ट्रंप-ज़ेलेंस्की की मुलाकात: रूस–यूक्रेन युद्ध में फिलहाल सीजफायर नहीं 

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ट्रंप-ज़ेलेंस्की की मुलाकात रूस–यूक्रेन युद्ध में फिलहाल सीजफायर नहीं 

ट्रंप-ज़ेलेंस्की की मुलाकात: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को दो साल से अधिक हो चुके हैं और अब भी कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। इस बीच, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के बीच हुई हालिया बैठक ने दुनिया भर में उम्मीद की एक नई किरण जगाई है। यह बैठक केवल दो नेताओं के बीच की सामान्य मुलाकात नहीं है, बल्कि एक ऐसे समय में हुई है जब युद्ध अपने सबसे निर्णायक मोड़ पर है। क्या यह मुलाकात वास्तव में रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत कर सकती है? आइए, इस पर गहराई से विचार करें।

ट्रंप ने हमेशा से यह दावा किया है कि वह 24 घंटे में युद्ध को समाप्त कर सकते हैं

उनका यह रुख यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के समर्थन को कम करने और रूस के साथ बातचीत पर जोर देने की ओर इशारा करता है। वहीं, ज़ेलेंस्की का रुख अपने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर दृढ़ रहा है। ऐसे में इन दोनों नेताओं के बीच क्या बातें हुईं और इसका क्या परिणाम हो सकता है, यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है।

ट्रंप की ‘शांति’ योजना: क्या है इसका आधार?

ट्रंप की ‘शांति’ योजना का मुख्य आधार बातचीत और समझौता है, जिसमें यूक्रेन को कुछ क्षेत्रों पर रूस के नियंत्रण को स्वीकार करना पड़ सकता है। हाल ही में अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी बैठक हुई, जिसके बाद ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पुतिन के उस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसके तहत रूस दो बड़े रूसी-नियंत्रित यूक्रेनी क्षेत्रों पर पूर्ण नियंत्रण ले लेगा।

इस तरह की योजना यूक्रेन के लिए एक बहुत बड़ा बलिदान है, क्योंकि ज़ेलेंस्की ने बार-बार कहा है कि यूक्रेन अपनी एक इंच भी ज़मीन नहीं छोड़ेगा।

ट्रंप की योजना की मुख्य बातें:

  • क्षेत्रों का लेन-देन: यूक्रेन को रूस के कब्जे वाले कुछ क्षेत्रों को सौंपना होगा।
  • तत्काल युद्धविराम: सभी सैन्य कार्रवाइयों पर तुरंत रोक लगाना।
  • अमेरिकी सहायता में कमी: यदि यूक्रेन समझौते पर सहमत नहीं होता है, तो अमेरिका यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य और वित्तीय सहायता में कटौती कर सकता है।

इस प्रस्ताव पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कुछ का मानना है कि यह युद्ध को समाप्त करने का एकमात्र यथार्थवादी तरीका है, जबकि अन्य इसे रूस को उसके आक्रामक कार्यों का इनाम देने जैसा मानते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, रूस के कब्जे में अब भी यूक्रेन का लगभग 18% क्षेत्र है, और इसे छोड़ना यूक्रेन के लिए एक बड़ी राजनीतिक और सैन्य हार होगी।

ज़ेलेंस्की का रुख: क्या वह झुकेंगे?

ज़ेलेंस्की के लिए यह एक बहुत ही संवेदनशील और कठिन स्थिति है। एक तरफ, उन्हें अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करनी है, जिसके लिए हजारों यूक्रेनियन ने अपनी जान दी है, वहीं दूसरी तरफ, उन्हें पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका, के समर्थन की आवश्यकता है।

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हाल ही में ट्रंप से हुई बातचीत के बाद, ज़ेलेंस्की ने यूरोपीय और नाटो नेताओं के साथ भी बैठक की है। यह दर्शाता है कि वे केवल एक पक्ष पर निर्भर नहीं रहना चाहते और एक सामूहिक, स्थायी समाधान चाहते हैं। ज़ेलेंस्की ने कहा है कि युद्ध में हो रही हत्याओं को तुरंत रोका जाना चाहिए और सभी युद्धबंदियों को रिहा किया जाना चाहिए।

इस मुलाकात का वैश्विक प्रभाव

ट्रंप और ज़ेलेंस्की की बैठक का प्रभाव केवल यूक्रेन और रूस तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैश्विक भू-राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है।

  • नाटो (NATO) और यूरोपीय संघ की भूमिका: यदि अमेरिका एकतरफा रूप से यूक्रेन पर दबाव बनाता है, तो यह नाटो और यूरोपीय संघ के भीतर दरार पैदा कर सकता है। कई यूरोपीय देश रूस के प्रति एक सख्त रुख अपनाते रहे हैं और किसी भी ऐसे समझौते का विरोध कर सकते हैं जो रूस को फायदा पहुंचाता हो।
  • चीन और अन्य देशों का रुख: इस बैठक के परिणाम का असर चीन जैसी महाशक्तियों पर भी पड़ेगा। यदि अमेरिका यूक्रेन को अपने हाल पर छोड़ देता है, तो यह चीन को ताइवान जैसे क्षेत्रों पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

प्रमुख चुनौतियां और आगे का रास्ता

यह मानना कि एक बैठक से तीन साल से चले आ रहे युद्ध का अंत हो जाएगा, बहुत ही जल्दबाजी होगी। इस रास्ते में कई बाधाएं हैं:

  1. विश्वास की कमी: रूस और यूक्रेन के बीच विश्वास पूरी तरह खत्म हो चुका है। किसी भी समझौते को लागू करना बेहद मुश्किल होगा।
  2. क्षेत्रीय अखंडता: यूक्रेन अपनी क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं करेगा। यह बातचीत को एक गतिरोध पर ला सकता है।
  3. अंतर्राष्ट्रीय कानून: रूस ने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करके यूक्रेन पर हमला किया है। यदि उसे कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण दे दिया जाता है, तो यह एक गलत मिसाल कायम करेगा।

निष्कर्ष: क्या एक नया अध्याय शुरू होगा?

ट्रंप और ज़ेलेंस्की की बैठक ने निश्चित रूप से एक नई उम्मीद जगाई है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह युद्ध का अंत कर देगी। यह बैठक एक संकेत है कि युद्ध को समाप्त करने के लिए अब कूटनीतिक प्रयास तेज हो रहे हैं। ज़ेलेंस्की पर शांति समझौते के लिए दबाव बढ़ेगा, जबकि ट्रंप को अपनी ‘डील-मेकिंग’ क्षमताओं को साबित करना होगा।

यूक्रेन के लिए यह समय बहुत नाजुक है। उन्हें न केवल युद्ध लड़ना है, बल्कि शांति के लिए भी लड़ाई लड़नी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे पश्चिमी देशों के दबाव में आकर कोई समझौता करते हैं या अपने रुख पर कायम रहते हैं। भविष्य में इस युद्ध का समाधान बातचीत और कूटनीति से ही निकलेगा, लेकिन यह बातचीत तभी सफल होगी जब दोनों पक्ष एक-दूसरे का सम्मान करें और एक स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध हों।

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