एयर इंडिया क्रैश जांच में नए खुलासे: क्या वरिष्ठ पायलट की गलती से हुआ हादसा?

हाल ही में हुई एयर इंडिया विमान दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुखद घटना में 260 लोगों की जान चली गई थी। अब इस दुर्घटना की जांच में नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं, जो सीधे तौर पर विमान के वरिष्ठ पायलट की भूमिका पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह सिर्फ एक तकनीकी खराबी का मामला नहीं लग रहा, बल्कि कॉकपिट के भीतर की स्थिति और क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) में संभावित खामियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।

प्रारंभिक रिपोर्ट में क्या सामने आया?

भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट ने कई गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात जो सामने आई है, वह यह कि विमान के उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद दोनों इंजनों के फ्यूल कट-ऑफ स्विच ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले गए थे। इससे इंजनों को ईंधन की आपूर्ति रुक गई और विमान ने तुरंत थ्रस्ट खो दिया, जिसके परिणामस्वरूप वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

  • फ्यूल स्विच का बंद होना: रिपोर्ट के अनुसार, विमान ने टेकऑफ के तुरंत बाद 180 नॉट्स की अधिकतम गति प्राप्त की। इसके ठीक बाद, दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच एक सेकंड के अंतराल में ‘रन’ से ‘कटऑफ’ हो गए।
  • कॉकपिट में भ्रम की स्थिति: कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे पायलट से पूछा कि उसने फ्यूल स्विच क्यों बंद किया। यह बातचीत कॉकपिट के भीतर भ्रम और असामंजस्य की स्थिति का स्पष्ट संकेत देती है।
  • इंजन बंद होने का कारण: हालांकि रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से नहीं बताती कि स्विच जानबूझकर बंद किए गए थे या किसी तकनीकी खराबी के कारण, लेकिन कॉकपिट में हुई बातचीत वरिष्ठ पायलट के कार्यों पर संदेह पैदा करती है।

वरिष्ठ पायलट पर क्यों केंद्रित है जांच?

जांच का केंद्र वरिष्ठ पायलट पर इसलिए घूम रहा है क्योंकि CVR रिकॉर्डिंग से सामने आया संवाद उनकी ओर इशारा करता है। विमान में दो पायलट थे – कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर। कैप्टन सभरवाल के पास 15,638 घंटे का व्यापक उड़ान अनुभव था, जबकि फर्स्ट ऑफिसर कुंदर के पास 3,403 घंटे का अनुभव था।

  • संवाद का महत्व: वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट के अनुसार, कॉकपिट रिकॉर्डिंग में फर्स्ट ऑफिसर को कैप्टन से यह पूछते हुए सुना गया है कि उन्होंने ईंधन स्विच को ‘कटऑफ’ स्थिति में क्यों ले जाया। यह इस बात का संकेत है कि स्विच को किसी मानवीय हस्तक्षेप से बंद किया गया हो सकता है।
  • CRM की विफलता: यदि कॉकपिट में ऐसी भ्रम की स्थिति थी और एक पायलट के कार्य से दूसरे पायलट को भी आश्चर्य हुआ, तो यह क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) की विफलता को दर्शाता है। CRM एक महत्वपूर्ण विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल है जो पायलटों के बीच प्रभावी संचार और समन्वय सुनिश्चित करता है।
  • तकनीकी बनाम मानवीय त्रुटि: जहां बोइंग और कुछ अन्य जांचकर्ता तकनीकी खराबी की संभावना को देख रहे हैं, वहीं परिस्थितिजन्य साक्ष्य अब अधिक मानवीय त्रुटि की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि, AAIB ने जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से मना किया है और अंतिम रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा है।

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आगे क्या है?

जांच अभी भी जारी है और कई पहलुओं पर गौर किया जा रहा है। विमान के ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) से मिले डेटा का गहन विश्लेषण किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे हादसों के पीछे अक्सर कई कारक होते हैं, न कि सिर्फ एक।

  • अन्य संभावित कारक: जांचकर्ता विमान के पूरे जीवनकाल में “तकनीकी खराबी के इतिहास” की भी जांच कर रहे हैं। इससे पहले भी इस विमान में ‘स्टेबलाइजर पोजीशन ट्रांसड्यूसर डिफेक्ट’ जैसी कुछ minor तकनीकी दिक्कतें दर्ज की गई थीं, हालांकि उनका सीधा संबंध इस दुर्घटना से नहीं जोड़ा गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत का AAIB अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) और बोइंग जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि दुर्घटना के मूल कारणों का पता लगाया जा सके।

एक दुखद उदाहरण और सीख

यह घटना विमानन उद्योग में सुरक्षा प्रोटोकॉल और पायलट प्रशिक्षण के महत्व को फिर से रेखांकित करती है। इंडियन फेडरेशन ऑफ पायलट्स (IFP) के अध्यक्ष, कैप्टन सी.एस. रंधावा ने मीडिया की उन अटकलों की निंदा की है जो पायलट पर जानबूझकर ईंधन काटने का आरोप लगा रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में ऐसा कोई सीधा आरोप नहीं है।

  • सांख्यिकी: वैश्विक स्तर पर विमानन दुर्घटनाओं में मानवीय त्रुटि का योगदान लगभग 80% होता है, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा संगठनों द्वारा दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा इस बात पर जोर देता है कि पायलटों का सही प्रशिक्षण, मानसिक स्थिति और कॉकपिट में प्रभावी संचार कितना महत्वपूर्ण है।
  • छवि सुझाव: एक इन्फोग्राफिक जिसमें दिखाया गया हो कि कैसे एक विमान के इंजन फ्यूल स्विच काम करते हैं और ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में जाने पर क्या होता है। इसमें एक छोटा सा डायग्राम हो जो कॉकपिट के भीतर पायलटों की सीटों और स्विच की स्थिति को दर्शाए।

निष्कर्ष और आगे की राह

एयर इंडिया दुर्घटना की जांच में नए खुलासे निश्चित रूप से चिंताजनक हैं और सुरक्षा मानकों पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। यह जरूरी है कि पूरी जांच निष्पक्ष रूप से हो और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके। विमानन सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

हमारा मानना है कि यात्रियों की सुरक्षा से बढ़कर कुछ नहीं है। एयरलाइन कंपनियों और नियामक निकायों को निरंतर सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और उन्हें मजबूत करना चाहिए।

आप क्या सोचते हैं? इस घटना पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी प्रतिक्रिया दें।

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