हर साल की तरह, इस साल भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय कार्य है, जिसे हर वेतनभोगी व्यक्ति और कारोबारी को समय पर पूरा करना होता है। लेकिन अक्सर लोग इसे आखिरी तारीख तक टालते रहते हैं, और फिर जल्दबाजी में गलतियाँ कर बैठते हैं, या फिर समय सीमा ही चूक जाते हैं। इस साल ITR Filing 2025 की अंतिम तिथि, 15 सितंबर, 2025 तय की गई है।
ऐसे में, यह ज़रूरी है कि आप समय से पहले ही कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतें ताकि बिना किसी परेशानी के ITR फाइल कर सकें। इस लेख में, हम आपको ITR फाइलिंग से जुड़ी ज़रूरी सावधानियों और समय सीमा चूकने पर होने वाले गंभीर परिणामों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
ITR फाइल करने से पहले बरतें ये 5 अहम सावधानियां
सही ITR फाइलिंग की शुरुआत तैयारी से होती है। जल्दबाजी में की गई एक छोटी सी गलती भी आपके लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। इसलिए, ITR फाइल करने से पहले इन 5 बातों का खास ध्यान रखें:
सभी ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें
ITR फाइलिंग एक डॉक्यूमेंट-आधारित प्रक्रिया है। आपके पास सभी ज़रूरी दस्तावेज़ सही और व्यवस्थित तरीके से होने चाहिए। इसमें शामिल हैं:
- फॉर्म 16: यह आपके नियोक्ता द्वारा जारी किया जाता है और इसमें आपकी सैलरी, TDS (Tax Deducted at Source) और अन्य कटौतियों का विवरण होता है।
- फॉर्म 26AS और AIS: ये दोनों दस्तावेज़ इनकम टैक्स पोर्टल पर उपलब्ध होते हैं।
- फॉर्म 26AS: इसमें आपके पैन नंबर पर काटे गए TDS और जमा किए गए टैक्स का पूरा ब्यौरा होता है।
- Annual Information Statement (AIS): यह एक विस्तृत स्टेटमेंट है जिसमें आपके सभी वित्तीय लेनदेन (जैसे बैंक ब्याज, म्यूचुअल फंड, शेयर लेन-देन आदि) की जानकारी होती है। इन दोनों को अपने रिकॉर्ड से मिलाना बहुत ज़रूरी है।
- निवेश और खर्च के प्रमाण: अगर आपने टैक्स बचाने के लिए कोई निवेश (जैसे PPF, ELSS, Life Insurance) या खर्च (जैसे HRA, होम लोन, मेडिकल बीमा) किया है, तो उनके प्रमाण पत्र तैयार रखें।
सही ITR फॉर्म चुनें
अलग-अलग आय स्रोतों वाले करदाताओं के लिए अलग-अलग ITR फॉर्म होते हैं। गलत फॉर्म का चुनाव करने से आपका रिटर्न अमान्य हो सकता है।
- ITR-1 (सहज): यह उन लोगों के लिए है जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है और आय के स्रोत सिर्फ वेतन, एक हाउस प्रॉपर्टी, अन्य स्रोत (ब्याज आदि) और कृषि आय (₹5,000 तक) हैं।
- ITR-2: यह उन लोगों के लिए है जिनकी कुल आय ₹50 लाख से अधिक है या जिनकी आय कैपिटल गेन से आती है (जैसे शेयर या प्रॉपर्टी की बिक्री)।
- ITR-3: यह उन लोगों के लिए है जिनकी आय व्यवसाय या पेशे से होती है।
सही फॉर्म चुनने के लिए आप आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (external link) पर दिए गए गाइडलाइंस को देख सकते हैं।
अपनी आय के सभी स्रोत उजागर करें
कई बार लोग सिर्फ अपने वेतन को ही अपनी आय मानते हैं। यह एक बहुत बड़ी गलती है। आपको अपनी सभी आय का विवरण देना चाहिए, जिसमें शामिल हैं:
- बचत खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिला ब्याज।
- किराये से होने वाली आय।
- शेयर या म्यूचुअल फंड की बिक्री से होने वाला लाभ।
- अन्य स्रोतों से हुई कोई भी आय।
आयकर विभाग अब AIS के माध्यम से आपके सभी वित्तीय लेनदेन को ट्रैक करता है, इसलिए किसी भी जानकारी को छिपाना आपको भविष्य में मुश्किल में डाल सकता है।
पुरानी और नई कर व्यवस्था का सही चुनाव
सरकार ने करदाताओं को पुरानी और नई कर व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया है। पुरानी व्यवस्था में विभिन्न कटौतियों और छूट का लाभ मिलता है, जबकि नई व्यवस्था में कर की दरें कम हैं लेकिन कोई कटौती नहीं मिलती। आपको इन दोनों की तुलना करनी चाहिए और यह तय करना चाहिए कि आपके लिए कौन सी व्यवस्था अधिक फायदेमंद है। एक ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करके आप आसानी से इसकी गणना कर सकते हैं।
समय पर ITR फाइल करें और ई-वेरिफाई करना न भूलें
ITR फाइल करने के बाद, यह सुनिश्चित करें कि आप इसे ई-वेरिफाई ज़रूर करें। आपका रिटर्न तब तक पूरा नहीं माना जाता जब तक आप उसे ई-वेरिफाई न कर दें। ई-वेरिफिकेशन के कई तरीके हैं, जैसे आधार OTP, बैंक खाता, या डीमैट खाता।
ITR फाइलिंग की समय सीमा चूकने पर क्या होता है?
अगर आप ITR फाइल करने की अंतिम तिथि (15 सितंबर, 2025) तक अपना रिटर्न फाइल नहीं करते हैं, तो आपको कई गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
1. जुर्माना (Late Filing Fee)
आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत, समय पर ITR फाइल न करने पर जुर्माना लगता है।
- यदि आपकी कुल आय ₹5 लाख से अधिक है, तो ₹5,000 का जुर्माना लग सकता है।
- यदि आपकी कुल आय ₹5 लाख तक है, तो जुर्माना ₹1,000 तक सीमित रहेगा।
यह ध्यान रखें कि यदि आपकी सकल आय मूल छूट सीमा (basic exemption limit) से कम है, तो कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
2. ब्याज का भुगतान (Interest on Tax Dues)
यदि आपकी कोई कर देनदारी (tax liability) बकाया है और आप समय पर ITR फाइल नहीं करते हैं, तो आयकर अधिनियम की धारा 234A के तहत आपको बकाया राशि पर 1% प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। यह ब्याज उस दिन से लागू होगा जिस दिन से आपका ITR ड्यू था।
उदाहरण के लिए: यदि आपकी कर देनदारी ₹20,000 है और आप 3 महीने की देरी से फाइल करते हैं, तो आपको ₹20,000 पर 3% यानी ₹600 का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
3. घाटे को आगे नहीं बढ़ा सकते (Can’t Carry Forward Losses)
यह एक बड़ा नुकसान है। यदि आपको व्यवसाय या कैपिटल गेन से कोई घाटा हुआ है, तो आप उसे अगले वर्षों में समायोजित (set off) नहीं कर सकते। हालांकि, हाउस प्रॉपर्टी से होने वाले नुकसान को आगे बढ़ाया जा सकता है।
4. जेल की सज़ा भी हो सकती है
कुछ गंभीर मामलों में, जहाँ कर चोरी की राशि अधिक होती है, करदाता को जेल भी हो सकती है। आयकर अधिनियम की धारा 276CC के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर ITR फाइल करने में विफल रहता है, तो उसे 3 महीने से 2 साल तक की जेल हो सकती है।
निष्कर्ष: समय पर फाइलिंग है समझदारी
ITR फाइलिंग एक जटिल प्रक्रिया लग सकती है, लेकिन सही तैयारी और जानकारी के साथ यह बहुत आसान हो जाती है। इस साल, ITR Filing 2025 की समय सीमा 15 सितंबर, 2025 है। इस तिथि से पहले ही अपने सभी दस्तावेज़ इकट्ठा करें, सही फॉर्म चुनें, और अपनी सभी आय का विवरण दें। समय पर ITR फाइल करने से न केवल आप जुर्माने और ब्याज से बचते हैं, बल्कि आप अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करते हैं।

















