अटल बिहारी वाजपेयी जयंती: राजनाथ सिंह के किस्सों से लेकर पांच ऐतिहासिक भाषणों तक, जानिए पूरी विरासत

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अटल बिहारी वाजपेयी जयंती राजनाथ सिंह के किस्सों से लेकर पांच ऐतिहासिक भाषणों तक

अटल बिहारी वाजपेयी जयंती: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpayee की 101वीं जयंती पर देशभर में उनके राजनीतिक, वैचारिक और साहित्यिक योगदान को याद किया गया। 

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इस अवसर पर रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने वाजपेयी के जीवन से जुड़े कई प्रसंग साझा किए, जिनमें पाकिस्तान यात्रा के दौरान का एक चर्चित किस्सा भी शामिल रहा। वाजपेयी अपने प्रभावशाली भाषणों, कविताओं और मर्यादित राजनीतिक शैली के लिए जाने जाते थे। पोखरण-II परमाणु परीक्षण से लेकर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी कांग्रेस में दिए गए उनके भाषणों ने भारत की वैश्विक छवि को नई दिशा दी।

KEY TAKEAWAYS: अटल बिहारी वाजपेयी जयंती और भाषण

  • अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती 25 दिसंबर 2025 को मनाई गई
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वाजपेयी के हास्यबोध और राजनीतिक मर्यादा को याद किया
  • वाजपेयी ने 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षण की घोषणा की
  • 1977 में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले पहले भारतीय नेता बने
  • 1996 में 13 दिन की सरकार के बाद ऐतिहासिक इस्तीफा भाषण दिया
  • 2000 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित कर भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा दी
  • 2015 में भारत रत्न से सम्मानित, 16 अगस्त 2018 को निधन

101वीं जयंती पर अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनकी 101वीं जयंती के अवसर पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। भारत सरकार 2014 से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय सुशासन दिवस (Good Governance Day) के रूप में मनाती है।

राजनाथ सिंह ने सुनाया पाकिस्तान यात्रा का किस्सा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कवि कुमार विश्वास के एकल काव्य-पाठ कार्यक्रम में वाजपेयी से जुड़ा एक स्मरणीय प्रसंग साझा किया। 

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उन्होंने बताया कि पाकिस्तान यात्रा के दौरान वाजपेयी के भाषण से प्रभावित एक महिला ने उनसे विवाह का प्रस्ताव रखते हुए कश्मीर देने की बात कही थी। इस पर वाजपेयी ने जवाब दिया था कि वह विवाह के लिए तैयार हैं, लेकिन दहेज में पाकिस्तान चाहिए।

 राजनाथ सिंह ने कहा कि वाजपेयी का हास्यबोध अद्भुत था और वे राजनीतिक विरोध करते समय भी मर्यादा नहीं लांघते थे।

1998 का पोखरण-II भाषण: भारत की परमाणु शक्ति का ऐलान

11 मई 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए पोखरण टेस्ट रेंज में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षणों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि परीक्षणों में फिशन डिवाइस, लो-यील्ड डिवाइस और थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस शामिल थे।
वाजपेयी ने कहा कि परीक्षण पूरी तरह नियंत्रित थे और वातावरण में रेडियोधर्मिता का कोई उत्सर्जन नहीं हुआ। उन्होंने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी।

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1996 का इस्तीफा भाषण: ‘सत्ता का खेल चलेगा…’

28 मई 1996 को लोकसभा में विश्वास मत के दौरान वाजपेयी ने अपना ऐतिहासिक इस्तीफा भाषण दिया। उन्होंने कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन देश और लोकतंत्र को जीवित रहना चाहिए।
उन्होंने सत्ता की लालसा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कभी सत्ता के लिए अनैतिक रास्ता नहीं अपनाया और बहुमत का सम्मान करते हुए राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपने की बात कही।

1977 में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषण

विदेश मंत्री रहते हुए वाजपेयी ने 4 अक्टूबर 1977 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर इतिहास रचा। उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शांति और ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की अवधारणा पर भारत का पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को केवल सरकारों का मंच नहीं, बल्कि मानवता की सामूहिक चेतना का प्रतिनिधि बनना चाहिए।

2002 का स्वतंत्रता दिवस संबोधन

2002 में लाल किले से दिए गए स्वतंत्रता दिवस भाषण में वाजपेयी ने देशवासियों से एकजुट होकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लक्ष्य चाहे जितने ऊंचे हों, संकल्प के साथ आगे बढ़ने पर विजय सुनिश्चित है। उन्होंने ‘जय हिंद’ के नारे के साथ भाषण समाप्त किया।

2000 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधन

14 सितंबर 2000 को वाजपेयी ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। उन्होंने भारत और अमेरिका को ‘प्राकृतिक साझेदार’ बताते हुए लोकतंत्र, आतंकवाद विरोध, ऊर्जा, पर्यावरण, विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय शांति में सहयोग पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि नई सदी ने भारत-अमेरिका संबंधों में नई शुरुआत की है।

भारत रत्न और साहित्यिक विरासत

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे एक संवेदनशील कवि भी थे। 1992 में पद्म विभूषण मिलने के बाद लिखी गई उनकी कविता ‘ऊँचाई’ उनके विचारों को दर्शाती है। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हुआ।

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अंतिम संपादकीय दृष्टि 

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में ऐसे नेता के रूप में स्थापित रहे, जिन्होंने सत्ता, कविता और विचारधारा के बीच संतुलन बनाया। उनके भाषणों में दृढ़ता थी, लेकिन भाषा में मर्यादा बनी रही। चाहे परमाणु परीक्षण की घोषणा हो या संसद में इस्तीफा भाषण, वाजपेयी ने हर मंच पर लोकतांत्रिक मूल्यों को प्राथमिकता दी। उनकी 101वीं जयंती पर उन्हें याद करना केवल अतीत को देखना नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की उस परंपरा को समझना है, जिसमें संवाद, सहमति और राष्ट्रहित सर्वोपरि रहा।

अटल मोक्ष की दिशा में मार्ग

मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य भक्ति करना बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार केवल तीन देवताओं की भक्ति में उलझकर जीव जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त नहीं हो सकता। वेद यह स्पष्ट करते हैं कि तप, व्रत और तीर्थ जैसी साधनाएँ मोक्ष का साधन नहीं हैं। आज का शिक्षित समाज शास्त्रों का अध्ययन करने में सक्षम है, इसलिए शास्त्र-आधारित भक्ति का महत्व और भी बढ़ जाता है। यदि इस जीवन में सत्य भक्ति नहीं की गई, तो जीव 84 लाख योनियों के चक्र में फँसा रहता है।

अटल मोक्ष का अर्थ स्वर्ग, महास्वर्ग या ब्रह्मलोक से ऊपर जाकर सतलोक की प्राप्ति है। वेदों में वर्णित सत्पुरुष कविर्देव की भक्ति को मोक्ष के लिए अनिवार्य बताया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर उनसे तत्वज्ञान प्राप्त कर सतभक्ति करना ही जीवन का लक्ष्य है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण तत्वदर्शी संत की भूमिका में बताए जाते हैं, जिन्होंने सभी धर्मों के शास्त्रों के आधार पर स्पष्ट और निर्णायक ज्ञान प्रस्तुत किया है। 

उनके उपदेश सरल, व्यावहारिक और सभी आयु वर्ग के लिए ग्राह्य बताए जाते हैं। ऋग्वेद में यह भी वर्णित है कि पूर्ण परमात्मा अपने भक्त की आयु बढ़ा सकते हैं और रोगों का नाश कर सकते हैं। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सतभक्ति से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है, जिसकी गारंटी जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई है।

अधिक जानकारी के लिए देखें:

  • Website: www.jagatgururampalji.org
  • YouTube: Sant Rampal Ji Maharaj
  • Facebook: Spiritual Leader Saint Rampal Ji
  • X (Twitter): @SaintRampalJiM

FAQs on Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary

Q1. अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती कब मनाई गई?

25 दिसंबर 2025 को।

Q2. पोखरण-II परमाणु परीक्षण कब हुआ था?

मई 1998 में।

Q3. वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषण कब दिया?

4 अक्टूबर 1977 को।

Q4. अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न कब मिला?

वर्ष 2015 में।

Q5. अटल बिहारी वाजपेयी का निधन कब हुआ?

16 अगस्त 2018 को।

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