Ads

TCS Layoffs Protest: क्यों सड़कों पर उतरे कर्मचारी?

Avatar photo

Published on:

TCS Layoffs Protest

आईटी सेक्टर, जो भारत में लाखों लोगों को रोजगार देता है, आजकल एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जहां एक तरफ कंपनियां नई टेक्नोलॉजी जैसे AI और मशीन लर्निंग को अपना रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर छंटनी (layoffs) की खबरें भी लगातार आ रही हैं। इसी कड़ी में, भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी Tata Consultancy Services (TCS) की हालिया छंटनी की खबरों ने कर्मचारियों के बीच एक बड़ा गुस्सा पैदा किया है, जिसके चलते देश भर में TCS layoffs protest देखने को मिल रहे हैं।

यह सिर्फ कुछ कर्मचारियों की नौकरी जाने का मामला नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे को हिला रहा है जो सालों से आईटी सेक्टर में बना हुआ था। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस पूरे मामले की गहराई से पड़ताल करेंगे, जानेंगे कि आखिर क्यों कर्मचारी विरोध कर रहे हैं, कंपनी का क्या कहना है, और इसका भारतीय आईटी इंडस्ट्री के भविष्य पर क्या असर हो सकता है।

TCS Layoffs Protest: आखिर क्या है पूरा विवाद?

हाल ही में, यूनियन ऑफ़ आईटी एंड आईटीईएस एम्प्लॉईज़ (UNITE) ने टीसीएस के खिलाफ भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए। यूनियन का आरोप है कि कंपनी हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है, जबकि कंपनी का कहना है कि यह सिर्फ 2% ग्लोबल वर्कफोर्स की कटौती है, जो लगभग 12,000 कर्मचारियों को प्रभावित करेगी।

लेकिन मामला सिर्फ संख्या का नहीं है, बल्कि उस तरीके का है जिससे यह छंटनी हो रही है। यूनियन का दावा है कि कंपनी अनुभवी कर्मचारियों को हटाकर उनकी जगह कम वेतन पर फ्रेशर्स को नियुक्त कर रही है। यह आरोप इसलिए भी गंभीर है क्योंकि टीसीएस जैसी कंपनियों को कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर करियर का पर्याय माना जाता था।

विरोध प्रदर्शन के मुख्य कारण

विरोध प्रदर्शनों के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिन्हें समझना जरूरी है:

  • अनुभवी कर्मचारियों को निशाना बनाना: कई रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है, उनमें से अधिकांश मिड और सीनियर लेवल के अनुभवी पेशेवर हैं। UNITE के जॉइंट सेक्रेटरी, चंद्र शेखर आज़ाद ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा, “प्रभावित होने वाले लोगों में एकमात्र कॉमन फैक्टर उनका अनुभव रहा है।” यह बताता है कि यह छंटनी सिर्फ प्रदर्शन के आधार पर नहीं हो रही, बल्कि कंपनी की लागत घटाने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
  • अनैतिक बर्खास्तगी का आरोप: कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें यह विकल्प दिया गया है कि वे या तो तीन महीने के वेतन के साथ इस्तीफा दें या बिना किसी लाभ के उन्हें निकाल दिया जाएगा। यह प्रक्रिया औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 जैसे श्रम कानूनों के तहत कानूनी चुनौतियों को जन्म दे सकती है।
  • काम के घंटे और ‘बेंच पॉलिसी’ में बदलाव: टीसीएस ने हाल ही में अपनी ‘बेंच पॉलिसी’ में भी बदलाव किए हैं। अब कर्मचारियों को साल में कम से कम 225 दिन काम करना अनिवार्य है और वे 35 दिनों से ज्यादा ‘बेंच’ (यानी बिना किसी प्रोजेक्ट के) पर नहीं रह सकते। यह नीति कर्मचारियों पर लगातार प्रदर्शन का दबाव बनाती है और नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा करती है।
  • फ्रेशर्स के साथ प्रतिस्थापन: यूनियन का एक और बड़ा आरोप यह है कि टीसीएस पुराने और अनुभवी कर्मचारियों को हटाकर उनकी जगह 80-85% कम वेतन पर नए फ्रेशर्स को हायर कर रही है। यह कदम न केवल अनुभवी पेशेवरों के लिए बल्कि पूरे आईटी सेक्टर में वेतनमान और नौकरी की स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा है।

टीसीएस का क्या है कहना?

इस विवाद पर टीसीएस ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। कंपनी ने यूनियनों के दावों को “गलत और भ्रामक” बताया है। टीसीएस ने कहा कि यह छंटनी नहीं, बल्कि कर्मचारियों के प्रदर्शन का एक नियमित मूल्यांकन है। कंपनी का कहना है कि यह कदम ‘भविष्य के लिए तैयार’ संगठन बनाने और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों जैसे एआई और क्लाउड में निवेश के लिए आवश्यक है।

Also Read: TCS Layoffs 2025 India: आईटी सेक्टर में बड़े बदलाव का संकेत?

टीसीएस ने यह भी कहा कि जिन कर्मचारियों को इस प्रक्रिया में बाहर किया जा रहा है, उन्हें उचित विच्छेद वेतन (severance package), बीमा लाभ और करियर ट्रांजिशन सहायता दी जा रही है।

भारतीय आईटी सेक्टर पर व्यापक प्रभाव

यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ टीसीएस तक सीमित नहीं है। यह पूरे भारतीय आईटी सेक्टर के लिए एक चेतावनी है।

  • नौकरी की असुरक्षा: एक समय था जब आईटी सेक्टर में नौकरी को सबसे सुरक्षित माना जाता था। लेकिन अब यह धारणा बदल रही है। इस तरह की छंटनी और विरोध प्रदर्शन से कर्मचारियों में नौकरी की असुरक्षा की भावना बढ़ेगी।
  • श्रमिक यूनियनों का उदय: आईटी सेक्टर में यूनियनों का प्रभाव पहले सीमित था, लेकिन अब UNITE जैसे संगठन तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। यह घटना भविष्य में आईटी कंपनियों के लिए श्रम संबंधों को और जटिल बना सकती है।
  • कौशल विकास पर जोर: यह मामला इस बात पर भी जोर देता है कि आईटी पेशेवरों को लगातार नए कौशल सीखना होगा। एआई और ऑटोमेशन के बढ़ते प्रभाव के साथ, जो कर्मचारी खुद को अपस्किल नहीं करेंगे, उनके लिए जोखिम बढ़ सकता है।
  • सरकार का हस्तक्षेप: भारत सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनियों द्वारा किए जा रहे छंटनी के तरीके नैतिक और कानूनी रूप से सही हों। श्रम कानूनों को आईटी सेक्टर के लिए भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है।
  • पारदर्शी संचार: कंपनियों को छंटनी के कारणों और प्रक्रियाओं के बारे में कर्मचारियों के साथ अधिक पारदर्शी होना चाहिए।
  • री-स्किलिंग और अपस्किलिंग: कंपनियों को कर्मचारियों को नई तकनीकों में प्रशिक्षित करने के लिए निवेश करना चाहिए, न कि उन्हें बाहर निकालना चाहिए।

निष्कर्ष: क्या यह आईटी के ‘अच्छे दिनों’ का अंत है?

TCS layoffs protest एक बड़ी कहानी का सिर्फ एक अध्याय है। यह भारतीय आईटी सेक्टर में चल रहे बड़े बदलावों को दर्शाता है। जहां कंपनियां भविष्य के लिए खुद को ‘लाइट और लीन’ बनाना चाहती हैं, वहीं कर्मचारियों को अपनी नौकरी की सुरक्षा के लिए लड़ना पड़ रहा है। यह एक ऐसा समय है जब सभी हितधारकों – कंपनियां, कर्मचारी, यूनियन और सरकार – को मिलकर एक ऐसा समाधान खोजना होगा जो न केवल व्यापार की जरूरतों को पूरा करे बल्कि उन लाखों लोगों के भविष्य को भी सुरक्षित करे जो इस सेक्टर पर निर्भर हैं।

Join WhatsApp

Join Now

Samachar Khabar

समाचार ख़बर एक हिंदी न्यूज़ वेबसाइट है जहाँ आपको ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर हर रोज ताज़ा ख़बरें मिलती हैं। हमारे साथ जुड़े रहें और पाएं पूरी दुनिया की खबरे Samachar Khabar पर।_________________________________________________________________________________Stay updated on Education, Health, Politics, and Tech with the latest news and trends. Follow us for breaking updates and expert insights. Your one-stop destination for all the latest developments!

Latest Stories

Leave a Comment