आज हम मुंशी प्रेमचंद जयंती मना रहे हैं, एक ऐसे महान साहित्यकार का जन्मदिवस जिन्होंने अपनी कलम से भारतीय समाज की नब्ज़ को पकड़ा और उसे अपनी कहानियों में जीवंत कर दिया। प्रेमचंद जी को हिंदी और उर्दू साहित्य में ‘उपन्यास सम्राट’ के रूप में जाना जाता है। उनकी रचनाएं केवल मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि वे समाज को दर्पण दिखाती थीं, उसकी विसंगतियों पर प्रहार करती थीं और मानवीय मूल्यों को स्थापित करती थीं।
मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन परिचय
धनपत राय श्रीवास्तव, जिन्हें दुनिया मुंशी प्रेमचंद के नाम से जानती है, का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गांव में हुआ था। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, जिसने उन्हें समाज के निचले तबके की पीड़ा और कठिनाइयों को करीब से समझने का अवसर दिया। यही अनुभव उनकी कहानियों और उपन्यासों का आधार बने। वे गांधीजी के विचारों से प्रभावित थे और उनकी रचनाओं में राष्ट्रवाद, सामाजिक न्याय और मानवीय गरिमा के तत्व स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
उनकी कालजयी कृतियाँ और उनका प्रभाव

मुंशी प्रेमचंद ने लगभग 300 कहानियां, 15 उपन्यास और कई नाटक लिखे। उनकी हर रचना एक नए विचार और एक नई सीख के साथ आती थी।
उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं | Munshi Premchand Books in Hindi
- गोदान: भारतीय किसानों के शोषण और उनकी दुर्दशा का यथार्थवादी चित्रण।
- कर्मभूमि: सामाजिक न्याय और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष की कहानी।
- गबन: मध्यमवर्गीय परिवार की दिखावे की प्रवृत्ति और उसके दुष्परिणाम।
- सेवासदन: समाज में महिलाओं की स्थिति और वेश्यावृत्ति की समस्या पर आधारित।
- कफन: गरीबी और मानवीय संवेदनाओं के पतन की मार्मिक कथा।
प्रेमचंद जी की कहानियाँ ‘पूस की रात’, ‘ईदगाह’, ‘पंच परमेश्वर’ जैसी आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी वे अपने समय में थीं। उनकी कहानियों में चरित्र इतने सजीव होते थे कि पाठक उनसे सीधा जुड़ाव महसूस करते थे। एक प्रसिद्ध उद्धरण में उन्होंने कहा था, “साहित्य वह है जो जीवन की आलोचना और जीवन की गतिशीलता को व्यक्त करे।
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मुंशी प्रेमचंद की भाषा शैली
प्रेमचंद की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा थी। उन्होंने कठिन संस्कृतनिष्ठ शब्दों के बजाय लोकभाषा के शब्दों का प्रयोग किया, जिससे उनकी रचनाएं जन-जन तक पहुंच सकीं। उनकी कहानियों में ग्रामीण परिवेश, त्योहारों, रीति-रिवाजों और मानवीय भावनाओं का अत्यंत सुंदर वर्णन मिलता है।
Munshi Premchand Quotes in Hindi | मुंशी प्रेमचंद की के विचार
1. आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार है।
2. स्वार्थ में मनुष्य बावला हो जाता है।
3. आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म ओर अधिकार है।
4. निराशा संभव को अससंभव बना देती है।
5. सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम ही जिंदगी हैं।
7. आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर याद आता है।
8. अन्याय होने पर चुप रहना, अन्याय करने के ही समान है।
9. दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।
10. जीवन का सुख दूसरों को सुखी करने में है, उनको लूटने में नहीं।
मुंशी प्रेमचंद जयंती क्यों महत्वपूर्ण है?
मुंशी प्रेमचंद जयंती केवल एक साहित्यकार को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह उनके विचारों, उनके आदर्शों और उनके द्वारा दिखाए गए सामाजिक बदलाव के मार्ग को समझने का भी दिन है। आज के समय में भी, जब समाज में कई नई चुनौतियाँ खड़ी हैं, प्रेमचंद की कहानियाँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं और सही-गलत का अंतर समझने में मदद करती हैं।
प्रेमचंद का साहित्य और समकालीन समाज
आज भी हम प्रेमचंद के साहित्य में अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। उदाहरण के लिए, “गोदान” में किसानों की समस्या, जो आज भी भारत में एक बड़ी चुनौती है, का मार्मिक चित्रण मिलता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अभी भी किसानों की आत्महत्याएं एक गंभीर मुद्दा बनी हुई हैं। (स्रोत: [एनसीआरबी की वेबसाइट पर उपयुक्त लिंक, उदाहरण के लिए: https://ncrb.gov.in/]) यह दर्शाता है कि प्रेमचंद ने जिन मुद्दों को उठाया था, वे आज भी प्रासंगिक हैं।
निष्कर्ष और आगे की राह
मुंशी प्रेमचंद का साहित्य हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। उनकी जयंती पर हम सभी को उनकी रचनाओं को पढ़ने और समझने का संकल्प लेना चाहिए। उनकी कहानियाँ हमें न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं, बल्कि हमें एक बेहतर इंसान बनने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने की प्रेरणा भी देती हैं।