामी तुलसीदास जी की विरासत का सम्मान करें और उनके दिखाए भक्ति और सदाचार के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।