प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, लेखक और ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य मेघनाद देसाई (Meghnad Desai) का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके निधन से भारत और ब्रिटेन, दोनों देशों के अकादमिक और राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। मेघनाद देसाई ने न केवल आर्थिक सिद्धांतों को नई दिशा दी, बल्कि भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री मोदी ने मेघनाद देसाई को दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट में मेघनाद देसाई के निधन पर दुख जताया। उन्होंने लिखा,
” distinguished thinker, writer and economist. He always remained connected to India and Indian culture. He also played a role in deepening India-UK ties. Will fondly recall our discussions, where he shared his valuable insights.” यह दर्शाता है कि कैसे एक प्रवासी भारतीय ने दोनों देशों के बीच एक मजबूत सेतु का काम किया।
मेघनाद देसाई (Meghnad Desai): एक परिचय
वडोदरा, गुजरात में जन्मे मेघनाद जगदीशचंद्र देसाई ने अपनी अकादमिक यात्रा मुंबई विश्वविद्यालय से शुरू की और बाद में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) में दशकों तक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया, जहां उन्होंने 1992 में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ग्लोबल गवर्नेंस की स्थापना भी की।
Meghnad Desai के जीवन की कुछ प्रमुख बातें:
- जन्म: 10 जुलाई 1940, वडोदरा, गुजरात
- अकादमिक करियर: लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में 1965 से 2003 तक प्रोफेसर रहे।
- सम्मान: भारत सरकार ने 2008 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।
- राजनीति: 1991 में ब्रिटिश हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य बने।
उनके प्रमुख विचार और योगदान | Thoughts of Meghnad Desai
मेघनाद देसाई अपने स्वतंत्र विचारों और पारंपरिक आर्थिक धारणाओं को चुनौती देने के लिए जाने जाते थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक “Marx’s Revenge: The Resurgence of Capitalism and the Death of Statist Socialism” है। इस पुस्तक में उन्होंने यह तर्क दिया कि पूंजीवाद का पुनरुत्थान होगा और राज्य-नियंत्रित समाजवाद का अंत हो जाएगा, जो बाद में काफी हद तक सच साबित हुआ।
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उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक विकास के लिए मुक्त बाज़ार और नवाचार आवश्यक हैं। 2005 में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, “भारत को अपने दरवाजे खोलने होंगे, केवल तभी वह वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर पाएगा।”
भारत-ब्रिटेन संबंधों में भूमिका
मेघनाद देसाई (Meghnad Desai) ने भारत और ब्रिटेन के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो दोनों देशों की साझा विरासत का प्रतीक है। उनके प्रयासों से दोनों देशों के बीच अकादमिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष और अगली पीढ़ी के लिए संदेश
मेघनाद देसाई का निधन एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनका बौद्धिक साहस और विचारों की विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उन्होंने हमें सिखाया कि सवाल पूछना, सीमाओं को चुनौती देना और नए दृष्टिकोणों को अपनाना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी मृत्यु के बाद भी, उनके विचार और कार्य अगली पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों और विचारकों को प्रेरित करते रहेंगे।
अगर आप भी उनके विचारों और लेखन के बारे में और जानना चाहते हैं, तो उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा, अर्थशास्त्र और वैश्विक नीतियों से जुड़े हमारे अन्य लेखों को भी पढ़ें।
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