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Operation Sindoor के समय “युद्ध का मकसद क्यों नहीं था” – गौरव गोगोई 

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हाल ही में लोकसभा में एक गरमागरम बहस के दौरान, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाकर देश का ध्यान आकर्षित किया: “PoK अगर आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे?” उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि “हमारा मकसद युद्ध नहीं था।

गोगोई ने जोर दिया कि युद्ध का एक स्पष्ट मकसद होना चाहिए, खासकर जब बात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) जैसे संवेदनशील मुद्दे की हो। यह बयान न केवल तात्कालिक स्थिति पर प्रकाश डालता है, बल्कि भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के दीर्घकालिक लक्ष्यों पर भी सवाल खड़े करता है।

भारत का अभिन्न अंग और गौरव गोगोई का सवाल

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत का एक अभिन्न अंग है, जिस पर पाकिस्तान ने 1947 के विभाजन के बाद अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। यह क्षेत्र सामरिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गौरव गोगोई ने लोकसभा में इसी भावना को व्यक्त करते हुए सरकार से पूछा कि यदि पाकिस्तान घुटने टेकने को तैयार था, तो भारत ने PoK पर कार्रवाई क्यों नहीं की। उनके इस सवाल ने एक बार फिर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है कि क्या PoK को वापस लेने का समय आ गया है।

  • ऐतिहासिक संदर्भ: 1947 में, जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय का फैसला किया, लेकिन पाकिस्तानी सेना और कबायलियों ने राज्य के कुछ हिस्सों पर आक्रमण कर दिया। यह क्षेत्र आज PoK के नाम से जाना जाता है।
  • सामरिक महत्व: PoK भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चीन और अफगानिस्तान से सटा हुआ है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) भी इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिससे इसकी सामरिक प्रासंगिकता और बढ़ जाती है।
  • राष्ट्रीय संकल्प: भारतीय संसद ने कई बार प्रस्ताव पारित कर PoK को भारत का अविभाज्य हिस्सा घोषित किया है।

गौरव गोगोई कौन है: एक युवा और मुखर आवाज़

गौरव गोगोई भारतीय राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वह असम के जोरहाट से लोकसभा सांसद हैं और कांग्रेस पार्टी में एक मुखर आवाज के रूप में उभरे हैं।

गौरव गोगोई की व्यक्तिगत जानकारी:

  • पिता का नाम: स्वर्गीय तरुण गोगोई, जो असम के पूर्व मुख्यमंत्री थे।
  • पत्नी: एलिज़ाबेथ कोलबर्न गोगोई (Elizabeth Colburn Gogoi)। उनकी शादी 2013 में हुई थी और उनके दो बच्चे हैं।
  • शिक्षा: उन्होंने दिल्ली में सेंट कोलंबिया स्कूल से स्नातक किया। इसके बाद, उन्होंने 2004 में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में बी. टेक पूरा किया और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में परास्नातक किया।
  • नेट वर्थ: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गौरव गोगोई की कुल संपत्ति लगभग ₹4.9 करोड़ है, जिसमें चल और अचल दोनों संपत्तियां शामिल हैं। (संदर्भ: News 24, May 26, 2025)

युद्ध का मकसद और भारत की विदेश नीति

गोगोई का यह कहना कि युद्ध का एक मकसद होना चाहिए था, भारत की सैन्य और कूटनीतिक रणनीतियों पर एक गहरा सवाल है। क्या भारत को केवल आत्मरक्षा तक सीमित रहना चाहिए, या उसे अपने खोए हुए क्षेत्रों को वापस लेने के लिए आक्रामक रुख अपनाना चाहिए?

  • शांति बनाम क्षेत्रीय अखंडता: भारत हमेशा से शांति का समर्थक रहा है, जैसा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने बयान में कहा। हालांकि, शांति की यह इच्छा क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।
  • कूटनीति और सैन्य शक्ति का संतुलन: PoK जैसे मुद्दों पर कूटनीति और सैन्य शक्ति के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर PoK के मुद्दे को मजबूती से उठाना चाहिए, साथ ही अपनी सैन्य क्षमताओं को भी मजबूत करना चाहिए।
  • भविष्य की रणनीति: 2025 में, भारत-पाकिस्तान संबंधों में कुछ नए घटनाक्रम देखने को मिले हैं, जैसे सिंधु जल संधि का निलंबन (Source: Testbook, July 17, 2025)। यह भारत के लिए अपनी विदेश नीति का पुनर्मूल्यांकन करने का एक अवसर हो सकता है।

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आगे की राह: क्या करना चाहिए?

PoK के मुद्दे पर भारत को एक स्पष्ट और सुविचारित रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।

  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन: भारत को PoK पर अपने दावे को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना चाहिए।
  • आर्थिक विकास: PoK में विकास की कमी एक बड़ी चुनौती है। भारत को यह प्रदर्शित करना चाहिए कि इस क्षेत्र का भारत के साथ जुड़ना वहां के लोगों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करेगा।
  • सशस्त्र बल की तैयारी: सैन्य रूप से, भारत को किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

निष्कर्ष: समय आ गया है?

गौरव गोगोई का सवाल “PoK अगर आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे” सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय भावना का प्रतिबिंब है। यह समय है कि भारत PoK के मुद्दे पर एक स्पष्ट और दूरगामी रणनीति बनाए। शांति महत्वपूर्ण है, लेकिन राष्ट्रीय गौरव और क्षेत्रीय अखंडता उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। क्या यह सचमुच PoK को भारत में वापस लाने का सही समय है, यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर राष्ट्र को गंभीरता से विचार करना होगा।

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