नितेश तिवारी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘रामायण’ की घोषणा के बाद से ही यह लगातार चर्चा में है। इस फिल्म में रणबीर कपूर को भगवान राम के रूप में देखना दर्शकों के लिए एक उत्सुकता का विषय है। जहां एक तरफ फैंस अपने पसंदीदा एक्टर को इस ऐतिहासिक भूमिका में देखने के लिए उत्साहित हैं, वहीं ‘शक्तिमान’ और ‘महाभारत’ में भीष्म पितामह का किरदार निभा चुके दिग्गज अभिनेता मुकेश खन्ना ने रणबीर कपूर की कास्टिंग पर अपनी शंका व्यक्त की है।
उनका मानना है कि रणबीर की पिछली फिल्म ‘एनिमल’ की छवि उनके लिए ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ राम की छवि को साकार करना मुश्किल बना सकती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम मुकेश खन्ना की इस टिप्पणी के पीछे की वजहों को गहराई से समझेंगे और यह विश्लेषण करेंगे कि धार्मिक और पौराणिक किरदारों के लिए कास्टिंग कितनी महत्वपूर्ण क्यों होती है।
मुकेश खन्ना का बयान: ‘एनिमल’ की छवि और ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ की तुलना
मुकेश खन्ना ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा, “रणबीर कपूर एक अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन उनके पीछे एक इमेज है, और वह है ‘एनिमल’। मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है, वह राम की भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि वह मर्यादा पुरुषोत्तम राम की छवि को बखूबी निभा पाएंगे या नहीं।” यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
रणबीर कपूर की ‘एनिमल’ छवि: ‘एनिमल’ फिल्म में रणबीर कपूर ने एक बेहद हिंसक, आक्रामक और जटिल किरदार निभाया था, जो कि आज की युवा पीढ़ी के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ। यह किरदार अपनी मर्यादाओं को तोड़कर बदला लेने में विश्वास रखता था। इस किरदार की सफलता ने रणबीर की एक ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि बना दी है।
भगवान राम की ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ छवि: इसके ठीक विपरीत, भगवान राम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘मर्यादाओं में सर्वश्रेष्ठ पुरुष’। उनके चरित्र की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- धैर्य और संयम: भगवान राम ने 14 साल का वनवास बिना किसी शिकायत के स्वीकार किया।
- करुणा और दया: उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाए और निषादराज से मित्रता की, जो उनकी करुणा और सभी के प्रति समान व्यवहार को दर्शाती है।
- मर्यादा का पालन: उन्होंने राजा होते हुए भी प्रजा की बात सुनकर सीता का त्याग किया, जो उनकी मर्यादा और कर्तव्यनिष्ठा को दिखाता है।
- शांत और स्थिर स्वभाव: राम का चरित्र कभी भी आक्रामक या हिंसक नहीं था, भले ही वह एक महान योद्धा थे।
मुकेश खन्ना का मानना है कि ‘एनिमल’ की हिंसक और आक्रामक छवि, और भगवान राम की शांत, संयमी और मर्यादित छवि के बीच जमीन-आसमान का अंतर है। उनके अनुसार, यह छवि दर्शकों के लिए रणबीर को राम के रूप में स्वीकार करना चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
धार्मिक किरदारों के लिए कास्टिंग: क्यों है ये इतना संवेदनशील मुद्दा?
भारतीय सिनेमा में धार्मिक और पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में हमेशा से ही दर्शकों की भावनाओं से जुड़ी रही हैं। ऐसे किरदारों का चयन बहुत सोच-समझकर किया जाता है क्योंकि ये किरदार करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक होते हैं।
- आस्था और विश्वास: दर्शक इन किरदारों को केवल एक एक्टर के रूप में नहीं देखते, बल्कि उन्हें भगवान का रूप मानते हैं। इसलिए, एक्टर की ऑफ-स्क्रीन छवि का भी इस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, अरुण गोविल, जिन्होंने रामानंद सागर की ‘रामायण’ में राम का किरदार निभाया था, को लोग आज भी उसी श्रद्धा से देखते हैं।
- जनभावनाएं और विवाद: किसी भी धार्मिक किरदार के चित्रण में जरा सी भी चूक या कलाकार की निजी जिंदगी से जुड़ी कोई बात बड़े विवाद को जन्म दे सकती है। हमने ‘आदिपुरुष’ जैसी फिल्मों में देखा है कि कैसे किरदारों के पहनावे और संवादों को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध हुआ।
- कलाकार की जिम्मेदारी: ऐसे किरदार निभाते समय कलाकार पर एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसे न केवल अभिनय करना होता है, बल्कि उस किरदार की गरिमा, मर्यादा और पवित्रता को भी बनाए रखना होता है।
मुकेश खन्ना की चिंता इसी जिम्मेदारी से जुड़ी है। उनका मानना है कि ‘आदिपुरुष’ जैसी गलतियों से सीख लेना जरूरी है, जहां 500 करोड़ रुपये का बजट होने के बावजूद फिल्म कंटेंट और किरदारों के चित्रण में विफल रही।
क्या रणबीर कपूर इस चुनौती का सामना कर सकते हैं?
यह कहना गलत नहीं होगा कि रणबीर कपूर एक बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता हैं। उन्होंने ‘संजू’ में संजय दत्त जैसे जटिल चरित्र को भी बखूबी निभाया था, और ‘बर्फी’ में एक मूक-बधिर लड़के के किरदार में भी जान डाल दी थी। उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा ही उन्हें राम के किरदार के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
- एक्टर की काबिलियत: एक अच्छे एक्टर की सबसे बड़ी खूबी यही होती है कि वह अपने पिछले किरदारों की छवि से बाहर निकलकर नए किरदार में ढल सके। रणबीर कपूर ने अपने करियर में कई अलग-अलग तरह के किरदार निभाए हैं, जो यह साबित करता है कि वह एक वर्सटाइल एक्टर हैं।
- नितेश तिवारी का विजन: फिल्म के निर्देशक नितेश तिवारी अपने बेहतरीन डायरेक्शन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ‘दंगल’ और ‘छिछोरे’ जैसी फिल्में बनाई हैं, जो कंटेंट और इमोशन के मामले में बेहद मजबूत रही हैं। उनका विजन इस फिल्म को एक नई दिशा दे सकता है, जहां राम की कहानी को एक नए और संवेदनशील तरीके से पेश किया जाएगा।
- क्या दर्शक अलग कर पाएंगे? यह सबसे बड़ा सवाल है। क्या दर्शक रणबीर कपूर को उनकी ‘एनिमल’ वाली छवि से अलग करके ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ राम के रूप में स्वीकार कर पाएंगे? यह इस बात पर निर्भर करता है कि फिल्म में राम के किरदार को कितनी संवेदनशीलता और ईमानदारी से दिखाया जाता है।
मुकेश खन्ना के बयान पर अन्य प्रतिक्रियाएं
मुकेश खन्ना के इस बयान के बाद सोशल मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग उनके विचारों से सहमत हैं, जबकि कुछ का मानना है कि किसी भी कलाकार की योग्यता का मूल्यांकन उसके पिछले किरदारों से नहीं किया जाना चाहिए। बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध समीक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “आज के दर्शक बहुत समझदार हैं। वे जानते हैं कि पर्दे पर निभाया गया किरदार कलाकार की निजी जिंदगी से अलग होता है। रणबीर कपूर एक मंझे हुए कलाकार हैं और उन्हें यह मौका मिलना चाहिए।”
निष्कर्ष और आगे की राह
मुकेश खन्ना की टिप्पणी केवल रणबीर कपूर की कास्टिंग पर नहीं है, बल्कि यह इस बात पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ती है कि धार्मिक और पौराणिक किरदारों का चित्रण कितना नाजुक और संवेदनशील होता है। यह मुद्दा सिर्फ एक एक्टर के चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं और आस्थाओं से जुड़ा है।
यह एक तथ्य है कि पौराणिक फिल्मों की कास्टिंग में हमेशा से ही बड़ी चुनौतियां रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2023 के बीच रिलीज़ हुई 10 में से 7 धार्मिक फिल्मों को किसी न किसी विवाद का सामना करना पड़ा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि नितेश तिवारी की ‘रामायण’ किस तरह से इस चुनौती का सामना करती है। क्या यह फिल्म मर्यादा पुरुषोत्तम राम की छवि को सही तरीके से पेश कर पाएगी और दर्शकों के दिल में जगह बना पाएगी?
इस बारे में आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि रणबीर कपूर राम के किरदार के साथ न्याय कर पाएंगे? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय ज़रूर दें।