तेज बारिश और नदियों के उफान से पंजाब के कई जिले बुरी तरह प्रभावित हुए। सड़कें, पुल और खेत पानी में समा गए।
हजारों घरों में पानी भर गया। लोग अपना सामान छोड़कर ऊँचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए।
किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। पकी हुई फसलें बाढ़ में डूबकर बर्बाद हो गईं। लाखों का नुकसान झेलना पड़ा।
पशुओं को भी बड़ा नुकसान हुआ। कई मवेशी बह गए, जबकि बाकी को बचाने के लिए लोग संघर्ष करते दिखे।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए स्थिति और गंभीर रही। राहत शिविरों में भीड़ बढ़ी और दवाओं की कमी महसूस हुई।
प्रशासन और सेना ने राहत कार्य शुरू किए। नाव और हेलीकॉप्टर से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया।
स्वयंसेवी संगठनों और युवाओं ने भी मदद का हाथ बढ़ाया। खाने-पीने की सामग्री और कपड़े जरूरतमंदों तक पहुँचाए गए।
पानी घटने के बाद बाढ़ का असली असर दिखा। घर टूट गए, खेत बंजर हो गए और सड़कें खराब हालत में मिलीं।
बीमारी का खतरा बढ़ा। गंदे पानी और मच्छरों से डेंगू, हैजा जैसी बीमारियां फैलने का डर बढ़ गया।
सरकार ने मुआवजे और पुनर्वास की घोषणा की। लोगों को फिर से घर और जिंदगी बसाने का भरोसा दिया गया।
पंजाब की बाढ़ 2025 ने सिखाया कि प्रकृति के साथ संतुलन जरूरी है। एकजुट होकर ही इस आपदा से उबरना संभव है।