शहीद भगत सिंह भारत की आज़ादी की लड़ाई के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक थे। 1907 में जन्मे और केवल 23 वर्ष की अल्पायु में शहीद हुए, लेकिन उनका साहस, बलिदान और विचार आज भी देशवासियों को प्रेरणा देते हैं। यह लेख भगत सिंह की जीवनी, उनके संघर्ष, शहादत और उनके अमर विचारों पर आधारित है। साथ ही संत रामपाल जी महाराज की आध्यात्मिक शिक्षा से जीवन और मुक्ति का वास्तविक उद्देश्य भी स्पष्ट किया गया है।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर ज़िले (अब पाकिस्तान) के बंगा गाँव में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह तथा स्वर्ण सिंह पहले से ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हुए थे। परिवार के इस देशभक्ति से भरे माहौल ने बचपन से ही भगत सिंह को प्रभावित किया।

कहा जाता है कि छोटे बालक भगत सिंह खेतों में जाकर मिट्टी की बोतलें भरते थे और कहते थे – “यह मिट्टी उन वीरों के खून से सिंची है जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया।”
शिक्षा और प्रारंभिक प्रभाव
भगत सिंह ने प्रारंभिक पढ़ाई गाँव के स्कूल में की और फिर लाहौर के नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया, जिसे लाला लाजपत राय ने स्थापित किया था। वहाँ उन्होंने क्रांतिकारियों की रचनाएँ पढ़ीं और क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित हुए।
1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके मन पर गहरी छाप छोड़ी। यह घटना उनके लिए वह मोड़ थी जिसने उन्हें अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ लड़ने का दृढ़ निश्चय दिलाया।
लाला लाजपत राय की मृत्यु और निर्णायक मोड़

1928 में साइमन कमीशन का विरोध करते समय लाहौर में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। इसमें लाला लाजपत राय घायल हो गए और कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।
इस घटना ने भगत सिंह को गहराई से झकझोर दिया। राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर उन्होंने लाठीचार्ज के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी जेम्स ए. स्कॉट को मारने का निश्चय किया। गलती से उन्होंने जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या कर दी। यही घटना भगत सिंह के क्रांतिकारी जीवन का बड़ा मोड़ बनी।
केंद्रीय असेंबली में बम धमाका
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम फेंके। यह बम जानलेवा नहीं थे, उनका उद्देश्य केवल “बहरे कानों को सुनाना” था। दोनों ने नारे लगाए – “इंक़लाब ज़िंदाबाद” और पर्चे बाँटकर जनता को जागरूक किया।
दोनों ने भागने की बजाय गिरफ्तारी दी ताकि अदालत को वे क्रांति का मंच बना सकें।
मुकदमा, जेल जीवन और शहादत
सॉन्डर्स हत्या और असेंबली बमकांड में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सज़ा सुनाई गई। अदालत में भी उन्होंने निडर होकर अपने विचार रखे और अंग्रेज़ी हुकूमत के अत्याचारों का पर्दाफाश किया।

देशभर में विरोध और दया याचिकाओं के बावजूद 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई। मात्र 23 वर्ष की उम्र में भगत सिंह शहीद हो गए।
जनता और नेताओं की प्रतिक्रिया
भगत सिंह की शहादत की खबर से पूरा देश दहल उठा। जगह-जगह हड़तालें और प्रदर्शन हुए। उन्हें तत्कालीन और बाद के सभी नेताओं ने क्रांतिकारी नायक के रूप में नमन किया। उनकी छवि अमर हो गई और वे आज़ादी की लड़ाई के प्रतीक बन गए।
भगत सिंह के विचार और दृष्टि
भगत सिंह केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि गहरे चिंतक भी थे। वे केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और आर्थिक न्याय के पक्षधर थे। उनके लेख “मैं नास्तिक क्यों हूँ” और अन्य रचनाएँ आज भी पढ़ी और समझी जाती हैं।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण: सत संदेश
संत रामपाल जी महाराज सतज्ञान के माध्यम से बताते हैं कि भगत सिंह का बलिदान महान था, लेकिन परम शांति आत्मा की मुक्ति में है। जिस प्रकार भगत सिंह ने देश की स्वतंत्रता के लिए जीवन अर्पित किया, उसी प्रकार सच्चा साधक अपने जीवन को सर्वोच्च ईश्वर कबीर साहिब की भक्ति में लगाकर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है।
दुनियावी आज़ादी क्षणिक है, जबकि आत्मिक आज़ादी शाश्वत सुख देती है। इस प्रकार भगत सिंह का साहस हमें सामाजिक अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है, और संत रामपाल जी का सतज्ञान हमें ईश्वर की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाता है।
शहीद भगत सिंह: हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत
शहीद भगत सिंह की जीवनी केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी शहादत ने आज़ादी की लड़ाई को नया मोड़ दिया और उनका नाम अमर कर दिया। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि जिस प्रकार भगत सिंह ने बाहरी आज़ादी के लिए जीवन बलिदान किया, उसी प्रकार हमें आत्मिक मुक्ति की ओर बढ़कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।
FAQs: शहीद भगत सिंह
प्रश्न 1. शहीद भगत सिंह कौन थे?
भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे जिन्हें 1931 में अंग्रेज़ों ने फांसी दी।
प्रश्न 2. भगत सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा गाँव (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
प्रश्न 3. भगत सिंह ने असेंबली में बम क्यों फेंका था?
उनका उद्देश्य किसी को मारना नहीं था बल्कि अंग्रेज़ी कानूनों के विरोध में जनता को जागरूक करना था।
प्रश्न 4. भगत सिंह की विचारधारा क्या थी?
वे क्रांति, समाजवाद और पूर्ण स्वतंत्रता के पक्षधर थे। साथ ही वे असमानता और शोषण के खिलाफ थे।
प्रश्न 5. आज भगत सिंह को किस रूप में याद किया जाता है?
वे शहीद-ए-आज़म कहलाते हैं और उनके साहस व बलिदान को आज भी सम्मान और प्रेरणा के रूप में देखा जाता है।