World Radio Day 2024: 13 फरवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व रेडियो दिवस? जानिए इसका इतिहास और महत्व

World Radio Day 2022 [Hindi] Theme, History, Quotes, Benefits
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आज विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day 2022 in Hindi) है। हर साल 13 फरवरी को दुनियाभर में विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। इस दिन हर साल यूनेस्को विश्व के सभी ब्राॅकास्टर्स, संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता है। संचार के माध्यम के तौर पर रेडियो की भूमिका पर चर्चा होती है और लोगों को इस बाबत जागरूक किया जाता है। रेडियो एक ऐसी सेवा है जो दुनियाभर में सूचना का आदान-प्रदान करता है। आपदा या आपात कालीन स्थिति में रेडियो का महत्व बढ़ जाता है।

ऐसे में विश्व रेडियो दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर के युवाओं को रेडियो की आवश्यकता और महत्व के प्रति जागरूक करना है। सूचना फैलाने के लिए सबसे शक्तिशाली और सस्ते माध्यम के तौर पर रेडियो को जाना जाता है। भले ही रेडियो सदियों पुराना माध्यम हो लेकिन संचार के लिए इसका इस्तेमाल आज भी हो रहा है।आइए जानते हैं कि विश्व रेडियो दिवस की शुरुआत कब और क्यों हुई? क्या है रेडियो दिवस 2024 की थीम।

Table of Contents

Radio- रेडियो क्या है

रेडियो की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘रेडियस’ से हुई है, जिसका मतलब यानि अर्थ ‘रे’ है. इस शब्द को 20वीं शताब्दी में अन्य वायरलेस तकनीक से रेडियो को अलग करने के लिए उपयोग में लाया गया.

विश्व रेडियो दिवस की शुरुआत कब हुई ? | History of World Radio Day

विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day 2022) की शुरुआत साल 2011 में की गई थी। साल 2010 में स्पेन रेडियो अकादमी ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए पहली बार प्रस्ताव दिया था। साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने की घोषणा की। बाद में साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी इसे अपना लिया। फिर उसी साल 13 फरवरी को पहली बार यूनेस्को ने विश्व रेडियो दिवस मनाया।

world radio day photos and images

क्या है विश्व रेडियो दिवस 2022 की थीम? | World Radio Day Theme for 2024

विश्व रेडियो दिवस 2022 की थीम ‘एवोलूशन – द वर्ल्ड इज ऑलवेज चेंजिंग’ है। यानी विकास के साथ विश्व भी विकसित हो रहा है। यह थीम रेडियो के लचीलेपन और स्थिरता को प्रदर्शित कर रही है। इसका मतलब है कि दुनिया बदलती रहती है, इसलिए रेडियो में भी नवाचार हो रहा है। 

Radio Day in India: रेडियो का समय

World Radio Day 2022: जिस समय दुनिया में रेडियो आया उस समय सूचना और मनोरंजन के कोई खास साधन नहीं थे. ऐसे में रेडियो ने एक क्रांति पैदा की और देखते ही देखते इसने दुनियाभर में अपने पांव पसार दिए. भारत में तो रेडियो का इतिहास और भी स्वर्णिम रहा है. रेडियो ने आम भारतीय को भी खास बनाने में अहम भूमिका निभाई है. आज से कई साल पहले जब टीवी का प्रचार अधिक नहीं था तब दूर दराज के क्षेत्रवासियों को मुख्य धारा की खबरें दे उन्हें एक धारा में चलाने का काम रेडियो ने ही किया था और कल ही क्यूं आज भी रेडियो देश और दुनिया के कई क्षेत्रों में सूचना और प्रसार का एकमात्र साधन है.

Read in English: World Radio Day: History, Theme, Invention, True Bhakti

रेडियो एक ऐसी सेवा है जिसके जरिए न केवल रेडियो फ्रीक्वेंसी से बात की जाती है, बल्कि आपदा के समय जब संचार के माध्यम ठप हो जाएं तो प्रभावितों की मदद भी की जा सकती है.

आज सबको पसंद है रेडियो

कभी बुजुर्गो और पुराने जमाने के लोगों की पसंद माने जाने वाला रेडियो अब युवा दिलों की धड़कन बन चुका है. सूचना और मनोरंजन के इस युग में एक बहुत बड़ा वर्ग रेडियो के साथ जुड़ चुका है. खासकर मोबाइल और इंटरनेट पर रेडियो को युवा बड़े चाव से सुनते हैं. विविध भारती का रेनबो चैनल और एफएम के प्रसारण आज भी जनता के बीच लोकप्रिय हैं. आज रेडियो पर व्यापक पैमाने पर बाजार का प्रभाव देखा जाता है. कई प्राइवेट रेडियो स्टेशन भी आज जनता के बीच बेहद चाव से चुने जाते हैं लेकिन ऐसे स्टेशन और चैनल मात्र मनोरंजन का ही साधन होते हैं. आकाशवाणी और विविध भारती के चैनलों को ही जनता सही पैमाने पर ज्ञान और सूचना का साधन मानती है.

विश्व रेडियो दिवस: उद्देश्य (Aim of World Radio Day)

विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day 2022) मनाने का मुख्य उद्देश्य जनता और मीडिया के बीच रेडियो के महत्व को बढ़ाने के लिए जागरूकता फैलाना है. यह निर्णयकर्ताओं को रेडियो के माध्यम से सूचनाओं की स्थापना और जानकारी प्रदान करने, नेटवर्किंग बढ़ाने और प्रसारकों के बीच एक प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रदान करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है.

रेडियो का महत्व (Importance of Radio in Hindi)

  • टेलीविजन के आविष्कार से पहले, रेडियो दुनिया भर में ज्यादातर लोगों का केंद्रीय आकर्षण था.
  • यह सस्ता ही नहीं बल्कि इसके अत्यधिक फायदे हैं.
  • यह एक कस्बे से एक ग्रामीण गांव के अलावा रेडियो एक देश से एक वैश्विक राष्ट्र के साथ-साथ कनेक्टिविटी बनाने में सफल रहा है.
  • यह लोगों को वर्तमान परिस्थितियों, समाचार, मनोरंजन सामग्री जैसे कहानियां, गीत, और अन्य, शैक्षिक कार्यक्रम और चिकित्सा जागरूकता प्रोग्राम को प्रसारित करता है.

कैसे मनाया जाता है World Radio Day?

  • रेडियो में बहुवाद को बढ़ावा देना जिसमें सार्वजनिक, निजी और सामुदायिक प्रसारकों को शामिल किया गया है.
  • विविध सामाजिक समूहों से युक्त टीमों के साथ न्यूज़रूम में प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करना.
  • संपादकीय सामग्री की विविधता और कार्यक्रमों के प्रकार को बढ़ावा देना जो कि दर्शकों की विविधता को दर्शाता है.
  • हर साल यूनेस्को दुनिया भर के ब्रॉडकास्टर्स, संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर रेडियो दिवस के अवसर पर कई तरह की गतिविधियों का आयोजन करता है।
  • इस दिन संचार के माध्यम के तौर पर रेडियो की अहमियत के बारे में स्वस्थ चर्चा की जाती है और जागरूकता फैलाई जाती है। इस विषय पर भाषण दिया जाता है।

रेडियो सभी तक कैसे पहुंचता है

रेडियो किसी भी अन्य प्रकार के प्रसारण मीडिया की तुलना में हमारे साथ अधिक समय तक रहा है. इसका मतलब है कि अधिकांश अन्य तकनीकों की तुलना में अधिक लोगों के पास इसकी पहुंच है. हर साल विश्व रेडियो दिवस पर, क्षेत्र के विशेषज्ञ एक साथ जुड़ते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि अलग-अलग समुदायों तक कैसे पहुंचा जाए. विश्व रेडियो दिवस यह सुनिश्चित करता है कि हर कोई, चाहे वह कितना भी केंद्रीय या दूरस्थ क्यों न हो, सूचना तक पहुंच हो.

रेडियो तरंगें क्या हैं और यह कैसे काम करती हैं?

रेडियो तरंगें एक प्रकार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन हैं जिसका उपयोग टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन और रेडियो जैसी संचार तकनीकों में किया जाता है. रेडियो तरंगों को इन उपकरणों द्वारा प्राप्त किया जाता है और उन्हें ध्वनि तरंगों को उत्पन्न करने के लिए स्पीकर में यांत्रिक कंपन में परिवर्तित किया जाता है. रेडियो-फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (EM) स्पेक्ट्रम का एक छोटा सा हिस्सा है.

Credit: OneIndia Hindi

आपको बता दें कि घटती तरंग दैर्ध्य, बढ़ती ऊर्जा और आवृत्ति के अनुसार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम को सात क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. कुछ पदनाम रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, अवरक्त (infrared), दृश्य प्रकाश (visible light), पराबैंगनी (UV), एक्स-रे और गामा-किरणें हैं. EM स्पेक्ट्रम में, रेडियो तरंगों की सबसे लंबी तरंग दैर्ध्य होती है.

यहां विश्व रेडियो दिवस 2022 पर कोट्स (World Radio Day 2022 Hindi Quotes)

रेडियो (World Radio Day 2022) की अपनी एक अलग महत्ता है और कई महान व्यक्ति भी इस पर अपना विचार स्पष्ट कर चुके हैं। जो कुछ इस प्रकार हैं-

जब रेडियो चुप रहता है, तो हमारे कान कभी भी वास्तविक विवरण नहीं सुनेंगे!” – अर्नेस्ट अग्यमंग येबोआह

“देश का रेडियो किसी भी अन्य समूह के लोगों की तुलना में एक परिवार की तरह है, जिनसे मैं मिला हूं।” – टेलर स्विफ्ट

“रेडियो माइक्रोफ़ोन के कारण शक्तिशाली नहीं है, बल्कि वह जो माइक्रोफ़ोन के पीछे बैठता है” – अर्नेस्ट अग्यमंग येबोह

World Radio Day 2022 Facts | रेडियो के बारे में ये भी जानें

  • भारत में  इस समय 214 सामुदायिक रेडियो प्रसारण केंद्र (कम्युनिटी रेडियो) हैं
  • देश में रेडियो ब्रॉडकास्ट की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी.
  • वर्ष 1936 में  भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई थी. आजादी के बाद ये आकाशवाणी यानि ऑल इंडिया रेडियो के नाम से जाना गया.
  • सुभाष चंद्र बोस ने नवंबर 1941 में रेडियो पर जर्मनी से भारतवासियों को संबोधित किया था.

Radio ने कोरोना में निभाई अहम भूमिका

कोरोना महामारी में लाखों लोगों की जिंदगियां चली गई. ऐसे में जब सब कुछ बंद था उस दौरान रेडियो ने लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया. माहामारी के बीच रेडियो के जरिए लोगों तक जरूरी जानकारियों को पंहुचाया गया. इतना ही नहीं इस समय जब ज्यादातर लोग घर में रहकर और वायरस से डरकर डिप्रेशन आ गए थे.

5 कारण कि रेडियो आखिर कहां और क्यों पिछड़ गया?

  1. आकाशवाणी के श्रोता अनुसंधान एकांश से जुड़े एक बड़े अधिकारी की मानें तो अब लोगों का लिसनिंग पैटर्न बदल चुका है।अब श्रोताओं की पसंद पहले जैसी नहीं रही है।
  2. विविध भारती की ही बात करें तो अब लोग भूले बिसरे गीत सुनने के लिए सुबह का इंतजार नहीं करते, नए गाने सुनने के लिए चित्रलोक कार्यक्रम का इंतजार नहीं करते। क्योंकि अब सोशल मीडिया और इंटरनेट पर हर गाने उपलब्ध हैं, वो गाने भी जो शायद रेडियो की लाइब्रेरी में भी न हों। 
  3. पहले फिल्मी गानों के एलपी और सीडी व दूसरे बड़े सेलिब्रिटीज का साक्षात्कार केवल रेडियो के पास ही हुआ करते थे। अब श्रोता गीत-संगीत सुनने के लिए रेडियो के कार्यक्रमों का इंतजार नहीं करता। केवल वही पुराने श्रोता रेडियो सुनते हैं, जिन्हें रेडियो का नशा है। लेकिन ऐसे श्रोताओं की तादाद अब कम रह गई है।
  4. रेडियो के लिए रॉयल्टी नियमों का पालन करना भी मजबूरी ही रहा है। वहां हर गाने की रॉयल्टी बाकायदा दी जाती है, इसके लिए हर गाने की लॉगबुक में आज भी एंट्री होती है, इस लिखा—पढ़ी के कारण रेडियो खासकर आकाशवाणी और विविध भारती सोशल मीडिया पर उपलब्ध गीत-संगीत की एप्लीकेशंस से काफी तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं। 
  5. अब इंटरनेट क्रांति और 4जी की आमद के बाद अपनी पसंद के हर गाने, साक्षात्कार, भेंटवार्ताएं, रेडियो डॉक्यूमेंट्री इंटरनेट के माध्यम से मोबाइल फोन में आसानी से अवेलेबल हैं। यहां तक कि आज दूर-दराज के गांवों में भी मोबाइल और इंटरनेट पहुंच चुका है। इसलिए पहले मेट्रोपोलिटन सिटी से रेडियो की लिसनिंग कम हुई, इसके बाद अब गांवों कस्बों से भी रेडियो की लिसनिंग कम हो रही है। क्योंकि हर हाथ में मोबाइल और इंटरनेट है।

भारत में रेडियो की घरेलू सेवाएं (Radio service in India)

ऑल इंडिया रेडियो की कई भाषाओँ में सेवाएं थी, प्रत्येक देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत थी.

  • विविध भारती : विविध भारती, ऑल इंडिया रेडियो की सबसे अच्छी सेवाओं में से एक है. इसका नाम मोटे तौर पर ‘विविध भारतीय’ के रूप में अनुवादित है, और इसे व्यावसायिक प्रसारण सेवा भी कहा जाता है. यह ऑल इंडिया नेटवर्क से व्यावसायिक रूप से सबसे अधिक पहुँच योग्य है, भारत के कई बड़े शहरों में लोकप्रिय है. विविध भारती समाचर, फिल्म संगीत और कॉमेडी कार्यक्रमों सहित कई कार्यक्रमों की पेशकश करते हैं. यह प्रत्येक शहर के लिए विभिन्न मध्यम तरंग बैंड आवृत्तियों पर चल रहा है. विविध भारती में प्रसारित होने वाले कुछ कार्यक्रम इस प्रकार हैं-
  1. हवा महल – रेडियो उपन्यास और नाटकों पर आधारित है.
  2. संतोगें की महफ़िल – कॉमेडी
  • ऑल इंडिया रेडियो पर बलूची कार्यक्रम : सूत्रों का दावा है कि ऑल इंडिया रेडियो बलूची भाषा में कार्यक्रम तैयार करने के लिए योजना बना रहा है.
  • अन्य सेवाएं : इसमें दो सेवाएं और हैं पहली प्राइमरी चैनल और राष्ट्रीय चैनल आदि.
  • क्षेत्रीय सेवाएं : ऑल इंडिया रेडियो ने 5 क्षेत्रीय मुख्यालय बनाए उत्तर ज़ोन का दिल्ली में, पूर्व ज़ोन का कलकत्ता में, उत्तर-पूर्व ज़ोन का गुवाहाटी में, पश्चिम ज़ोन का मुंबई में और दक्षिण ज़ोन का चेन्नई में. इसके अलावा और भी कई स्थानों पर इसके मुख्यालय हैं और प्रत्येक मुख्यालय में अलग-अलग आवृत्ति का प्रसारण होता था,

भारत में रेडियो से होने वाले फ़ायदे (Benefits of Radio in India)

  • रेडियो प्रसारण भारत में स्वदेशी था, यह देश के कोने-कोने में कोई सन्देश पहूँचाने का एक बहुत बड़ा माध्यम था.
  • इसके द्वारा देश के किसान विस्तृत रूप से खेती की जानकारी प्राप्त कर सकते थे, मौसम, देश – विदेश से जुड़ी बातें आसानी से देश के लोगों तक पहुंचा सकते थे.
  • ऑल इंडिया रेडियो का मुख्य केंद्र देश की चेतना और एकता को बढ़ाना था. रेडियो के कार्यक्रम को बनाते समय राष्ट्रीय राजनैतिक एकता बनाये रखना, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता था.
  • स्वतंत्रता के बाद जब देश की राजनीती में घमासान मचा हुआ था, तब ऐसे कार्यक्रम देश के लोगों को सही राह दिखाते थे.
  • ऑल इंडिया रेडियो ने देश की आर्थिक स्थिती सुधारने में एक मुख्य भूमिका निभाई थी. भारतीय रेडियो में मुख्य रूप से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे, जो सामाजिक एकता को बढ़ाने के लिए अग्रसर होते थे.
  • रेडियो के द्वारा देश के लोगों को आधुनिकता और नए तरीके के बारे में भी बताया जाता था.
  • कुछ समय बाद इस देश के इस आधुनिकरण ने टेलेविज़न की जगह ले ली और प्रसारण के नए मायने हो गए, लेकिन इसके बावजूद रेडियो देश का एक अनुभवी माध्यम हुआ करता था.
  • ज्ञान, मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रम और गानों को रेडियो में सुनना तब भी लोग पसंद किया करते थे. आकाशवाणी और ऑल इंडिया रेडियो आज भी एक बड़े नेटवर्क के रूप में पूरी पृथ्वी पर छाए हुए है.


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