राजनीति और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में एक दुखद खबर सामने आई है। नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। ला गणेशन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका निधन न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी एक बड़ी क्षति है।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन सहित तमाम नेताओं ने अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
ला गणेशन: एक समर्पित राष्ट्रवादी का जीवन
ला गणेशन का जन्म 16 फरवरी 1945 को तमिलनाडु के तंजावुर में हुआ था। कम उम्र में ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रति गहरी रुचि विकसित कर ली थी, और बाद में वे एक पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। उनकी राजनीतिक यात्रा 1991 में बीजेपी में शामिल होने के साथ शुरू हुई, जहां उन्होंने पार्टी के लिए संगठनात्मक सचिव के रूप में काम किया। उनका समर्पण और कड़ी मेहनत जल्द ही रंग लाई, और उन्होंने पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें राष्ट्रीय सचिव और उपाध्यक्ष शामिल हैं।
उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान तमिलनाडु में बीजेपी के आधार को मजबूत करना था, जहां उन्होंने पार्टी को जमीनी स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी संगठनात्मक क्षमता और लोगों से जुड़ने की कला ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बना दिया। उन्होंने 2006 से 2009 तक तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया, जिससे पार्टी को राज्य में नई दिशा मिली।
राजकीय भूमिकाओं में ला गणेशन का योगदान
ला गणेशन ने न केवल पार्टी के भीतर महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, बल्कि उन्होंने संवैधानिक पदों पर भी अपनी सेवाएँ दीं।
- मणिपुर के राज्यपाल: अगस्त 2021 में उन्हें मणिपुर का 17वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास और शांति व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पश्चिम बंगाल के राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार): मणिपुर के राज्यपाल रहते हुए, उन्होंने जुलाई 2022 से नवंबर 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
- नागालैंड के राज्यपाल: फरवरी 2023 में उन्हें नागालैंड का 21वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य के लोगों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए और वहां के विकास के लिए लगातार प्रयास किए।
ला गणेशन एक ऐसे राजनेता थे जो वैचारिक मतभेदों के बावजूद सभी दलों के नेताओं के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखते थे। यही कारण है कि उनके निधन पर हर पार्टी के नेता शोक व्यक्त कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और एमके स्टालिन की श्रद्धांजलि
ला गणेशन के निधन पर देश के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदना: प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “नागालैंड के राज्यपाल थिरु ला गणेशन जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्हें एक समर्पित राष्ट्रवादी के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने अपना जीवन सेवा और राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित कर दिया।” उन्होंने आगे कहा कि गणेशन जी ने तमिलनाडु में बीजेपी का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत की और वे तमिल संस्कृति के प्रति भी बेहद भावुक थे।
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की श्रद्धांजलि: एमके स्टालिन ने अपने शोक संदेश में कहा कि ला गणेशन एक ऐसे दुर्लभ नेता थे, जिन्होंने विरोधी विचारधारा वाले दलों के नेताओं से भी सम्मान अर्जित किया। उन्होंने ला गणेशन के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को भी याद किया और कहा कि वे सभी पारिवारिक कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित करते थे, जो उनके बीच की सच्ची दोस्ती को दर्शाता है। स्टालिन ने कहा, “यह जानकर बहुत दुख हुआ कि जब सभी को उम्मीद थी कि वे ठीक होकर अस्पताल से बाहर आएंगे, तब उनका अचानक निधन हो गया।”
इन बयानों से यह साफ पता चलता है कि ला गणेशन ने अपनी राजनीतिक यात्रा में न केवल अपने दल के भीतर, बल्कि विपक्षी खेमे में भी गहरा सम्मान अर्जित किया था।
एक राजनेता जो दोस्ती और गरिमा को महत्व देता था
ला गणेशन की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे राजनीतिक मतभेदों को कभी भी व्यक्तिगत संबंधों के आड़े नहीं आने देते थे। उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख एम. करुणानिधि के साथ उनका संबंध है। जब ला गणेशन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब भी करुणानिधि ने उनके जन्मदिन पर उनके घर जाकर उन्हें बधाई दी थी। यह घटना भारतीय राजनीति में आपसी सम्मान और गरिमा की एक दुर्लभ मिसाल है। यह दर्शाता है कि कैसे एक राजनेता अपनी विचारधारा पर दृढ़ रहते हुए भी दूसरे विचारों का सम्मान कर सकता है।
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ला गणेशन एक ऐसे व्यक्ति थे जो सरल जीवन जीते थे और जिन्होंने कभी शादी नहीं की। उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से सार्वजनिक सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर दिया था। 80 वर्ष की उम्र तक, वे लगातार सक्रिय रहे और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे।
ला गणेशन के निधन पर महत्वपूर्ण तथ्य
- मृत्यु का कारण: ला गणेशन का निधन चेन्नई के एक निजी अस्पताल में हुआ। वे पिछले कुछ दिनों से इलाज करा रहे थे। उन्हें 8 अगस्त को अपने चेन्नई स्थित घर पर गिरने के बाद सिर में चोट लगी थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
- राजकीय सम्मान: उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए उनके चेन्नई स्थित आवास पर रखा गया है, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
- अंतिम संस्कार: उनका अंतिम संस्कार शनिवार, 16 अगस्त को चेन्नई में किया जाएगा।
ला गणेशन का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में लगा दिया और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने राजनीतिक गरिमा, ईमानदारी और समर्पण का एक आदर्श स्थापित किया।
निष्कर्ष: एक विरासत जो हमेशा रहेगी
ला गणेशन का निधन भारतीय राजनीति में एक बड़े शून्य को छोड़ गया है। वे न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि एक सज्जन व्यक्ति भी थे जिन्होंने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर सभी के साथ सम्मानजनक संबंध बनाए रखे। उनके द्वारा स्थापित राजनीतिक गरिमा और समर्पण का आदर्श आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी और एमके स्टालिन जैसे विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं द्वारा दी गई श्रद्धांजलि इस बात का प्रमाण है कि उनका जीवन कितना प्रभावशाली था।
ला गणेशन को उनकी राष्ट्र के प्रति अथक सेवा, उनके समर्पण और उनके सौहार्दपूर्ण स्वभाव के लिए हमेशा याद किया जाएगा।