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National Broadcasting Day 2025 (राष्ट्रीय प्रसारण दिवस): आवाज़ से क्रांति तक का सफर

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National Broadcasting Day 2025 in Hindi

भारत के कोने-कोने तक आवाज़ पहुंचाने वाले माध्यम, रेडियो और टेलीविजन, का हमारे जीवन में एक विशेष स्थान है। क्या आप जानते हैं कि हर साल 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस (National Broadcasting Day 2025) क्यों मनाया जाता है? यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत में संचार क्रांति की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन हम उस माध्यम को सलाम करते हैं जिसने देश को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन से जोड़ा। आइए, इस खास दिन के महत्व को गहराई से समझते हैं।

राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का इतिहास | National Broadcasting Day History

राष्ट्रीय प्रसारण दिवस 23 जुलाई को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1927 में भारत में पहली बार रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई थी। इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (IBC) ने मुंबई (तब बॉम्बे) स्टेशन से अपना पहला प्रसारण किया था। यह एक निजी कंपनी थी, जिसने भारत में संगठित रेडियो प्रसारण की नींव रखी। हालांकि, वित्तीय समस्याओं के कारण IBC को 1930 में बंद करना पड़ा।

इसके बाद, भारत सरकार ने प्रसारण सेवा को अपने अधीन ले लिया और इसका नाम बदलकर इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (ISBS) कर दिया। 8 जून, 1936 को ISBS को ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के रूप में जाना जाने लगा, जिसे 1956 में ‘आकाशवाणी’ का नाम दिया गया।

National Broadcasting Day 2025: महत्वपूर्ण पड़ाव

  • 1927: इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (IBC) द्वारा मुंबई से पहला प्रसारण।
  • 1930: सरकार ने प्रसारण सेवाओं को अपने अधीन लिया, नाम हुआ इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (ISBS)।
  • 1936: ISBS बना ऑल इंडिया रेडियो (AIR)।
  • 1956: AIR को ‘आकाशवाणी’ नाम दिया गया।
  • 1957: विविध भारती सेवा की शुरुआत, जिसने लोकप्रिय फिल्मी संगीत को घर-घर पहुंचाया।

रेडियो का महत्व: आवाज़ जो जोड़ती है

National Broadcasting Day 2025: रेडियो ने भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी पहुंच आज भी टीवी और समाचार पत्रों से कहीं अधिक है, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में।

  • सूचना का सशक्त माध्यम: आजादी के आंदोलन के दौरान, रेडियो सूचना फैलाने और लोगों को एकजुट करने का एक शक्तिशाली उपकरण था। महात्मा गांधी जैसे नेताओं के संदेश आकाशवाणी के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंचे।
  • शिक्षा और जागरूकता: रेडियो ने भारत में शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता और कृषि संबंधी जानकारी फैलाने का एक प्रभावी माध्यम रहा है।
  • आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप और चक्रवात के दौरान, रेडियो स्टेशनों ने स्थानीय अधिकारियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के साथ मिलकर समय पर और सटीक जानकारी प्रदान की है।
  • मनोरंजन: विविध भारती और अन्य एफएम चैनलों ने भारतीय घरों में संगीत, नाटक और कॉमेडी के माध्यम से मनोरंजन का संचार किया है।

आज भी, ऑल इंडिया रेडियो दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण संगठनों में से एक है, जो 23 भाषाओं और 179 बोलियों में कार्यक्रम प्रसारित करता है, जो देश के लगभग 99.19% लोगों तक पहुँचते हैं। (स्रोत: प्रसार भारती)

National Broadcasting Day 2025: प्रसारण का बदलता परिदृश्य और भविष्य

डिजिटल युग में प्रवेश के साथ, प्रसारण क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहा है। जहां एक ओर पारंपरिक रेडियो और टेलीविजन अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं, वहीं पॉडकास्टिंग, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग और डिजिटल रेडियो जैसे नए माध्यमों का उदय हो रहा है।

  • डिजिटल रेडियो: बेहतर ध्वनि गुणवत्ता और अधिक सुविधाओं के साथ डिजिटल रेडियो का विस्तार हो रहा है।
  • पॉडकास्टिंग: लोगों को अपनी पसंद का कंटेंट अपनी सुविधानुसार सुनने का अवसर मिल रहा है।
  • एआई का प्रयोग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन व्यक्तिगत सुनने के अनुभव को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं, जैसे कि इंटेलिजेंट प्लेलिस्ट और डायनामिक विज्ञापन प्रारूप।

जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, “रेडियो का जादू जीवित है, और राष्ट्रीय प्रसारण दिवस हमें इस माध्यम की शक्ति की याद दिलाता है जो हम सभी को जोड़ता है।” यह दिखाता है कि तकनीक के साथ-साथ रेडियो की बुनियादी शक्ति – लोगों को जोड़ने की क्षमता – हमेशा बनी रहेगी।

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निष्कर्ष: आवाज़ का जश्न मनाएं!

राष्ट्रीय प्रसारण दिवस हमें उस यात्रा की याद दिलाता है जो भारत ने संचार के क्षेत्र में तय की है। यह दिन उन सभी ब्रॉडकास्टरों, तकनीशियनों और कहानिकारों को समर्पित है जिन्होंने अपनी आवाज़ और प्रयासों से लाखों लोगों के जीवन को छुआ है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि भले ही संचार के तरीके बदलते रहें, आवाज़ की शक्ति और इसका समाज पर पड़ने वाला प्रभाव अपरिवर्तित रहेगा।

इस राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर, आइए हम रेडियो पर ट्यून करें या अपने पसंदीदा पॉडकास्ट सुनें। संचार के इस अद्भुत माध्यम का जश्न मनाएं!

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