Chanda Kochhar Case in Hindi: ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर दोषी करार!

Chanda Kochhar Case in Hindi: ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर को वीडियोकॉन समूह को दिए गए ऋण के मामले में ‘क्विड प्रो क्वो’ (Quid Pro Quo) यानी लेन-देन के बदले लाभ लेने का दोषी ठहराया गया है। यह खबर बैंकिंग और कॉर्पोरेट जगत में हलचल मचा रही है। एक अपीलीय न्यायाधिकरण ने 3 जुलाई को अपने आदेश में इस बात की पुष्टि की कि कोचर ने अपने पद का दुरुपयोग किया और वीडियोकॉन समूह से अपने पति दीपक 

कोचर की कंपनी में रिश्वत के तौर पर ₹64 करोड़ प्राप्त किए, जिसके बदले में वीडियोकॉन को ₹300 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया गया। 

यह मामला कई वर्षों से सुर्खियां बटोर रहा था और अब इस पर आए फैसले ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है।

क्या है ICICI बैंक-वीडियोकॉन ऋण घोटाला?

यह मामला 2018 में तब सामने आया जब एक व्हिसलब्लोअर ने आरोप लगाया कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत को दिए गए ऋण के बदले में अपने पति दीपक कोचर की कंपनी, न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स (NuPower Renewables) में भारी निवेश प्राप्त किया। CBI की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि ICICI बैंक ने जून 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच वीडियोकॉन समूह से जुड़ी कंपनियों को अपनी नीतियों का उल्लंघन करते हुए ₹1,875 करोड़ के छह ऋण स्वीकृत किए। 

Chanda Kochhar Case in Hindi: ये ऋण बाद में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित कर दिए गए, जिससे बैंक को ₹1,730 करोड़ का भारी नुकसान हुआ।

  • चंदा कोचर: ICICI बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और CEO।
  • दीपक कोचर: चंदा कोचर के पति और न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स के संस्थापक।
  • वेणुगोपाल धूत: वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक।

₹64 करोड़ की रिश्वत और ‘क्विड प्रो क्वो’

अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि वीडियोकॉन समूह से ₹64 करोड़ की राशि दीपक कोचर की कंपनी न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में हस्तांतरित की गई थी। यह हस्तांतरण ICICI बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को ₹300 करोड़ का ऋण वितरित करने के ठीक एक दिन बाद हुआ था। न्यायाधिकरण ने इसे ‘क्विड प्रो क्वो’ का सीधा मामला करार दिया, जहां चंदा कोचर ने बैंक के नियमों और नीतियों का उल्लंघन करते हुए ऋण समिति का हिस्सा होने के बावजूद अपने हितों के टकराव का खुलासा नहीं किया।

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Chanda Kochhar Case in Hindi: यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रुख का समर्थन करता है, जिसने इस मामले में ₹78 करोड़ की संपत्ति कुर्क की थी। न्यायाधिकरण ने 2020 के एक पिछले आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें आरोपी को राहत मिली थी और कुर्क की गई संपत्तियों को जारी करने का आदेश दिया गया था।

Chanda Kochhar Case in Hindi: इस फैसले के क्या हैं निहितार्थ?

यह फैसला भारत के कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बैंकिंग क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है:

  • जवाबदेही का महत्व: यह दिखाता है कि उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को भी अपने निर्णयों और कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
  • बैंकों में पारदर्शिता: यह बैंकों में ऋण स्वीकृति प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता और सख्त नियमों की आवश्यकता पर जोर देता है।
  • निवेशकों का विश्वास: ऐसे मामलों में न्याय प्रणाली का प्रभावी कार्य निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जो वित्तीय बाजारों की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

इस मामले में ₹64 करोड़ की रिश्वत की राशि भारत में आर्थिक अपराधों की गंभीरता को दर्शाती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों में लगभग ₹30,000 करोड़ शामिल थे, जो बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम प्रबंधन के महत्व को उजागर करता है। (स्रोत: RBI वार्षिक रिपोर्ट)

आगे क्या?

Chanda Kochhar Case in Hindi: इस अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के बाद, ED के आरोपों को और मजबूती मिली है। अब आगे की कानूनी कार्यवाही और धन शोधन (money laundering) के आरोपों की जांच जारी रहेगी। यह मामला निश्चित रूप से भारत के वित्तीय नियामक ढांचे और कॉर्पोरेट नैतिकता के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा।

निष्कर्ष में, चंदा कोचर का दोषी ठहराया जाना बैंकिंग क्षेत्र में नैतिक आचरण और कॉर्पोरेट प्रशासन के महत्व को रेखांकित करता है। यह एक स्पष्ट संदेश है कि कानून के समक्ष कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है।

क्या आपके मन में ऐसे ही वित्तीय घोटालों से जुड़े और सवाल हैं? नीचे टिप्पणी में बताएं!

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