भारत की क्रिकेट जर्सी का नया स्पॉन्सर कौन? Dream11 के हटने के बाद अब क्या होगा?

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भारत की क्रिकेट जर्सी का नया स्पॉन्सर कौन Dream11 के हटने के बाद अब क्या होगा

भारत की क्रिकेट टीम की जर्सी पर जल्द ही एक नया लोगो दिखने वाला है। जी हाँ, आपने सही सुना। फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11, जो पिछले दो सालों से भारतीय क्रिकेट टीम का मुख्य स्पॉन्सर था, अब इस डील से बाहर हो गया है। इस खबर ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है और अब हर कोई यह सवाल पूछ रहा है कि आखिर Dream11 के हटने के बाद भारत की क्रिकेट जर्सी का नया स्पॉन्सर कौन होगा? यह सिर्फ एक लोगो बदलने की बात नहीं है, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट के विशाल वाणिज्यिक इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।

Dream11 ने यह कदम ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025’ के पारित होने के बाद उठाया है, जिसने भारत में रियल-मनी गेमिंग को प्रतिबंधित कर दिया है। चूंकि Dream11 का मुख्य व्यवसाय इसी पर आधारित था, इसलिए उसके लिए इस स्पॉन्सरशिप को जारी रखना संभव नहीं था। यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि Dream11 ने BCCI के साथ 3 साल का, ₹358 करोड़ का समझौता किया था, जो मार्च 2026 तक चलने वाला था।

अब सवाल यह है कि एशिया कप 2025 से ठीक पहले खाली हुई इस जगह को कौन भरेगा? क्या BCCI को एक नया भागीदार मिलेगा, या टीम इंडिया बिना मुख्य स्पॉन्सर के मैदान में उतरेगी? इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस पूरे मामले को गहराई से समझेंगे और उन शीर्ष दावेदारों पर चर्चा करेंगे जो भारतीय क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित जर्सी पर अपनी जगह बना सकते हैं।

Dream11 ने क्यों छोड़ी स्पॉन्सरशिप?

Dream11 के हटने का मुख्य कारण भारत सरकार द्वारा पारित किया गया नया कानून है। यह कानून रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। 21 अगस्त, 2025 को ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025’ को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित कर दिया गया, जिसके बाद Dream11 जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए अपनी सेवाएं जारी रखना मुश्किल हो गया।

  • व्यावसायिक मॉडल में बदलाव: Dream11 का राजस्व मॉडल पूरी तरह से पेड कॉन्टेस्ट्स पर आधारित था। इस कानून के बाद, कंपनी को अपने व्यवसाय को फ्री-टू-प्ले फॉर्मेट में बदलना पड़ा, जिससे उसके राजस्व में भारी गिरावट आने की आशंका है।
  • कानूनी बाध्यता: बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड देश के कानूनों का पालन करेगा। अगर कोई व्यवसाय कानून के तहत प्रतिबंधित है, तो बीसीसीआई उससे स्पॉन्सरशिप नहीं ले सकता।
  • प्रतीकात्मक कदम: यह Dream11 की ओर से एक प्रतीकात्मक कदम भी है। जब कंपनी का मुख्य व्यवसाय ही संकट में है, तो करोड़ों रुपये की स्पॉन्सरशिप जारी रखना तार्किक नहीं है।

यह ध्यान देने योग्य है कि Dream11 से पहले भी कई कंपनियों को भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर करने के बाद वित्तीय या कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इनमें सहारा और BYJU’S जैसे बड़े नाम शामिल हैं, 

जिससे कई लोग इसे ‘जर्सी पर लगा शाप’ (jinx) भी कहते हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक संयोग है, लेकिन यह दर्शाता है कि भारत की क्रिकेट जर्सी पर दिखने के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा होता है।

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भारत की क्रिकेट जर्सी का नया स्पॉन्सर कौन हो सकता है?

भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर लोगो लगाने का मौका मिलना किसी भी कंपनी के लिए एक बड़ा गौरव और व्यावसायिक अवसर होता है। भारत में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और भारतीय टीम की जर्सी हर घर में पहचानी जाती है। एक ब्रांड के लिए यह करोड़ों ग्राहकों तक पहुंचने का सीधा रास्ता है। इसलिए, Dream11 के हटने के बाद कई बड़ी कंपनियाँ इस मौके को भुनाने के लिए तैयार हैं। यहाँ कुछ शीर्ष दावेदारों की सूची दी गई है:

1. बड़े कॉर्पोरेट समूह (Conglomerates)

  • टाटा समूह (Tata Group): टाटा समूह पहले से ही भारतीय खेलों में एक बड़ा खिलाड़ी है। वे IPL के टाइटल स्पॉन्सर हैं और उनकी विश्वसनीयता और वित्तीय स्थिरता बेजोड़ है। ‘मेक इन इंडिया’ और भारतीय जड़ों वाला उनका ब्रांड भारतीय क्रिकेट टीम के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।
  • रिलायंस समूह (Reliance Group): रिलायंस, विशेष रूप से जियो (Jio), भारतीय डिजिटल और दूरसंचार बाजार पर हावी है। जियोसिनेमा के माध्यम से क्रिकेट प्रसारण में उनकी गहरी भागीदारी है। टीम इंडिया की जर्सी को स्पॉन्सर करना उनके ब्रांड को और भी मजबूत करेगा।
  • अडानी समूह (Adani Group): अडानी समूह ने हाल ही में खेल के क्षेत्र में बड़े निवेश किए हैं। वे गुजरात जायंट्स (Gujarat Giants) जैसी फ्रेंचाइजी के मालिक हैं। भारतीय क्रिकेट की जर्सी पर उनका लोगो वैश्विक स्तर पर उनकी उपस्थिति को और बढ़ाएगा।

2. फिनटेक और ई-कॉमर्स कंपनियाँ

  • ज़ेरोधा (Zerodha): भारत में सबसे बड़े स्टॉकब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक, ज़ेरोधा ने अपनी मजबूत ग्राहक आधार और नवाचार के लिए प्रतिष्ठा बनाई है। एक पारदर्शी और विश्वसनीय ब्रांड के रूप में, वे BCCI के लिए एक आदर्श विकल्प हो सकते हैं।
  • ग्रो (Groww) या एंजेल वन (Angel One): ये फिनटेक कंपनियाँ भी तेजी से बढ़ रही हैं और युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। क्रिकेट की लोकप्रियता का उपयोग करके वे अपने ब्रांड को और अधिक लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
  • फ्लिपकार्ट (Flipkart) या अमेज़न (Amazon): ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट और अमेज़न पहले भी खेलों में निवेश कर चुके हैं। क्रिकेट जर्सी पर उनका लोगो उन्हें पूरे देश में एक अभूतपूर्व दृश्यता (visibility) प्रदान करेगा।

3. अन्य क्षेत्र के दावेदार

  • ऑटोमोबाइल कंपनियाँ: महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) या टोयोटा (Toyota) जैसी कंपनियाँ, जो भारतीय बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाना चाहती हैं, वे भी एक मजबूत दावेदार हो सकती हैं। आनंद महिंद्रा का क्रिकेट के प्रति जुनून इस संभावना को और भी प्रासंगिक बनाता है।
  • FMCG कंपनियाँ: Pepsi या Coca-Cola जैसी FMCG कंपनियाँ, जिनका क्रिकेट के साथ लंबा इतिहास रहा है, वे भी इस दौड़ में शामिल हो सकती हैं।

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बीसीसीआई के लिए क्या है प्राथमिकता?

Dream11 के अचानक बाहर होने से बीसीसीआई के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। एशिया कप 2025 कुछ ही हफ्तों में शुरू होने वाला है और टीम इंडिया के पास फिलहाल कोई मुख्य स्पॉन्सर नहीं है। इस स्थिति में, बीसीसीआई की प्राथमिकताएं क्या होंगी?

  • जल्द से जल्द डील: बीसीसीआई की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे एशिया कप शुरू होने से पहले एक नया स्पॉन्सर ढूंढ लें। अगर ऐसा नहीं होता है, तो टीम इंडिया बिना मुख्य स्पॉन्सर के खेलेगी, जो न केवल वित्तीय रूप से बल्कि ब्रांड वैल्यू के लिए भी नुकसानदेह होगा।
  • उच्च बोली: बीसीसीआई हमेशा सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को चुनता है। हालांकि, मौजूदा कानूनी और व्यावसायिक माहौल में, उन्हें सिर्फ पैसे से ज्यादा स्थिरता और ब्रांड की प्रतिष्ठा पर भी ध्यान देना होगा।
  • स्थिरता और विश्वसनीयता: Dream11, Byju’s और सहारा के साथ पिछले अनुभवों को देखते हुए, बीसीसीआई एक ऐसे पार्टनर की तलाश में होगा जिसका व्यावसायिक मॉडल मजबूत और कानूनी रूप से स्थिर हो। एक पारंपरिक कॉर्पोरेट समूह जैसे टाटा या रिलायंस इस शर्त को पूरा करते हैं।

आंकड़ों की बात:

Dream11 ने BCCI को प्रति मैच घरेलू मैचों के लिए ₹3 करोड़ और विदेशी दौरों के लिए ₹1 करोड़ का भुगतान किया था। यह ₹358 करोड़ का कुल सौदा था। यह एक बहुत बड़ी राशि है, और BCCI को एक ऐसा स्पॉन्सर चाहिए जो कम से कम इसी राशि या उससे अधिक का भुगतान करने को तैयार हो।

संभावित परिदृश्य और आगे की राह

परिदृश्य 1: एक नया स्पॉन्सर तुरंत मिल जाता है अगर बीसीसीआई जल्द से जल्द किसी नए स्पॉन्सर के साथ डील फाइनल कर लेता है, तो संभव है कि एशिया कप में हमें एक नया लोगो देखने को मिले। इस स्थिति में, बीसीसीआई एक ऐसे ब्रांड को प्राथमिकता देगा जो वित्तीय रूप से मजबूत हो और जिसका व्यवसाय कानूनी जोखिमों से मुक्त हो।

परिदृश्य 2: टीम इंडिया बिना स्पॉन्सर के खेलती है अगर बीसीसीआई को एशिया कप शुरू होने से पहले कोई उपयुक्त स्पॉन्सर नहीं मिलता है, तो टीम इंडिया टूर्नामेंट में बिना मुख्य स्पॉन्सर के खेलेगी। यह कोई असामान्य बात नहीं है, और ऐसा पहले भी कई खेल टीमों के साथ हुआ है। हालांकि, भारतीय क्रिकेट की ब्रांड वैल्यू को देखते हुए, यह एक अस्थायी स्थिति ही होगी। बीसीसीआई तब तक इंतजार कर सकता है जब तक उसे सबसे अच्छी डील नहीं मिल जाती।

निष्कर्ष: भारतीय क्रिकेट का नया अध्याय

Dream11 का हटना भारतीय क्रिकेट स्पॉन्सरशिप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह एक ऐसे युग के अंत का प्रतीक है जहाँ फैंटेसी गेमिंग कंपनियाँ भारतीय खेलों पर हावी थीं। अब, गेंद बीसीसीआई के पाले में है। उन्हें एक ऐसा भागीदार चुनना होगा जो न केवल वित्तीय रूप से मजबूत हो, बल्कि जो भारतीय क्रिकेट के मूल्यों और देश के बदलते कानूनी परिदृश्य के साथ भी तालमेल बिठा सके।

यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा ब्रांड इस ऐतिहासिक अवसर को भुनाता है। चाहे वह एक पारंपरिक कॉर्पोरेट दिग्गज हो या कोई नई डिजिटल कंपनी, भारतीय क्रिकेट की जर्सी पर जिसका भी लोगो होगा, वह भारत के करोड़ों प्रशंसकों की नजर में होगा। यह सिर्फ एक टी-शर्ट पर एक नाम नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक और सामाजिक यात्रा का एक प्रतिबिंब होगा।

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