Chandra Shekhar Azad Jayanti 2025: हर साल 23 जुलाई को, भारत एक ऐसे वीर सपूत को याद करता है जिसने अपनी पूरी जिंदगी देश की आजादी के लिए कुर्बान कर दी। हम बात कर रहे हैं अमर क्रांतिकारी, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद की। चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025 के इस अवसर पर, आइए उनके शौर्य, बलिदान और असाधारण व्यक्तित्व को गहराई से जानें, और समझें कि क्यों वे आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
Chandra Shekhar Azad Jayanti 2025: चंद्रशेखर आजाद का पूरा जीवन परिचय क्या है?
चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा (अब आज़ादनगर) में हुआ था। छोटी उम्र में ही उन्होंने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों को देखा और देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने का संकल्प लिया। गांधीजी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर, वे महज 14 साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
मजिस्ट्रेट के सामने उन्होंने अपना नाम ‘आज़ाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और पता ‘जेल’ बताया, जिसके बाद से वे ‘आज़ाद’ के नाम से अमर हो गए। चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025 हमें उनके इसी निडर और स्वाभिमानी व्यक्तित्व की याद दिलाती है।
आज़ाद का क्रांतिकारी जीवन: कुछ अनमोल अध्याय

आज़ाद का जीवन क्रांतिकारी गतिविधियों से भरा था। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे बाद में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के रूप में पुनर्गठित किया गया। उनके कुछ प्रमुख कार्यकलाप जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी:
- काकोरी ट्रेन एक्शन (1925): आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों के साथ, काकोरी में एक ट्रेन से सरकारी खजाना लूटने में शामिल थे। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार को सकते में डाल दिया और क्रांतिकारियों में आत्मविश्वास भर दिया।
- जॉन सॉन्डर्स की हत्या (1928): लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए, आज़ाद ने भगत सिंह और राजगुरु के साथ मिलकर जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी। यह अंग्रेजों के लिए एक बड़ा झटका था और इसने भारतीय युवाओं में देशभक्ति की भावना को और प्रज्वलित किया।
इन घटनाओं ने साबित किया कि आज़ाद केवल एक नाम नहीं, बल्कि साहस और बलिदान का प्रतीक थे।
Also Read : बटुकेश्वर दत्त (Batukeshwar Dutt): एक गुमनाम क्रांतिकारी की शौर्य गाथा
आज़ाद के विचार और उनका महत्व | Chandra Shekhar Azad Jayanti 2025 Quotes in Hindi

आज़ाद का मानना था कि “दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही रहेंगे।” यह उनका दृढ़ संकल्प था कि वे कभी भी जीवित पकड़े नहीं जाएंगे। उनके आदर्श और विचार आज भी प्रासंगिक हैं:
- अखंड राष्ट्रवाद: आज़ाद का मानना था कि देश की आजादी सर्वोपरि है, और इसके लिए किसी भी हद तक जाना पड़े, कम नहीं है।
- आत्मनिर्भरता और साहस: उन्होंने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।
- बलिदान की भावना: उन्होंने खुद को देश के लिए बलिदान कर दिया, यह दर्शाते हुए कि सच्ची स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान देना पड़ सकता है।
एक बार आज़ाद ने कहा था, “अगर आपके लहू में रोष नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है। ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम ना आए।” उनका यह कथन आज भी युवाओं को प्रेरित करता है।
चन्द्रशेखर नाम, सूरज का प्रखर उत्ताप हूँ मैं,
फूटते ज्वालामुखी-सा, क्रांति का उद्घोष हूँ मैं।
कोश जख्मों का, लगे इतिहास के जो वक्ष पर है,
चीखते प्रतिरोध का जलता हुआ आक्रोश हूँ मैं।
विवश अधरों पर सुलगता गीत हूँ विद्रोह का मैं,
नाश के मन पर नशे जैसा चढ़ा उन्माद हूँ मैं।
मैं गुलामी का कफन, उजला सपन स्वाधीनता का,
नाम से आजाद, हर संकल्प से फौलाद हूँ मैं।
सिसकियों पर, अब किसी अन्याय को पलने न दूँगा,
जुल्म के सिक्के किसी के, मैं यहाँ चलने न दूँगा।
खून के दीपक जलाकर अब दिवाली ही मनेगी,
इस धरा पर, अब दिलों की होलियाँ जलने न दूँगा।
चंद्रशेखर आज़ाद जयंती (Chandra Shekhar Azad Jayanti 2025) कैसे मनाएं?

चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025 केवल एक छुट्टी नहीं, बल्कि एक अवसर है उनके आदर्शों को अपनाने का। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में आज़ाद के जीवन और उनके योगदान पर सेमिनार और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित करें।
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां: उनके बलिदान को दर्शाने वाले नाटक या गीत प्रस्तुत करें।
- सामाजिक कार्य: आज़ाद के आदर्शों से प्रेरणा लेकर समाज सेवा के कार्यों में भाग लें।
- राष्ट्रीय स्मारक पर श्रद्धांजलि: अगर संभव हो तो प्रयागराज (इलाहाबाद) के अल्फ्रेड पार्क (जिसे अब आज़ाद पार्क कहा जाता है) में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
निष्कर्ष: आज़ाद की विरासत और हमारा कर्तव्य
27 फरवरी, 1931 को अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस से घिर जाने के बाद, चंद्रशेखर आज़ाद ने अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए, खुद को गोली मारकर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। वे कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे। चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025 हमें इस महान क्रांतिकारी के बलिदान को याद करने और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर देती है।
आइए हम सब मिलकर आज़ाद के सपनों के भारत का निर्माण करें – एक ऐसा भारत जहां स्वतंत्रता, समानता और न्याय हो। उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें और एक मजबूत, समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें।
क्या आप भी आज़ाद के विचारों से प्रेरित हैं? कमेंट सेक्शन में बताएं कि चंद्रशेखर आज़ाद आपको कैसे प्रेरित करते हैं!
बाहरी लिंक:
- दृष्टि आईएएस: चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती
- Chandra Shekhar Azad Jayanti | क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की 119वीं जयंती पर जानिए शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के विलक्षण जीवन के बारे में