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SCO Summit 2025: चीन में वैश्विक सहयोग की नई राह

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SCO Summit 2025 चीन में वैश्विक सहयोग की नई राह

वैश्विक मंच पर SCO Summit 2025 एक महत्वपूर्ण घटना बनकर उभरा है। चीन के तियानजिन में आयोजित हो रहा यह शिखर सम्मेलन, दुनिया के 20 से अधिक देशों के नेताओं और 10 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर ला रहा है। यह सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच है जहाँ से भविष्य की वैश्विक व्यवस्था की रूपरेखा तय हो सकती है। इस वर्ष की थीम “शंघाई भावना को बनाए रखना: गतिमान SCO” है, जो संगठन के मूल सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है। 

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम SCO Summit 2025 के विभिन्न पहलुओं, इसके एजेंडे और भारत के लिए इसके महत्व को गहराई से जानेंगे।

SCO Summit 2025: मुख्य एजेंडा और मुद्दे

यह शिखर सम्मेलन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है, जिनमें सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता प्रमुख हैं। इस बार, दुनिया की नजरें विशेष रूप से इस पर टिकी हैं कि सदस्य देश बढ़ते हुए भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं।

  • आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा: एससीओ का गठन मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हुआ था। इस बार, भारत सहित कई देश सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को मजबूती से उठा रहे हैं। हाल के पहलगम हमलों के मद्देनजर, भारत ने आतंकवाद की निंदा का प्रस्ताव लाने की तैयारी की है। यह मुद्दा सदस्य देशों के बीच सहयोग और विश्वास निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
  • आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी: SCO Summit 2025 का एक और प्रमुख एजेंडा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। व्यापार, ऊर्जा और परिवहन कनेक्टिविटी पर चर्चा होगी।
  • नई परियोजनाओं का शुभारंभ: सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नए परिवहन गलियारों और ऊर्जा परियोजनाओं पर समझौते हो सकते हैं।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था पर ध्यान: इस वर्ष तियानजिन में एससीओ डिजिटल इकोनॉमी फोरम का भी आयोजन किया गया है, जिसमें डिजिटल सहयोग और नवाचार पर चर्चा हुई।
  • बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था: यह शिखर सम्मेलन अमेरिका के प्रभुत्व वाले एकध्रुवीय विश्व के मुकाबले एक बहुध्रुवीय (multipolar) विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने का एक मंच है। चीन, रूस और भारत जैसे बड़े खिलाड़ी इस मंच का उपयोग अपनी-अपनी रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं।

भारत की भूमिका: क्यों है यह महत्वपूर्ण?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 7 साल बाद चीन यात्रा, इस शिखर सम्मेलन को भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यह यात्रा न केवल भारत-चीन संबंधों में तनाव को कम करने का अवसर है, बल्कि यह भारत को वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का भी मौका देती है।

SCO Summit 2025 में भारत की प्राथमिकताएं:

  • आतंकवाद पर कड़ा रुख: भारत आतंकवाद के मुद्दे पर अपने रुख को दोहराएगा। भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
  • द्विपक्षीय बैठकें: प्रधानमंत्री मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकों की उम्मीद है। इन बैठकों से सीमा विवाद और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
  • क्षेत्रीय संतुलन: यह शिखर सम्मेलन भारत को अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती हुई व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में एक रणनीतिक संतुलन बनाने का मौका देता है।

SCO Summit 2025: नई दिशाएं और चुनौतियां

यह शिखर सम्मेलन एससीओ के भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार करेगा। इसमें SCO की आगामी विकास रणनीति पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे, जो 2035 तक के लिए संगठन की दिशा तय करेगी।

चुनौतियां:

  • सदस्य देशों के बीच मतभेद: एससीओ के सदस्य देशों में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद, और कुछ अन्य देशों के बीच के मतभेद संगठन की एकता के लिए चुनौती बने हुए हैं।
  • प्रभावी कार्यान्वयन: भले ही कई समझौते हों, लेकिन उनका प्रभावी कार्यान्वयन हमेशा एक चुनौती रहा है।

रोचक तथ्य: इस शिखर सम्मेलन में एक रोबोट ‘Xiao He’ को पत्रकारों और प्रतिनिधियों की मदद के लिए तैनात किया गया है, जो वास्तविक समय की जानकारी और बहुभाषी सहायता प्रदान करता है। यह एक उदाहरण है कि कैसे चीन इस मंच का उपयोग अपनी तकनीकी प्रगति को दिखाने के लिए कर रहा है।

निष्कर्ष: आगे का रास्ता

SCO Summit 2025 ने एक बार फिर दिखाया है कि यह संगठन क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आतंकवाद से लेकर आर्थिक सहयोग तक, यह मंच सदस्य देशों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने का अवसर देता है।

यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम है, जो इसे अपनी विदेश नीति में विविधता लाने और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने का मौका देता है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये देश अपनी साझा चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और एक अधिक सुरक्षित और समृद्ध दुनिया की दिशा में कैसे आगे बढ़ते हैं।

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