Politics

अरुण जेटली: एक कुशल राजनेता, अर्थशास्त्री और वक्ता

भारतीय राजनीति के एक महान स्तंभ, अरुण जेटली, की पुण्यतिथि हमें उनके असाधारण जीवन, उल्लेखनीय करियर और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान की याद दिलाती है। 24 अगस्त, 2019 को उनके निधन ने देश में एक गहरी रिक्तता छोड़ दी। एक कुशल वकील से लेकर एक दूरदर्शी राजनेता तक, उनका जीवन समर्पण, बुद्धि और दृढ़ता की एक प्रेरणादायक कहानी है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम अरुण जेटली के जीवन, करियर, उनकी प्रमुख उपलब्धियों और उनकी विरासत पर एक गहन नज़र डालेंगे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर, 1952 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता, महाराज किशन जेटली, एक प्रसिद्ध वकील थे। अपनी स्कूली शिक्षा उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही कानून की पढ़ाई पूरी की। छात्र जीवन से ही वे नेतृत्व के गुणों से परिपूर्ण थे। 1974 में, वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष बने, जो उनकी राजनीतिक यात्रा का पहला महत्वपूर्ण कदम था।

एक उत्कृष्ट वकील का उदय

राजनीति में कदम रखने से पहले, अरुण जेटली ने एक सफल वकील के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 1977 में वकालत शुरू की और बहुत ही कम समय में सुप्रीम कोर्ट के सबसे प्रतिष्ठित वकीलों में से एक बन गए। उनकी कानूनी समझ, तार्किक बहस और विभिन्न मामलों में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुँचाया।

महत्वपूर्ण कानूनी कार्य:

  • 1989 में, उन्हें वी.पी. सिंह सरकार द्वारा भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया।
  • उन्होंने बोफोर्स घोटाला जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में काम किया।
  • पेप्सीको बनाम कोका-कोला जैसे कॉर्पोरेट मामलों में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजनीतिक करियर की शुरुआत और उपलब्धियाँ

जेटली का राजनीतिक जीवन 1975 के आपातकाल के दौरान शुरू हुआ, जब उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके लिए उन्हें 19 महीने जेल में भी रहना पड़ा। जेल में रहते हुए, उनका संपर्क कई वरिष्ठ राजनेताओं से हुआ, जिसने उनके राजनीतिक भविष्य को आकार दिया।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में भूमिका:

  • 1980 में, वे भाजपा में शामिल हुए।
  • वे भाजपा के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने और पार्टी के भीतर तेजी से उनका कद बढ़ा।
  • अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं के साथ उनका गहरा संबंध था।
  • उन्होंने 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया, जहां उनके तर्कपूर्ण और प्रभावी भाषणों ने उन्हें पहचान दिलाई।

वित्त मंत्री के रूप में विरासत

2014 में, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई, तो अरुण जेटली को वित्त मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री का महत्वपूर्ण पदभार सौंपा गया। वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को भारत की अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधारों के लिए याद किया जाता है।

प्रमुख आर्थिक सुधार और नीतियाँ:

  1. वस्तु एवं सेवा कर (GST): इसे भारत के इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है। जेटली ने इस जटिल कानून को सफलतापूर्वक लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने पूरे देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की अवधारणा को साकार किया।
  2. दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC): यह कानून बैंकों के फंसे हुए कर्जों (NPA) की समस्या से निपटने के लिए लाया गया था। इसने दिवालियापन की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाया, जिससे भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत हुई।
  3. जन धन योजना: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए जन धन योजना के सफल क्रियान्वयन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  4. विमुद्रीकरण: हालांकि यह एक विवादास्पद कदम था, जेटली ने इस नीति को लागू करने और इसके बाद की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में सरकार का बचाव किया।

अरुण जेटली के नेतृत्व में, भारत की अर्थव्यवस्था ने कई चुनौतियों के बावजूद उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। उन्होंने रक्षा और बीमा जैसे क्षेत्रों में भी विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया।

कुल संपत्ति और व्यक्तिगत जीवन

राजनीति में आने के बाद भी, अरुण जेटली ने एक सफल वकील के रूप में अपनी आय बनाए रखी। 2018 में चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹111.66 करोड़ थी। इसमें उनकी और उनकी पत्नी की चल और अचल दोनों संपत्तियां शामिल थीं। उनके पास कई लग्जरी कारें और गहने भी थे।

अरुण जेटली का व्यक्तिगत जीवन भी काफी सफल रहा। उन्होंने 1982 में संगीता जेटली से शादी की और उनके दो बच्चे हैं – सोनाली और रोहन, जो दोनों पेशे से वकील हैं। वे एक शांत और सौम्य व्यक्ति थे, लेकिन जब राष्ट्रहित की बात आती थी, तो वे दृढ़ता से अपनी बात रखते थे।

स्वास्थ्य और निधन

पिछले कुछ वर्षों से, अरुण जेटली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्होंने 2014 में एक बैरिएट्रिक सर्जरी भी करवाई थी। 2019 में, खराब स्वास्थ्य के कारण, उन्होंने दूसरे मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया। उनका 24 अगस्त, 2019 को 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन का कारण सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा नामक एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर था, जिसका वे लंबे समय से इलाज करवा रहे थे।

निष्कर्ष: एक महान विरासत

अरुण जेटली का जीवन एक सार्वजनिक सेवा, विद्वत्ता और समर्पण का उदाहरण है। वे न केवल एक उत्कृष्ट राजनेता थे, बल्कि एक कुशल रणनीतिकार, एक प्रभावी वक्ता और एक सम्मानित वकील भी थे। उनके योगदान, विशेष रूप से जीएसटी और आईबीसी जैसे आर्थिक सुधारों के लिए, उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन उनकी विरासत हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।

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