भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है (Jagdeep Dhankhar Resigned)। यह खबर 21 जुलाई 2025 को सामने आई, जब उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा। यह कदम संसद के मानसून सत्र के ठीक बीच में आया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
Jagdeep Dhankhar Resigned: क्यों दिया जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा?
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है और इसके पीछे उन्होंने “चिकित्सा सलाह” और “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने” का कारण बताया है। हालांकि, इस इस्तीफे के समय और परिस्थितियों को देखते हुए कई सवाल उठ रहे हैं।
- स्वास्थ्य कारण: उपराष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए इस्तीफा दे रहे हैं।
- अचानक निर्णय: उनका कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था, और उन्होंने सिर्फ तीन साल से भी कम समय में इस्तीफा दे दिया है। यह एक अप्रत्याशित निर्णय है, खासकर जब उनका कार्यकाल अभी भी लंबा था।
- मानसून सत्र के दौरान: संसद के महत्वपूर्ण मानसून सत्र के बीच उनका इस्तीफा देना, विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है (Jagdeep Dhankhar Resigned), लेकिन उनका राजनीतिक करियर काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था।
- वकील से राजनेता: धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील रहे हैं और उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की है। उन्हें 1990 में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
- सांसद और विधायक: वे 1989 में झुंझुनू से लोकसभा सांसद चुने गए थे। इसके बाद, उन्होंने राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ का प्रतिनिधित्व भी किया।
- केंद्रीय मंत्री: उन्होंने चंद्रशेखर सरकार में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
- पश्चिम बंगाल के राज्यपाल: उपराष्ट्रपति बनने से पहले, वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, जहाँ उन्होंने राज्य सरकार के साथ कई मुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखी।
उनके राजनीतिक करियर के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप जगदीप धनखड़ के राजनीतिक करियर पर विकिपीडिया देख सकते हैं।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद की प्रक्रिया
Jagdeep Dhankhar Resigned: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है और अब उनके स्थान पर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा।
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- कार्यवाहक उपराष्ट्रपति: संविधान में उपराष्ट्रपति के पद रिक्त होने की स्थिति में किसी कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है। हालांकि, राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके कर्तव्यों का निर्वहन राज्यसभा के उपसभापति द्वारा किया जाएगा।
- चुनाव आयोग की भूमिका: भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India) जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगा। चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- चुनाव का समय: संविधान में उपराष्ट्रपति के पद रिक्त होने के बाद चुनाव कराने की कोई विशिष्ट समय-सीमा तय नहीं की गई है, लेकिन यह “जितनी जल्दी हो सके” (as soon as possible) आयोजित किया जाता है।
आप भारत में उपराष्ट्रपति के चुनाव प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए, भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट देख सकते हैं: भारत निर्वाचन आयोग.
इस इस्तीफे का क्या हो सकता है प्रभाव?
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है इस खबर से भारतीय राजनीति में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- राज्यसभा पर प्रभाव: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उनके इस्तीफे से ऊपरी सदन के कामकाज पर कुछ समय के लिए असर पड़ सकता है, जब तक कि नया सभापति नहीं चुना जाता।
- राजनीतिक संदेश: इस अचानक इस्तीफे को लेकर राजनीतिक हलकों में अलग-अलग व्याख्याएं की जा रही हैं। यह आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक बहस का कारण बन सकता है।
- नए उम्मीदवार की तलाश: सत्ताधारी दल और विपक्ष दोनों ही अब नए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार की तलाश में जुट जाएंगे, जिससे आगामी महीनों में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो जाएंगी।
उदाहरण के तौर पर, पूर्व में भी ऐसा हुआ है जब किसी उच्च पदस्थ नेता ने स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ा हो। 2004 में, पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने स्वास्थ्य के कारण सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी, हालांकि उनका पदभार किसी संवैधानिक पद से जुड़ा नहीं था। उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद से इस्तीफा एक दुर्लभ घटना है।
भविष्य की ओर: आगे क्या?
यह एक ऐसा घटनाक्रम है जो भारतीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ेगा। आने वाले दिनों में, नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी, और देश एक नए संवैधानिक पदधारक का स्वागत करेगा। इस बीच, राजनीतिक दल इस रिक्त पद को भरने के लिए अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देंगे।
निष्कर्ष
उनके इस्तीफे के बाद देश को एक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव करना होगा, जो भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक भूमिका निभाते हैं। हम इस पर अपनी नज़र बनाए रखेंगे और जैसे ही कोई नया अपडेट आएगा, आपको सूचित करेंगे।
आपकी राय क्या है? जगदीप धनखड़ के इस अप्रत्याशित इस्तीफे के बारे में आप क्या सोचते हैं? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें!