One Nation One Election: एक राष्ट्र, एक चुनाव क्या है, इसके फायदे और नुकसान

Avatar photo

Published on:

One Nation One Election एक राष्ट्र, एक चुनाव क्या है, इसके फायदे और नुकसान

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में हर साल, हर महीने कहीं न कहीं चुनाव क्यों होते रहते हैं? क्या इन लगातार चुनावों से देश के विकास पर असर पड़ता है? वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election), यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार इसी समस्या का समाधान पेश करता है। यह एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जिसमें लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। 

भारत में इस विषय पर पिछले कुछ समय से गहन चर्चा चल रही है। सरकार का मानना है कि यह देश को एक नई दिशा देगा, जबकि कुछ आलोचक इसके संभावित नुकसानों को लेकर चिंतित हैं। आइए इस पूरे मुद्दे को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि भारत के लिए वन नेशन वन इलेक्शन क्यों महत्वपूर्ण हो सकता है।

आखिर क्या है One Nation One Election का कॉन्सेप्ट?

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सीधा सा मतलब है कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर हों। यानी मतदाता एक ही दिन या एक ही समय सीमा के भीतर दोनों के लिए अपना वोट डालें। 1952 से लेकर 1967 तक भारत में ऐसा ही होता था, लेकिन कुछ राज्यों में सरकारों के समय से पहले गिर जाने के कारण यह सिलसिला टूट गया। अब एक बार फिर इस व्यवस्था को बहाल करने की कोशिशें की जा रही हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे | Benefits of One Nation One Election

अगर भारत में वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है, तो इसके कई महत्वपूर्ण लाभ हो सकते हैं:

image 149
Image: NDTV

1. चुनाव खर्च में भारी कमी

बार-बार होने वाले चुनावों से सरकार और राजनीतिक दलों को भारी खर्च उठाना पड़ता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में ₹60,000 करोड़ से अधिक का खर्च आया था। यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो यह खर्च काफी कम हो जाएगा। इस बचे हुए पैसे का उपयोग विकास कार्यों, शिक्षा या स्वास्थ्य सेवाओं पर किया जा सकता है।

2. प्रशासनिक और सुरक्षा बलों पर कम दबाव

जब भी कहीं चुनाव होते हैं, तो बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और सुरक्षा बलों की ड्यूटी लगाई जाती है। इससे उनके सामान्य काम प्रभावित होते हैं। एक साथ चुनाव होने से इन संसाधनों का इस्तेमाल केवल एक ही बार करना पड़ेगा, जिससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और वे अपने मूल कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।

Also Read: Vote chori को लेकर विपक्ष का संसद से चुनाव आयोग तक पैदल मार्च: राहुल-अखिलेश डिटेन, लोकतंत्र पर गहराते सवाल

3. विकास कार्यों में निरंतरता

लगातार चुनाव होने से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे सरकारें नई नीतियों और योजनाओं को लागू नहीं कर पातीं। यह विकास कार्यों में रुकावट डालता है। वन नेशन वन इलेक्शन से यह रुकावट दूर होगी और सरकारें पूरे 5 साल बिना किसी बाधा के काम कर पाएंगी।

4. नीति-निर्माण में स्थिरता

जब सरकार को पता होता है कि अगले 5 साल तक कोई चुनाव नहीं है, तो वह दीर्घकालिक और साहसिक आर्थिक सुधारों को लागू करने का जोखिम उठा सकती है। बार-बार होने वाले चुनावों के दबाव में अक्सर सरकारें लोक-लुभावन फैसलों की तरफ झुक जाती हैं। एक साथ चुनाव से सरकारों को स्थिर नीति-निर्माण का मौका मिलेगा।

5. वोटिंग प्रतिशत में वृद्धि

एक साथ चुनाव होने से मतदाता को बार-बार मतदान केंद्र पर नहीं जाना पड़ेगा। इससे उम्मीद की जा सकती है कि लोग ज्यादा संख्या में वोट डालने आएंगे, जिससे मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी। इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया और मजबूत होगी।

One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन के संभावित नुकसान और चुनौतियां

image 148

हालांकि, वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने में कुछ गंभीर चुनौतियां और नुकसान भी हैं:

1. संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता

मौजूदा संवैधानिक ढांचे के तहत एक साथ चुनाव संभव नहीं है। इसे लागू करने के लिए संविधान के कई अनुच्छेदों जैसे अनुच्छेद 83 (संसद की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) में संशोधन करना होगा। इसके लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत और आधे से अधिक राज्यों की विधानसभाओं की सहमति की आवश्यकता होगी, जो एक बड़ी चुनौती है।

2. क्षेत्रीय मुद्दों की अनदेखी का खतरा

आलोचकों का तर्क है कि एक साथ चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो सकते हैं और मतदाता राज्य के मुद्दों को नज़रअंदाज कर सकते हैं। जब मतदाता लोकसभा और विधानसभा दोनों के लिए एक साथ वोट डालेंगे, तो राष्ट्रीय पार्टी के पक्ष में माहौल बनने से क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान हो सकता है।

3. सरकार की जवाबदेही में कमी

हर 5 साल में एक बार चुनाव होने से सरकार की जवाबदेही कम हो सकती है। बार-बार चुनाव होने पर राजनेताओं को जनता के बीच जाना पड़ता है, जिससे वे जनता के प्रति अधिक जवाबदेह रहते हैं। एक साथ चुनाव होने पर यह जवाबदेही कम हो सकती है।

4. लॉजिस्टिक्स की चुनौती

एक साथ पूरे देश में चुनाव कराने के लिए बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की आवश्यकता होगी। चुनाव आयोग के अनुसार, इसके लिए ₹9,284 करोड़ से अधिक का खर्च आ सकता है (संदर्भ: विधि आयोग की 2018 की रिपोर्ट)। साथ ही, इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराने के लिए मानव संसाधन और सुरक्षा बलों की व्यवस्था करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।

5. सरकार गिरने पर क्या होगा?

अगर लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल समय से पहले खत्म हो जाता है, तो उस स्थिति में क्या होगा? क्या मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे या किसी और तरीके से कार्यकाल पूरा किया जाएगा? इस मुद्दे पर स्पष्ट संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की जरूरत होगी।

विशेषज्ञ और समितियों की राय

वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) पर कई विशेषज्ञ और समितियों ने अपनी राय दी है। भारत के विधि आयोग ने 2018 में अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा संवैधानिक ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव संभव नहीं है और इसके लिए कई संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी एक उच्च-स्तरीय समिति ने भी इस मुद्दे पर गहन अध्ययन किया है और अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी हैं। इस समिति का मानना है कि एक साथ चुनाव कराना देश के हित में है।

निष्कर्ष: क्या भारत ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए तैयार है?

वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) का विचार भारत के लोकतंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह न केवल धन और संसाधनों की बचत करेगा बल्कि विकास को भी गति देगा। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई संवैधानिक और राजनीतिक चुनौतियां हैं, जिन्हें दूर करना आसान नहीं है। एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए हमें इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा।

यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बहस और चर्चा जारी रहनी चाहिए। सरकार को सभी राजनीतिक दलों और आम जनता के साथ मिलकर इस पर एक मजबूत सहमति बनानी होगी। यदि यह लागू होता है, तो यह भारत को एक नई दिशा दे सकता है, जहां चुनाव एक पर्व हो और विकास एक निरंतर प्रक्रिया।

Join WhatsApp

Join Now

Samachar Khabar

Samachar Khabar - Stay updated on Automobile, Jobs, Education, Health, Politics, and Tech, Sports, Business, World News with the Latest News and Trends

Latest Stories

Leave a Comment