आज सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) की जयंती पर उनकी जीवनी, विवाह, आजीविका, लेखन करियर, मृत्यु, गूगल डूडल और उनकी रचनाएँ Essay, Poem, Death आदि की बारे में विस्तार से।
सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी (Life History of Subhadra Kumari Chauhan)
सुभद्रा कुमारी चौहान एक प्रतिष्ठित भारतीय कवयित्री थीं, जिनकी रचनाएँ बहुत भावनात्मक रूप से आवेशित होती थीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना झाँसी की रानी है जो बहादुर झाँसी की रानी, लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करती है। पूरे हिंदी साहित्य में, यह वह कविता है जिसे भारत के लोगों द्वारा सबसे अधिक गाया और अभी तक गाया जाता है। भारत सरकार ने उनकी याद में एक भारतीय तट रक्षक जहाज का नाम रखा है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रारंभिक जीवन और विवाह

1904 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गाँव में जन्म। उनके पिता का नाम दिलीप चौहान था। सुभद्रा कुमारी चौहान ने शुरू में इलाहाबाद के क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की और 1919 में मिडिल-स्कूल की परीक्षा पास कर उसी वर्ष खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से शादी के बाद, वह जबलपुर चली गईं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की आजीविका
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) 1921 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए प्रसिद्ध असहयोग आंदोलन में शामिल हुईं और नागपुर में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला सत्याग्रही बनीं। 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।
सुभद्रा कुमारी चौहान का लेखन करियर (Career of Subhadra Kumari Chauhan)

उन्होंने हिंदी कविता में कई लोकप्रिय रचनाएँ लिखी हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना झाँसी की रानी है, जो रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करने वाली भावनात्मक रूप से आवेशित कविता है। कविता हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी और गाई जाने वाली कविताओं में से एक है। यह और उनकी अन्य कविताएँ, वीरों का कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विदा, खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन की बात करती हैं। कहा जाता है कि उन्होंने बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। यहाँ झाँसी की रानी का प्रारंभिक छंद है:
Subhadra Kumari Chauhan Jhansi ki Rani Poem

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) ने हिन्दी की खरीबोली भाषा में सरल, स्पष्ट शैली में लिखा। उन्होंने वीर कविताओं के अलावा बच्चों के लिए कविताएँ भी लिखीं। उन्होंने मध्यम वर्ग के जीवन पर भी कुछ लघु कथाएँ लिखीं।
वीरों का कैसा हो वसंत- Subhadra Kumari Chauhan Poems in Hindi
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग
है वीर देश में किन्तु कंत
वीरों का कैसा हो वसंत
भर रही कोकिला इधर तान
मारू बाजे पर उधर गान
है रंग और रण का विधान
मिलने को आए आदि अंत
वीरों का कैसा हो वसंत
गलबाहें हों या कृपाण
चलचितवन हो या धनुषबाण
हो रसविलास या दलितत्राण
अब यही समस्या है दुरंत
वीरों का कैसा हो वसंत
कह दे अतीत अब मौन त्याग
लंके तुझमें क्यों लगी आग
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग
बतला अपने अनुभव अनंत
वीरों का कैसा हो वसंत
हल्दीघाटी के शिला खण्ड
ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड
राणा ताना का कर घमंड
दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत
वीरों का कैसा हो वसंत
भूषण अथवा कवि चंद नहीं
बिजली भर दे वह छन्द नहीं
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं
फिर हमें बताए कौन हन्त
वीरों का कैसा हो वसंत
सुभद्रा कुमारी चौहान की मौत (Death Of Subhadra Kumari Chauhan)
15 फरवरी, 1948 को कलबोडी (सिवनी, एमपी) के पास एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। उनके नाम पर एक भारतीय तटरक्षक जहाज का नाम रखा गया है। जबलपुर के नगर निगम कार्यालय के सामने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रतिमा स्थापित की गयी है। Google ने एक रचनात्मक डूडल के साथ कार्यकर्ता और लेखक सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती पर अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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इस डूडल को न्यूजीलैंड की कलाकार, प्रभा माल्या ने बनाया हैं वह कहती है कि लोग अपने सपनों का पालन करने का साहस कर पाएंगे। डूडल में सुभद्रा कुमारी चौहान को एक कलम पकड़े हुए दिखाया गया है – जो कई नोटों से घिरा हुआ है।
Google Doodle: सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती गूगल ने बनाया डूडल

जैसे-जैसे सुभद्रा कुमारी चौहान बड़ी हुई, वह भारत की स्वतंत्रता के आह्वान से घिरी हुई थी। वह जल्द ही भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन का हिस्सा बन गईं। Google डूडल की वेबसाइट ने सुभद्रा कुमारी चौहान का वर्णन करते हुए कहा, “उन्होंने अपनी कविता का इस्तेमाल दूसरों को अपने देश की संप्रभुता के लिए लड़ने के लिए कहा। उनकी कविता उनके दृढ़ राष्ट्रवाद द्वारा विशिष्ट रूप से रेखांकित की गई।”
सुभद्रा कुमारी चौहान पर निबंध (Essay on Subhadra Kumari Chauhan)
साहित्य के पुरुष-प्रधान युग में, लेखन-सह-स्वतंत्रता सेनानी के शक्तिशाली शब्दों ने जल्द ही राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त की। गूगल ने एक बयान में कहा कि सुभद्रा कुमारी चौहान का गद्य और कविता ज्यादातर भारतीय महिलाओं की कठिनाइयों के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जैसे कि लिंग और जातिगत भेदभाव। सुभद्रा कुमारी चौहान की विचारोत्तेजक राष्ट्रवादी कविता ‘झांसी की रानी’ को व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक माना जाता है। इस सूची में ‘खिलोनेवाला’ और ‘बालिका का परिचय’ भी शामिल है। माल्या ने कहा, “झांसी की रानी सुभद्रा के लिए ऐसी ही दयालु आत्मा लगती हैं।”
1923 में, चौहान पहली महिला सत्याग्रही बनीं – अहिंसक उपनिवेशवादियों के भारतीय समूह की सदस्य, जिन्हें राष्ट्रीय मुक्ति के संघर्ष में गिरफ्तार किया गया था। खोज इंजन की दिग्गज कंपनी ने कहा, “उन्होंने 1940 के दशक में पेज पर और बाहर दोनों जगह स्वतंत्रता की लड़ाई में क्रांतिकारी बयान देना जारी रखा, जिसमें कुल 88 कविताएँ और 46 लघु कथाएँ प्रकाशित हुईं।” उनमें से कुछ इस प्रकार है:-
सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा प्रकाशित लघु कथाएँ

- झाँसी की रानी कविता – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- इसका रोना – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- खिलौनेवाला – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- जीवन-फूल – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- झिलमिल तारे – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- ठुकरा दो या प्यार करो – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- कोयल – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- नीम – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- तुम – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- राखी – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- फूल के प्रति – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- कुट्टी – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- मेरा नया बचपन – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
- मधुमय प्याली – सुभद्राकुमारी चौहान कविता
Subhadra Kumari Chauhan (सुभद्रा कुमारी चौहान) Quotes in Hindi
- दिल में एक चुभन सी भी थी,यह दुनिया अलबेली थी, मन में एक पहेली थी, मैं सबके बीच अकेली थी।
- मुझे छोड़ कर तुम्हें प्राणधन सुख या शान्ति नहीं होगी| यही बात तुम भी कहते थे सोचो, भ्रान्ति नहीं होगी।|~सुभद्रा कुमारी चौहान
- यह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत। स्वयं बिखरनेवाली इसकी, पँखड़ियाँ बिखराना मत॥
- मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी, फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आ||
- सुख-भरे सुनले बादल रहते हैं मुझको घेरे, विश्वास, प्रेम, साहस हैं जीवन के साथी मेरे।
- मेरे भोले मूर्ख हृदय ने कभी न इस पर किया विचार। विधि ने लिखी भाल पर मेरेसुख की घड़ियाँ दो ही चार॥
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