चंडीगढ़ प्रशासन ने शाहपुर कॉलोनी की ध्वस्तीकरण कार्रवाई के साथ शहर को आधिकारिक रूप से भारत का पहला Slum Free City घोषित किया है। प्रशासन द्वारा अब तक 18 कॉलोनियाँ हटाकर करीब 520 एकड़ सरकारी ज़मीन हासिल की गई है।
Slum Free City Chandigarh
देश के शहरी विकास इतिहास में चंडीगढ़ ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। चंडीगढ़ प्रशासन ने एक आधिकारिक घोषणा में चंडीगढ़ को देश का पहला झुग्गी-मुक्त शहर (Slum Free City) घोषित किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस पहल के लिए प्रशासन ने अंतिम शाहपुर बस्ती को हटाकर करीब 520 एकड़ जमीन, अवैध कब्जों से मुक्त कराया।
झुग्गी-मुक्त शहर चंडीगढ़ से जुड़े मुख्य बिंदु:
- चंडीगढ़ बना भारत का पहला झुग्गी मुक्त शहर (Slum Free City) शहर।
- सेक्टर-38 स्थित शाहपुर कॉलोनी केंद्र शासित प्रदेश की आखिरी झुग्गी बची हुई बस्ती थी।
- प्रशासन ने अब तक 18 कॉलोनियाँ हटाकर करीब 520 एकड़ सार्वजनिक भूमि की हासिल।
- लगभग 20,000 करोड़ रुपये की जमीन अवैध क़ब्ज़े से मुक्त।
- पुनर्वास योजनाओं के तहत प्रभावित परिवारों को नए घर दिए गए, फिर भी पुनर्वास की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर उठे सवाल।
चंडीगढ़ की ऐतिहासिक उपलब्धि

बीते एक दशक से चंडीगढ़ प्रशासन गैर कानूनी बस्तियों को हटाने की योजना बना रही है। हाल ही में प्रशासन ने कहा कि अब शहर में कोई भी अवैध झुग्गी बस्ती (Slum Colony) नहीं है। आखिरी शाहपुर कॉलोनी सहित 18 बस्तियों को हटाकर शहर को पूरी तरह Slum Free City घोषित कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि सेक्टर-38 स्थित शाहपुर कॉलोनी लगभग 4 एकड़ क्षेत्र में है, यहां 300 अवैध झुग्गियां और लगभग 1,000 व्यक्ति निवासरत थे।
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कॉलोनी को ध्वस्त कर इसे सरकारी नियंत्रण में लाया गया है। ज़मीन का मूल्य लगभग 250 करोड़ रुपए आंका गया है।
बीते दशक प्रशासन ने कई बस्तियों को खाली कराया
- 2014 में कल्याण कॉलोनी, 89 एकड़ जमीन खाली कराई गई।
- 2014 में अंबेडकर कॉलोनी, 65 एकड़ जमीन वापिस ली गई।
- 2022 में कॉलोनी नंबर 4, 65 एकड़ जमीन सरकारी नियंत्रण में लाया गया।
- इसके अलावा आदर्श कॉलोनी, संजय कॉलोनी, सेक्टर-25 कॉलोनी आदि बस्तियों को भी शहरी नियोजन के तहत पुनर्संगठित किया गया है।
जमीन की वापसी और आर्थिक मूल्य
प्रशासन ने बताया कि Slum Free City Chandigarh बनाने की योजना में लगभग 520 एकड़ जमीन अवैध क़ब्ज़े से मुक्त कराया गया। जूमीन का मूल्य करीब 20,000 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है। इससे चंडीगढ़ में बुनियादी ढांचे और शहरी विकास के नए अवसर खुल सकते हैं।
झुग्गीवासियों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था
प्रिपोर्ट के मुताबिक़, झुग्गीवासियों को उजाड़ने के बाद योग्य परिवारों को प्रशासन के द्वारा छोटे फ्लैट अलग-अलग लोकेशन में आबंटित किए गए। प्रभावित परिवारों को आवास के अलावा पानी, बिजली और अन्य सुविधाएं भी दी गई। हालांकि, मीडिया के मुताबिक़, कुछ परिवारों ने बताया कि उन्हें असंतोषजनक वैकल्पिक आवास मिला। उन्होंने यह चिंता भी ज़ाहिर की कि “भविष्य में राजनीतिक कारणों से फिर से अतिक्रमण हो सकता है।” इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के आरोप भी लगाए जा रहे।
क्या देश से गरीबी को मिटाना ही असली उपलब्धि है
चंडीगढ़ के झुग्गी-मुक्त (Slum Free City) बनने को प्रशासनिक उपलब्धि मानी जा रही हैं, किंतु केवल झुग्गियों का हटना ही समाधान नहीं है। लोगों का झुग्गियों में रहने का कारण उनकी आर्थिक मजबूरी है। असली विकास तभी होगा जब समाज से अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का भेद मिटे। भ्रष्टाचार की जड़ें सूखें ताकि हर गरीब निडर और आत्मविश्वास से जीवन जी सके।
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FAQs about Slum Free City Chandigarh
1. क्या चंडीगढ़ को झुग्गी मुक्त शहर घोषित किया गया है?
जी हां, प्रशासन ने शाहपुर कॉलोनी के हिस्से को हटाने के बाद औपचारिक रूप से झुग्गी मुक्त शहर की घोषणा की।
2. अब तक कितनी ज़मीन कब्ज़ा मुक्त की गई है?
रिपोर्ट के मुताबिक़, कुल लगभग 520 एकड़ सरकारी जमीन सरकारी नियंत्रण में वापिस लाया गया है।
3. क़ब्ज़े में ली गई ज़मीन का कुल बाज़ार-मूल्य कितना आंका गया है?
करीब 20,000 से 21,000 करोड़ बताया जा रहा है।
4. यह मॉडल अन्य शहरों के लिए क्या अपनाने योग्य है?
हाँ, किंतु प्रभावी पुनर्वास और पारदर्शिता आवश्यक है।

















