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पेटीएम के चेयरमैन विजय शेखर शर्मा की सफलता की कहानी

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पेटीएम के चेयरमैन विजय शेखर शर्मा की सफलता की कहानी

क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटे शहर का हिंदी मीडियम छात्र अरबपति कैसे बन सकता है? यह कहानी है विजय शेखर शर्मा की, जिन्होंने अपनी लगन, दूरदर्शिता और अटूट विश्वास से डिजिटल इंडिया की तस्वीर बदल दी। पेटीएम, जिसका इस्तेमाल आज करोड़ों भारतीय करते हैं, उन्हीं के सपनों का नतीजा है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम उनके जीवन, संघर्षों, सफलताओं और वर्तमान नेटवर्थ के बारे में विस्तार से जानेंगे।

विजय शेखर शर्मा: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

विजय शेखर शर्मा का जन्म 15 जुलाई 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल टीचर थे और माता एक गृहिणी। साधारण परिवार में पले-बढ़े विजय की शुरुआती शिक्षा हिंदी मीडियम स्कूल में हुई, जिसकी वजह से उन्हें दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के बाद अंग्रेजी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

  • भाषा की बाधा: कॉलेज में अंग्रेजी की कमजोरी के कारण वे कई बार फेल हुए। लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने पुरानी अंग्रेजी मैगज़ीन और किताबों से खुद को पढ़ना सिखाया।
  • उद्यमिता की शुरुआत: 1997 में, कॉलेज के दौरान ही, उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपनी पहली कंपनी indiasite.net शुरू की। 2 साल बाद, उन्होंने इसे लाखों रुपये में बेच दिया।

करियर: One97 Communications से Paytm तक का सफर

विजय शेखर शर्मा का करियर केवल सफलताओं से भरा नहीं रहा, बल्कि इसमें कई उतार-चढ़ाव भी थे। उनकी असली परीक्षा तब हुई जब उन्होंने अपनी सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू किया।

1. One97 Communications की स्थापना

साल 2000 में, विजय ने अपनी अगली कंपनी One97 Communications की स्थापना की। यह कंपनी मोबाइल कंटेंट (जैसे- न्यूज़, जोक्स और रिंगटोन) प्रदान करती थी। उस समय भारत में इंटरनेट की गति धीमी थी और स्मार्टफोन का चलन नहीं था, फिर भी विजय ने डिजिटल दुनिया की क्षमता को पहचान लिया था।

2. Paytm का जन्म

2010 में, जब मोबाइल भुगतान की अवधारणा भारत में लगभग न के बराबर थी, विजय ने Paytm को लॉन्च किया। इसका नाम “Pay through Mobile” से लिया गया था। शुरुआत में, पेटीएम सिर्फ मोबाइल रिचार्ज और बिल भुगतान के लिए एक प्लेटफॉर्म था।

पेटीएम की सफलता में टर्निंग पॉइंट

नवंबर 2016 में, भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले ने पेटीएम की किस्मत बदल दी। रातों-रात, डिजिटल भुगतान की जरूरत बढ़ गई और पेटीएम भारत में सबसे लोकप्रिय डिजिटल वॉलेट बन गया। इस एक फैसले ने विजय के वर्षों के परिश्रम को सफलता के चरम पर पहुंचा दिया।

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एक इंटरव्यू में, विजय शेखर शर्मा ने कहा था, “डिजिटल इंडिया का सपना तभी पूरा होगा जब हर कोई टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगा, चाहे वह अमीर हो या गरीब।”

पेटीएम के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • 2015 में, पेटीएम को चीन के अलीबाबा ग्रुप से निवेश मिला, जिसने कंपनी की ग्रोथ को और तेज़ किया।
  • 2017 में, पेटीएम पेमेंट्स बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लाइसेंस मिला, जिससे यह एक पूर्ण बैंकिंग सेवा प्रदान करने में सक्षम हुआ।
  • 2021 में, पेटीएम का आईपीओ (IPO) भारत में सबसे बड़ा आईपीओ था, हालांकि बाद में इसके शेयर की कीमत में गिरावट आई।

विजय शेखर शर्मा की नेटवर्थ और चुनौतियाँ

2024 तक, विजय शेखर शर्मा की अनुमानित नेटवर्थ लगभग ₹9,160 करोड़ है। उनकी अधिकांश संपत्ति पेटीएम की मूल कंपनी One97 Communications में उनकी हिस्सेदारी से आती है। हालांकि, उनके करियर में कई चुनौतियां भी आईं।

  • निवेशकों से संघर्ष: शुरुआती दिनों में, निवेशकों को पेटीएम के बिजनेस मॉडल पर भरोसा नहीं था।
  • पैसे की तंगी: एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी पैसे नहीं थे।
  • नियामक दबाव: हाल ही में, आरबीआई के नियमों का पालन न करने के कारण पेटीएम पेमेंट्स बैंक को कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा, जिससे विजय को बैंक के चेयरमैन पद से इस्तीफा देना पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद, वे भारत के सबसे प्रसिद्ध तकनीकी उद्यमियों में से एक बने हुए हैं।

विजय शेखर शर्मा के जीवन से सीखने लायक बातें

विजय शेखर शर्मा की कहानी हमें सिखाती है कि सफलता केवल बड़े संस्थानों और अंग्रेजी बोलने वालों के लिए नहीं है। यह उन लोगों के लिए है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

  • कभी हार न मानें: कई असफलताओं के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा।
  • समस्याओं में अवसर तलाशें: नोटबंदी के दौरान उन्होंने डिजिटल भुगतान की जरूरत को पहचाना और उसका फायदा उठाया।
  • निरंतर सीखते रहें: उन्होंने अपनी अंग्रेजी की कमजोरी को दूर करने के लिए खुद से पढ़ाई की।
  • जोखिम लेने से न डरें: उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू करने का जोखिम लिया।

निष्कर्ष: डिजिटल क्रांति के एक सच्चे नायक

विजय शेखर शर्मा, एक सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं, जिन्होंने भारत के वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया। उनकी कहानी हमें बताती है कि नवाचार, दृढ़ता और जोखिम लेने की क्षमता के साथ, कुछ भी संभव है।

क्या आप भी अपनी डिजिटल यात्रा शुरू करने की सोच रहे हैं? विजय शेखर शर्मा की कहानी आपको प्रेरित कर सकती है।

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